सलीम सय्यद- मुंबई, वरिष्ठ पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या को एक वर्ष बीत चुका है. इस मामले में अभी भी जांच चल रही है क्योंकि अभी भी देशभर में पत्रकारों पर हमले और धमकियां जारी है।
जिसको लेकर मुंबई प्रेस क्लब के अध्यक्ष गुरबिर सिंह के नेतृत्व में पत्रकारों पर हो रहें हमलों को लेकर प्रदर्शन किया गया और साथ ही केन्द्र सरकार को आलोचनाओं का शिकार होना पड़ा।
बतादे की फरवरी में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने संसद को बताया कि पिछले चार वर्षों में पत्रकारों पर हमले के लिए 140 लोगों के खिलाफ 200 से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं। दुनिया भर में बोलने की स्वतंत्रता पर अपनी वार्षिक रिपोर्ट में भारत में प्रेस की बिगड़ती आजादी को भी उजागर किया गया था.
प्रेस मीडिया की आजादी के संबंध में भारत की रैंक 2017 में 136 थी. जो दो स्थान गिरकर 2018 में 138 हो गई. रिपोर्ट में भारत को पत्रकारों के लिए काम करने की सबसे खतरनाक जगह माना गया है।
इस साल फरवरी में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने संसद को बताया कि पिछले चार वर्षों में पत्रकारों पर हमले के लिए 140 लोगों के खिलाफ 200 से अधिक मामले दर्ज किए गए है।
गौरतलब है कि भारत पिछले साल के मुक़ाबले दो पायदान नीचे गिरा है, भारत 138वें नंबर से खिसककर 140वें स्थान पर आ गया है, 2017 में भारत 136वें स्थान पर था यानी यह लगातार हो रही गिरावट है,
रिपोर्ट बताती है कि 2018 में भारत में कम-से-कम छह पत्रकार अपना काम करने की वजह से मारे गए. पूरी रिपोर्ट आप यहां पढ़ सकते हैं।
पत्रकारों की आवाज़ दबाए जाने के बारे में रिपोर्ट कहती है, "सरकार की आलोचना करने वाले पत्रकारों के खिलाफ़ आपराधिक मामले दर्ज किए जाते हैं, कुछ मामलों में तो राजद्रोह का केस दर्ज किया जाता है जिसमें आजीवन कारावास की सज़ा हो सकती है।
जिसको लेकर मुंबई प्रेस क्लब के अध्यक्ष गुरबिर सिंह के नेतृत्व में पत्रकारों पर हो रहें हमलों को लेकर प्रदर्शन किया गया और साथ ही केन्द्र सरकार को आलोचनाओं का शिकार होना पड़ा।
बतादे की फरवरी में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने संसद को बताया कि पिछले चार वर्षों में पत्रकारों पर हमले के लिए 140 लोगों के खिलाफ 200 से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं। दुनिया भर में बोलने की स्वतंत्रता पर अपनी वार्षिक रिपोर्ट में भारत में प्रेस की बिगड़ती आजादी को भी उजागर किया गया था.
प्रेस मीडिया की आजादी के संबंध में भारत की रैंक 2017 में 136 थी. जो दो स्थान गिरकर 2018 में 138 हो गई. रिपोर्ट में भारत को पत्रकारों के लिए काम करने की सबसे खतरनाक जगह माना गया है।
इस साल फरवरी में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने संसद को बताया कि पिछले चार वर्षों में पत्रकारों पर हमले के लिए 140 लोगों के खिलाफ 200 से अधिक मामले दर्ज किए गए है।
गौरतलब है कि भारत पिछले साल के मुक़ाबले दो पायदान नीचे गिरा है, भारत 138वें नंबर से खिसककर 140वें स्थान पर आ गया है, 2017 में भारत 136वें स्थान पर था यानी यह लगातार हो रही गिरावट है,
रिपोर्ट बताती है कि 2018 में भारत में कम-से-कम छह पत्रकार अपना काम करने की वजह से मारे गए. पूरी रिपोर्ट आप यहां पढ़ सकते हैं।
पत्रकारों की आवाज़ दबाए जाने के बारे में रिपोर्ट कहती है, "सरकार की आलोचना करने वाले पत्रकारों के खिलाफ़ आपराधिक मामले दर्ज किए जाते हैं, कुछ मामलों में तो राजद्रोह का केस दर्ज किया जाता है जिसमें आजीवन कारावास की सज़ा हो सकती है।
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