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हमारा देश हिन्दुस्तान सैकड़ों वर्ष से शांति और आपसी भाईचारे  का देश रहा है यह एक बहुत ही बड़ा देश है जहाँ हर मजहब जाती के लोग सैकड़ों साल से एक साथ रहते आये हैं।  एक दुसरे के धर्म से प्यार करना हिंदुस्तान की बुनियादी पहचान है।  हमारे देश का संविधान हर नागरिक को सामान हक़ देता है और धर्म भाषा , छेत्र की बिना पर किसी नागरिक के साथ भेदभाव करना देश के संविधान के रूह के सरासर खिलाफ है मगर अफ़सोस इधर कुछ वर्षों से जिस तरह देश की सरकार केवल राजनीतिक लाभ के लिए धर्म की बिना पर नफरत का बाजार गर्म किये हुवे है और जिस तरह अल्पसंख्यक और बहुसंख्यक के बीच नफरत की दीवार कड़ी कर के वोट बैंक की राजनीति कर रही है इससे देश के हालात बहुत ज्यादा ख़राब हो चुके हैं।  यह वक्ताव्य जमीअत उलेमा हिन्द के अध्यक्ष मौलाना सय्यद अरशद मदनी ने मुंबई में शुरू हो रहे जमीअत उलेमा हिन्द के चार दिन के कार्यकारिणी की सभा से पहले मुंबई के मराठी पत्रकार संघ में पत्रकारों से बात करते हुवे किया।  उन्होंने कहा के सरकार सी ऐ ऐ।  ऍन पी आर और ऍन आर सी की आड़ में साम्प्रदाइक अजेंडे के तहत देश को हिन्दू राष्ट्र बनाने के अपने नापाक मंसूबे की जानिब कदम बढ़ा रही है जिसमे धार्मिक अल्पसंख्यक अपने धार्मिक पहचान से वंचित होकर बहुसंख्यक में मिल जाएंगी जो हकीकत में देश की अखंडता और भाईचारे के लिए खतरनाक बात होगी।  मौलाना मदनी ने कहा के नागरिक संशोधन क़ानून , राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (ऍन आर सी ) और ऍन पी आर के अलावा देश की वर्तमान हालत मुसलमानों को जो समस्याएं हैं इसपर देश की सबसे पुरानी मिल्ली संस्था जमीअत उलेमा हिन्द का मुंबई में जो चार दिन की सभा हो रही है यह २३ फेब्रुअरी को आज़ाद मैदान में कुल हिन्द तहफ़्फ़ुज़ जम्हूरियत कांफ्रेंस पर खत्म होगी।  उन्होंने यह भी बताया के उत्तर प्रदेश सरकार की ओर देवबंद की सभा को आयोजित करने की परमिशन न मिलने के बाद अब जमीअत उलेमा हिन्द इसी सभा को मुंबई में आयोजित कर रही है।  मालूम होके पिछले वर्ष १७ , १८ , १९ अक्टूबर को सभा देवबंद में आयोजित होनी थी लेकिन इस सभा को करने के लिए परमिशन मिल जाने के बाद भी उत्तर प्रदेश सर्कार के जरिये अचानक सभा को रोक दिया गया और यह कहा गया था के कुछ इलाकों में चुनाव हो रहे हैं इसलिए सभा नहीं हो सकती।  यह पहला औसर था जब जमीअत उलेमा हिन्द की सभा को रोका गया।  उन्होंने बताया के इसके बाद इन्हीं तारीखों में दिल्ली में सभा करने का प्रयास किया गया मगर यहाँ भी कामयाबी नहीं मिल सकी लेकिन हमें प्रोग्राम करना था क्योंकि हम देश के वर्तमान हालात से गफलत नहीं बरत सकते  थे हमें अपने लोगों को एक सन्देश देना था इसी लिए यह सभा यहाँ हो रही है। 
मौलाना अरशद मदनी ने एक बार फिर कहा के हम न तो किसी ख़ास पार्टी को सपोर्ट करते है और न ही विरोध करते हैं लेकिन यह सच नहीं है हम तो केवल इस दिमाग और सोच के विरोधी हैं जो देश की अखंडता और भाईचारे की बिना पर वर्तमान सरकार ने फैसले किये हैं जिसे हम इस षड्यंत्र को उखाड़ देने में लगे हुवे हैं जबकि देश को एक और विभाजन के हालात पैदा करने की कोशिश की जा रही है।  मौलाना अरशद मदनी ने कहा के यह सरकार अच्छे दिन लाने का वादा करके सरकार में आई थी लेकिन अब इसने अपनी पूरी कोशिश लगा दी हैं और मंत्रियों को अपनी रिपोर्ट देने के लिए छनडेवालान जाना पड रहा है जो एक सेकुलर देश के लिए बड़ी परेशानी है।  उन्होंने कहा के ऐसा नहीं है के हालात केवल मुसलमानों केलिए ही ख़राब हैं बल्कि दलितों और दुसरे कमजोर वर्ग की हालत भी जानवरों से ज्यादा ख़राब है।  कल तक जो लोग खुद को दलितों और कमजोर वर्ग का मसीहा कहते थे और उनके वोटों से कामयाब होकर संसद पहुँच गए थे अब आर एस एस का सप्पोर्ट कर के केवल सरकार के मजे लूट रहे है बल्कि अल्पसंख्यकों , दलितों और कमजोर वर्ग पर जो अत्याचार हो रहा है इसपर उनहोंने जान बूझ कर ख़ामोशी बनाये हुवे हैं।  सी ऐ ऐ जैसे काले क़ानून के विरोध में शांतिपूर्वक प्रदर्शन को जगा जगा डंडे के जोर पर कुचलने की कोशिश हो रही है।  मौलाना मदनी ने एक प्रश्न के उत्तर में कहा के पिछले १५ दिसम्बर को उत्तर प्रदेश में संविधान के जरिये दिए गए विरोध के हक़ का प्रयोग करते हुवे प्रदर्शनकारी जब शांतिपूर्वक सड़कों पर उतरे तो पोलिस ने न केवल अपनी ज़ालिमाना कार्रवाई का निशाना बनाया बल्कि विरोध प्रदर्शन कर रहे लोगों पर सीधे सीधे गोलियां मारी गईं। बाद में यह कहा गया के खुद प्रदर्शनकारीयो ने पोलिस पर हमला किया  जिसके जवाब में लाठी चार्ज हुवा।  उन्होंने हैरत जाहिर करते हुवे कहा के विरोध प्रदर्शन के वक्त हुवे पैसों के नुक्सान की भरपाई विरोध करने वालों पर भारी जुर्माना लगा कर किया जा रहा है मगर पोलिसे के हाथों जो हानि हुई है इसकी भरपाई के बारे में न तो उत्तर प्रदेश सर्कार ने सोचा और न ही केंद्रीय सर्कार ने अपनी बात को आगे बढ़ाया जबकि सर्कार ने यह भी उल्टा कहा के यह डर और खौफ की राजनीति हो रही है और असंवैधानिक फैसलों को देश की जनता पर जबरदस्ती थोपा जा रहा है इसी कारण जो लोग संवैधानिक तरीके से इन फैसलों का विरोध कर रहे हैं उन्हें गद्दार और देश विरोधी करार दिया जा रहा है।  मौलाना मदनी ने आखिर में कहा के हम सी ऐ ऐ झ्व ऍन पी आर के लागू करने के विरोध में उच्चतम न्यायलय में गए हैं और न्यायलय ने इसपर केंद्रीय सर्कार को नोटिस भी जारी कर दिया है क्योंकि जमीअतुल उलेमा हिन्द ऐसे सभी मामलों में जिनका राजनीतिक तौर पर कोई समाधान न निकल सके हम न्यायालीन प्र्क्रया का रास्ता अपनाते हैं।  उन्होंने कहा के हमें कई अन्य मामलों में न्यायलय से इन्साफ मिला है इसलिए हमे पूरा भरोसा है के सी ऐ ऐ और ऍन पी आर के मामलों में भी कोई अच्छा फैसला सामने आएगा।  उन्होंने कहा के कार्यकारिणी की सभा में इन सभी मुद्दों पर बात की जायेगी इसके बाद जो भी फैसला किया जाएगा इसकी घोसणा २३ फेब्रुअरी के आज़ाद मैदान की सभा में होगा। उन्होंने कहा के यह हालात पैदा हुवे हैं या जो इशूज हमारे सामने हैं इनका हिन्दू व मुसलमानों से कोई सम्बन्ध नहीं है।  उन्होंने कहा के इसे धार्मिक ऐनक से देखना सही नहीं होगा बल्कि बड़ा प्रश्न संविधान को बचाना और देश के सेकुलर ढाँचे को बाकी रखने का है और इसकेलिए देश के हर सच्चे नागरिक को सोचना होगा।


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