मुंबई -हमारे प्रधान मंत्री नरेंद्र भाई मोदी जी कोरोना से बचने के लिए देशवासियों को एक संदेश दे रहें हैं कि , घर में रहिए सुरक्षित रहिए , मास्क लगाइए और 2 गज की दूरी का पालन करें । भोजपुरी फिल्म अभिनेता और गायक धर्मेन्द्र खरवार मोदीजी के संदेश को अपने गीतों के माध्यम से लोगों का मनोरंजन और उनको जागरूक करने का काम कर रहे हैं ।
उपरोक्त बातें केंद्रीय सामाजिक न्याय मंत्री रामदास आठवले ने मुंबई के उपनगर बांद्रा ( पूर्व ) के अपने आवास संविधान बंगले पर मीडिया से बातचीत करते हुए कहा । रिप ब्लिकान पार्टी ऑफ इंडिया ( ए ) के मुंबई अध्यक्ष गौतम सोनावने द्वारा आयोजित एक समारोह में श्री आठवले ने धर्मेन्द्र खरवार का लिखा और गाया गीत , मोदी जी हो लाक डाउन काहे बढ़ी जाता ? मोबाईल फोन पर देश के लोगों को सुनने के लिए उसका लोकार्पण किया । शक्ति की प्रतीक शेरावाली मां दुर्गा जी की सुंदर प्रतिमा और शाल, श्रीफल भेंटकर उन्होंने धर्मेन्द्र खरवार का सम्मान करते हुए कहा कि , इस गीत में कोरोना के कारण देश में लाया गया लाकडाउन की सच्चाई का जिक्र आया है । इस दौरान देश के गरीब लोगों ने बहुत कष्ट उठाया । इस बात की सच्चाई से हम सभी वाकिफ है । धर्मेन्द्र जी ने समय को अपने ध्यान में रखकर यह गीत लिखा और अपनी मधुर आवाज़ में गाया है । यह गीत सभी लोगों के सुनने के लायक है । खासकर भोजपुरी समाज के मजदूर किस्म के लोग इस गीत को जरूर पसंद करेगें । धर्मेन्द्र जी को मेरी तरफ से बहुत आशीर्वाद । धर्मेन्द्र खरवार ने अपना मनोगत व्यक्त करते हुए कहा कि , मुझे नृत्य के लिए बहुत पुरस्कार मिल चुका है , लेकिन आज पहली बार गाने के लिए मोदी जी के मंत्रिमडल में उनके सहयोगी मंत्री श्री आठवले जी ने दुर्गा माता की प्रतिमा मुझे भेंट देकर मेरा सम्मान किया है । मैं समझता हूं कि मेरा यह सत्कार माननीय प्रधान मंत्री श्री मोदी जी के हाथों से हुआ है । इसके लिए मैं मंत्री जी का दिल से आभार व्यक्त करता हूं । आज मैं अपने प्रशंसकों को इस गीत के पीछे की कहानी साझा करना चाहता हूं । वाकया ऐसा है कि , जब मैं केवल 7 साल का था तब मेरे पिताश्री कपिलदेव खरवार मुझे और मेरी मां को गांव में छोड़कर इस माया की नगरी मुंबई में चले आए थे । मां का बनवास तब खत्म हुआ जब मैं 14 साल 8 माह का होकर उनको मुंबई में लाकर पिता जी से मिलवाया था । इन 15 सालों में जो दुख मेरी मां ने उठाए और कुशीनगर यू पी के बिहार खुर्द बंगला समउर बाज़ार की धरती पर उनकी आखों से जीतने भी आंसू गीरे उसको हमने अपनी आंखों से देखा और दिल से महसूस भी किया है । इस लाकडाउन के दौरान देश की लाखों करोड़ों मेरी माताओं और बहनों का दर्द भला मुझसे अच्छा कौन कलाकार जान समझ सकता है । मेरे इस गीत में जब आपको एक औरत के दर्द का एहसास हो तब समझ लेना वह औरत कोई और नहीं बल्कि मेरी प्यारी मां सुभाषपति खरवार ही हैं । इसलिए हमने इस गीत को अपनी माताश्री के पैरों के तलवों के नीचे रख दिया है जो स्थान मेरे लिए स्वर्ग से बढ़कर है ।
मैं अब इसका फैसला आपके ऊपर छोड़ता हूं कि आप सब इस गीत को कितना और किस तरह पसंद करते हैं और मुझे अपना कितना प्यार और आशीर्वाद देते हैं ।
फोटो __ देवेन्द्र रण पिसे ।
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