इंदिरा गांधी उपजिला अस्पताल में समय पर उपचार न होने के पश्चात दो लोगों की मौत,
चिकित्साधीक्षक के विरुद्ध हत्या का मामला दर्ज करने की मांग
भिवंडी।एम हुसेन। लॉकडाउन के दौरान इंंदिरा गांधी उपजिला अस्पताल द्वारा समय से उपचार न होने के कारण प्रभाग क्रमांक - 22 (क) के रहने वाले दो लोगों की मौत हो गई है।जिसमें एक व्यक्ति की भर्ती आईजीएम में करने के बजाय उसे ठाणे सिविल अस्पताल में भेज दिया गया था , जिसके कारण सिविल अस्पताल में उपचार के दौरान ही उसकी मौत हो गई । दूसरे हार्ट के एक मरीज को आईजीएम-ऑरेंज-आमंत्रण एवं फिर आईजीएम में दौड़ाते उसकी मौत हो गई। दोनों लोगों की मौत के लिये इंदिरा गांधी उपजिला अस्पताल के चिकित्साधीक्षक पर लापरवाही का आरोप लगाते हुये भाजपा प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य एवं नगरसेवक श्यामजी अग्रवाल ने उनके विरुद्ध हत्या का मामला दर्ज करने की मांग मुख्यमंत्री से की है।
मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे,स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे,जिलाधिकारी ठाणे एवं मनपा आयुक्त को भेजे गये पत्र में नगरसेवक श्यामजी अग्रवाल ने कहा है कि फेनेगांव का रहने वाला राजकुमार पटेल कई दिनों से बीमार चल रहा था। जिसका उपचार निजी दवाखाने में चल रहा था, लेकिन उसकी हालत ज्यादा खराब होने पर उसे 3 अप्रैल को उपचार के लिये आईजीएम उपजिला अस्पताल में भेजा गया था ।लेकिन आईजीएम अस्पताल के चिकित्साधीक्षक डॉ. अनिल थोरात द्वारा न तो उपचार के लिये उसे भर्ती किया गया और न ही उसकी कोई प्राथमिक चिकित्सा की गई।उसे सिविल अस्पताल में जाने की सलाह दे दिया गया था। नगरसेवक श्याम अग्रवाल द्वारा अस्पताल के चिकित्साधीक्षक डॉ. अनिल थोरात से मरीज को भर्ती करने का अनुरोध भी किया गया था, लेकिन डॉ. थोरात ने उनसे यह कहते हुये पल्ला झाड़ लिया कि इस समय शहर के अन्य मरीजों की जिम्मेदारी मनपा के चिकित्साधिकारी डॉ. जयवंत धुले की है। उनकी कोई जिम्मेदारी नहीं है, जिसके बाद उस मरीज को ठाणे के सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया था। लेकिन उपचार में काफी देर हो जाने के कारण 4 अप्रैल को उसकी मौत हो गई ।
इसी प्रकार मानसरोवर के रहने वाले हार्ट के मरीज सेवानिवृत्ति स्वास्थ्य कर्मचारी केशव पाटील को भी उपचार के लिये आईजीएम उपजिला अस्पताल में भेजा गया था ,लेकिन आईजीएम से उन्हें ऑरेंज अस्पताल में भेज दिया गया ।ऑरेंज पहुंचने पर उन्हें भिवंडी बाईपास स्थित टाटा आमंत्रा में भेज दिया गया, टाटा आमंत्रा में केवल सरकारी क्वारंटीन है। इसलिये टाटा आमंत्रा से उन्हें फिर आईजीएम अस्पताल में भेज दिया गया। हार्ट के सीरीयस मरीज को लगभग 4 घंटे तक दौड़ने के बाद अंततः आईजीएम में भर्ती किया गया। आईजीएम में उसका उपचार भी शुरू हुआ, लेकिन उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई।
भाजपा प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य व नगरसेवक श्यामजी अग्रवाल ने दो व्यक्तियों की मौत के लिये आईजीएम उपजिला अस्पताल के चिकित्साधीक्षक डॉ. अनिल थोरात पर लापरवाही का आरोप लगाते हुये उनके विरुद्ध हत्या का मामला दर्ज करने की मांग मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से की है। उन्होंने इसके लिये ऑरेंज हॉस्पिटल की जांच करके उसका लाइसेंस भी रद्द करने की मांग की है।
आईजीएम में उसकी भर्ती ली गई थी, वह हार्ट का मरीज था,सीरियस होने के कारण उपचार के दौरान उसकी मृत्यु हो गई।इस संदर्भ में डॉ. अनिल थोरात- चिकित्सधीक्षकक,आईजीएम उपजिला अस्पताल भिवंडी ने कहा कि कोई भी डॉक्टर मरीज को लेकर कभी लापरवाही नहीं करता है। वहीं श्यामजी अग्रवाल - नगरसेवक व सदस्य भाजपा प्रदेश कार्यकारिणी ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि
आईजीएम उपजिला अस्पताल के चिकित्साधीक्षक द्वारा लापरवाही की गई है ।यदि दोनों लोगों को समय पर उपचार मिल गया होता तो शायद उनकी मौत नहीं होती। डॉ. अनिल थोरात को फोन करने के बावजूद भी उन्होंने कोई ध्यान नहीं दिया।
चिकित्साधीक्षक के विरुद्ध हत्या का मामला दर्ज करने की मांग
भिवंडी।एम हुसेन। लॉकडाउन के दौरान इंंदिरा गांधी उपजिला अस्पताल द्वारा समय से उपचार न होने के कारण प्रभाग क्रमांक - 22 (क) के रहने वाले दो लोगों की मौत हो गई है।जिसमें एक व्यक्ति की भर्ती आईजीएम में करने के बजाय उसे ठाणे सिविल अस्पताल में भेज दिया गया था , जिसके कारण सिविल अस्पताल में उपचार के दौरान ही उसकी मौत हो गई । दूसरे हार्ट के एक मरीज को आईजीएम-ऑरेंज-आमंत्रण एवं फिर आईजीएम में दौड़ाते उसकी मौत हो गई। दोनों लोगों की मौत के लिये इंदिरा गांधी उपजिला अस्पताल के चिकित्साधीक्षक पर लापरवाही का आरोप लगाते हुये भाजपा प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य एवं नगरसेवक श्यामजी अग्रवाल ने उनके विरुद्ध हत्या का मामला दर्ज करने की मांग मुख्यमंत्री से की है।
मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे,स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे,जिलाधिकारी ठाणे एवं मनपा आयुक्त को भेजे गये पत्र में नगरसेवक श्यामजी अग्रवाल ने कहा है कि फेनेगांव का रहने वाला राजकुमार पटेल कई दिनों से बीमार चल रहा था। जिसका उपचार निजी दवाखाने में चल रहा था, लेकिन उसकी हालत ज्यादा खराब होने पर उसे 3 अप्रैल को उपचार के लिये आईजीएम उपजिला अस्पताल में भेजा गया था ।लेकिन आईजीएम अस्पताल के चिकित्साधीक्षक डॉ. अनिल थोरात द्वारा न तो उपचार के लिये उसे भर्ती किया गया और न ही उसकी कोई प्राथमिक चिकित्सा की गई।उसे सिविल अस्पताल में जाने की सलाह दे दिया गया था। नगरसेवक श्याम अग्रवाल द्वारा अस्पताल के चिकित्साधीक्षक डॉ. अनिल थोरात से मरीज को भर्ती करने का अनुरोध भी किया गया था, लेकिन डॉ. थोरात ने उनसे यह कहते हुये पल्ला झाड़ लिया कि इस समय शहर के अन्य मरीजों की जिम्मेदारी मनपा के चिकित्साधिकारी डॉ. जयवंत धुले की है। उनकी कोई जिम्मेदारी नहीं है, जिसके बाद उस मरीज को ठाणे के सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया था। लेकिन उपचार में काफी देर हो जाने के कारण 4 अप्रैल को उसकी मौत हो गई ।
इसी प्रकार मानसरोवर के रहने वाले हार्ट के मरीज सेवानिवृत्ति स्वास्थ्य कर्मचारी केशव पाटील को भी उपचार के लिये आईजीएम उपजिला अस्पताल में भेजा गया था ,लेकिन आईजीएम से उन्हें ऑरेंज अस्पताल में भेज दिया गया ।ऑरेंज पहुंचने पर उन्हें भिवंडी बाईपास स्थित टाटा आमंत्रा में भेज दिया गया, टाटा आमंत्रा में केवल सरकारी क्वारंटीन है। इसलिये टाटा आमंत्रा से उन्हें फिर आईजीएम अस्पताल में भेज दिया गया। हार्ट के सीरीयस मरीज को लगभग 4 घंटे तक दौड़ने के बाद अंततः आईजीएम में भर्ती किया गया। आईजीएम में उसका उपचार भी शुरू हुआ, लेकिन उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई।
भाजपा प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य व नगरसेवक श्यामजी अग्रवाल ने दो व्यक्तियों की मौत के लिये आईजीएम उपजिला अस्पताल के चिकित्साधीक्षक डॉ. अनिल थोरात पर लापरवाही का आरोप लगाते हुये उनके विरुद्ध हत्या का मामला दर्ज करने की मांग मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से की है। उन्होंने इसके लिये ऑरेंज हॉस्पिटल की जांच करके उसका लाइसेंस भी रद्द करने की मांग की है।
आईजीएम में उसकी भर्ती ली गई थी, वह हार्ट का मरीज था,सीरियस होने के कारण उपचार के दौरान उसकी मृत्यु हो गई।इस संदर्भ में डॉ. अनिल थोरात- चिकित्सधीक्षकक,आईजीएम उपजिला अस्पताल भिवंडी ने कहा कि कोई भी डॉक्टर मरीज को लेकर कभी लापरवाही नहीं करता है। वहीं श्यामजी अग्रवाल - नगरसेवक व सदस्य भाजपा प्रदेश कार्यकारिणी ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि
आईजीएम उपजिला अस्पताल के चिकित्साधीक्षक द्वारा लापरवाही की गई है ।यदि दोनों लोगों को समय पर उपचार मिल गया होता तो शायद उनकी मौत नहीं होती। डॉ. अनिल थोरात को फोन करने के बावजूद भी उन्होंने कोई ध्यान नहीं दिया।
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