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 भिवंडी । एम हुसेन । श्रमजीवी संगठन ने भिवंडी के खारबांव स्थित एक ईंटभट्ठी पर बंधुआ मजदूरी के तहत काम करने वाले 7 आदिवासी मजदूरों को बंधुआ मजदूरी से मुक्त कराया  है। बंधुआ मजदूरी से मुक्त कराये गये आदिवासी मजदूरों को तहसीलदार शशिकांत गायकवाड़ ने बंधुआ मजदूरी से मुक्त का प्रमाण पत्र देकर उनके पुनर्वसन की प्रक्रिया शुरू कर दिया है। भिवंडी तालुका पुलिस ने ईंटभट्ठी मालिक के विरुद्ध बंधुआ मजदूरी उन्मूलन अधिनियम एवं एट्रोसिटी के तहत मामला दर्ज कर लिया है।
  बतादें कि चंदर बरफ,मोतीराम,गणपत एवं राजू सहित चार परिवारों को खारबांव स्थित ईंटभट्ठी मालिक नरेश बैती द्वारा बयाना देकर उनसे बंधुआ मजदूरी की तरह काम लिया जाता था ।ईंटभट्ठी मालिक द्वारा चंदर को दो हजार रूपये,गणपत को 12 हजार रूपये एवं दोनों को दिवाली के पहले दो हजार रूपये बयाना के लिये दिया गया था। ईंटभट्ठी मालिक द्वारा आदिवासी मजदूरों को गाड़ी में भरकर उन्हें लाने की सूचना श्रमजीवी संगठन को मिली थी। श्रमजीवी संगठन के संस्थापक विवेक पंडित के निर्देश पर श्रमजीवी संगठन के पदाधिकारियों ने गोमघर एवं बोट्यावाड़ी के रहने वाले चंदर बरफ की पत्नी शेवंती बरफ,मोतीराम जाधव,काशी जाधव,राजू वाघ एवं प्रकाश बरफ सहित सात आदिवासी मजदूरों को खारबांव ईंटभट्ठी से बंधुआ मजदूरी से मुक्त कराया है। मोखाड़ा तालुका के बोट्यावाड़ी के चंदर बरफ की शिकायत पर भिवंडी तालुका पुलिस ने बंधुआ मजदूरी उन्मूलन अधिनियम 1976 की धारा 15,16,17 एवं 18 सहित एट्रोसिटी के तहत मामला दर्ज कर लिया है। भिवंडी तालुका पुलिस स्टेशन के वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक संजय हजारे ने आदिवासी मजदूरों का पक्ष सुनकर ईंटभट्ठी मालिक के विरुद्ध यह मामला दर्ज किया है। 
 भिवंडी तालुका सहित आसपास के इलाकों में ईंटभट्ठी मालिकों सहित इस प्रकार का व्यवसाय करने वालों द्वारा गरीब आदिवासी मजदूरों को अग्रिम पैसा देकर उनसे बंधुआ मजदूरी की तरह काम लिया जाता है।आदिवासी मजदूरों की आर्थिक स्थिति काफी  दयनीय  एवं काम न मिलने के कारण वे ईंटभट्ठी मालिकों से बयाना के रूप में पैसा ले लेते हैं।आदिवासी मजदूरों को अग्रिम पैसा देकर उनसे बंधुआ मजदूरी कराये जाने को लेकर श्रमजीवी संगठन के संस्थापक विवेक पंडित का कहना है कि उनका मालिकों से कोई वैर नहीं है। लेकिन आदिवासी मजदूरों को गुलाम बनाकर उनसे बंधुआ मजदूरी कराये जाने का वह कड़ा विरोध करेंगे। उन्होंने अग्रिम बयाना देकर आदिवासी मजदूरों को गुलाम बनाकर बंधुआ मजदूरी कराने वालों को चेतावनी देते हुये कहा है कि बंधुआ मजदूरी कराने वाले यह पद्धति बंद करें वरना उन्हें जेल जाना पड़ेगा। उन्होंने याद दिलाया कि पूर्व प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गांधी ने 1976 में बंधुआ मजदूरी के विरुद्ध कड़ा क़ानून बनाया था,लेकिन इसके बावजूद लगभग 44 वर्ष बीत जाने के बाद भी उस क़ानून का पालन कड़ाई से न होने के कारण बंधुआ मजदूरी कराने वालों पर लगाम नहीं लग रहा है ।
   ईंटभट्ठी, पत्थर खदान,गन्ना कटाई सहित अन्य कामों के लिये आदिवासी मजदूरों को चार-पांच महीना पहले ही बयाना देकर उन्हें बुक कर लिया जाता है। बताया जाता है कि आदिवासी मजदूरों की इच्छा के विपरीत उन्हें जबरन अग्रिम बयाना की रकम दे दी जाती है और उसके बाद उन्हें घर से जबरन गाड़ी में भरकर उठा लिया जाता है।ठंडी एवं गर्मी की परवाह किये बिना उनसे 15-16 कड़ा काम लिया जाता है। काम न करने पर मजदूरों के साथ अभद्र व्यवहार भी किया जाता है। 
  भिवंडी के तहसीलदार शशिकांत गायकवाड़ ने श्रमजीवी संगठन पालघर जिला महासचिव उल्हास भानुशाली,प्रमोद पवार एवं मोतीराम नामकुड़ा के समक्ष ईंटभट्ठी से मुक्त कराये गये सभी आदिवासी मजदूरों को बंधुआ मजदूरी से मुक्त एवं पुनर्वसन का प्रमाण पत्र दे दिया है। बंधुआ मजदूरी से मुक्त कराये गये सभी मजदूरों को मोखाड़ा स्थित उनके मूलगांव बोट्यावाड़ी में भेज दिया गया है। 

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