भिवंडी। एम हुसेन। श्री राजस्थान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ के तत्वावधान में भिवंडी के भगवान महावीर रोड स्थित महावीर भवन के गुरु श्रेष्ठ पुष्कर देवेंद्र दरबार में विराजित राष्ट्रसंत,उपप्रवर्तक, पूज्य गुरुदेव श्री नरेश मुनि म.सा. ने धर्म सभा को संबोधित करते हुये कहा कि सफलता हर किसी व्यक्ति का सपना है। व्यक्ति किसी भी क्षेत्र में कार्यरत हो उसकी यह कामना अवश्य होती है कि वह अपने जीवन में सफलताओं के शिखर का स्पर्श करे। सफलताएं न तो आकाश से टपककर आती हैं और न ही जमीन को फाड़कर। प्रत्येक सफल व्यक्ति के जीवन में कुछ ऐसे उसूल और कार्य होते हैं जो उसके तकदीर के बंद दरवाजों को खोलने में सफल हो जाते हैं।
उपपरवर्तक श्रीजी ने इसी बात को आगे बढ़ाते हुये कहा कि सफलता के श्रेष्ठ परिणामों तक पहुंचना कठिन भले ही लगे पर जो उन्नत लक्ष्य,निरंतर प्रयास,सही कार्य योजना और दृढ इच्छाशक्ति को अपने साथ लेकर चलते हैं, किस्मत उनकी हथेली में सफलता के हस्ताक्षर स्वंयमेव कर देती है। कामयाबी का रहस्य हमारे श्रम,संघर्ष और कर्मयोग में ही छिपा है, जो कर्मयोग से जी नहीं चुराते कामयाबी स्वंय उनके चरण चूमती है। सफलता का संबंध केवल व्यवसाय और कार्यक्षेत्र से नही है, जीवन के सुख शांति,समृद्धि और आनंद भी सफलता के ही मायने हैं।
शासनरत्न युवामनीषी मुनिश्री शालिभद्रजी म.सा. ने कहा कि आपके पास सत्ता,सभ्यता,संस्कृति,संपत्ति सब कुछ है लेकिन चेहरे पर हंसी नहीं है, प्रसन्नता नही है। हम संत हैं, हम तो एनी टाइम हैपी-हैपी रहते हैं। हम कह सकते हैं कि आई एम वेरी वेरी हैपी। उन्होंने कहा कि आपलोग 50 लाख का टर्नओवर करते हैं, फिर भी दिल में शांति नहीं है आपका भाग्यरूपी सूर्य शिखर पर पहुंचा है फिर भी जीवन में न सुख है, न शांति है और न ही प्रसन्नता है।
जिनशासन प्रभाविका गुरूवर्या डॉ. श्री दर्शनप्रभाजी म.सा. ने कहा की कुछ स्थान ऐसे हैं जहां कोई जाना नही पसंद करता है। रेगिस्तान में कोई जाना नहीं चाहता, क्योंकि वहां पानी की कमी होती है। जंगल में भी कोई नहीं जाना चाहता क्योंकि वहां सलामती नही है, जंगल में कोई सुरक्षा नही है, हॉस्पिटल में भी कोई नही जाना चाहता, हॉस्पिटल में तो लोग मजबूरी में जाते हैं क्योंकि वहां स्वास्थ्य नही है। श्मशान भी कोई जाना नहीं पसंद करता क्योंकि वहां जीवन नही है। मेंटल हॉस्पिटल में तो कोई बिलकुल नही जाना चाहता है क्योंकि वह समझबुद्धि नही है। और अंत में जेल में भी कोई नही जाना चाहता है क्योंकि वहां स्वतंत्रा नही है, हर व्यक्ति आज़ादी चाहता है। लक्ष्मीलाल दोषी ने बताया कि आज की धर्मसभा में ठाणे कल्याण,पनवेल,खानदेश,सिंधुदुर्ग एवं चेन्नई आदि क्षेत्रों से गुरु भक्त उपस्थित थे। इस धर्मसभा में मुंबई के धारावी से पधारे गुरुभक्त नरपत विनायलिया एवं बहन रोहाना विनायलिया अट्ठाइस तप के प्रत्यास्थान लिया। धर्मसभा का संचालन संघमंत्री अशोक बाफना ने किया।
उपपरवर्तक श्रीजी ने इसी बात को आगे बढ़ाते हुये कहा कि सफलता के श्रेष्ठ परिणामों तक पहुंचना कठिन भले ही लगे पर जो उन्नत लक्ष्य,निरंतर प्रयास,सही कार्य योजना और दृढ इच्छाशक्ति को अपने साथ लेकर चलते हैं, किस्मत उनकी हथेली में सफलता के हस्ताक्षर स्वंयमेव कर देती है। कामयाबी का रहस्य हमारे श्रम,संघर्ष और कर्मयोग में ही छिपा है, जो कर्मयोग से जी नहीं चुराते कामयाबी स्वंय उनके चरण चूमती है। सफलता का संबंध केवल व्यवसाय और कार्यक्षेत्र से नही है, जीवन के सुख शांति,समृद्धि और आनंद भी सफलता के ही मायने हैं।
शासनरत्न युवामनीषी मुनिश्री शालिभद्रजी म.सा. ने कहा कि आपके पास सत्ता,सभ्यता,संस्कृति,संपत्ति सब कुछ है लेकिन चेहरे पर हंसी नहीं है, प्रसन्नता नही है। हम संत हैं, हम तो एनी टाइम हैपी-हैपी रहते हैं। हम कह सकते हैं कि आई एम वेरी वेरी हैपी। उन्होंने कहा कि आपलोग 50 लाख का टर्नओवर करते हैं, फिर भी दिल में शांति नहीं है आपका भाग्यरूपी सूर्य शिखर पर पहुंचा है फिर भी जीवन में न सुख है, न शांति है और न ही प्रसन्नता है।
जिनशासन प्रभाविका गुरूवर्या डॉ. श्री दर्शनप्रभाजी म.सा. ने कहा की कुछ स्थान ऐसे हैं जहां कोई जाना नही पसंद करता है। रेगिस्तान में कोई जाना नहीं चाहता, क्योंकि वहां पानी की कमी होती है। जंगल में भी कोई नहीं जाना चाहता क्योंकि वहां सलामती नही है, जंगल में कोई सुरक्षा नही है, हॉस्पिटल में भी कोई नही जाना चाहता, हॉस्पिटल में तो लोग मजबूरी में जाते हैं क्योंकि वहां स्वास्थ्य नही है। श्मशान भी कोई जाना नहीं पसंद करता क्योंकि वहां जीवन नही है। मेंटल हॉस्पिटल में तो कोई बिलकुल नही जाना चाहता है क्योंकि वह समझबुद्धि नही है। और अंत में जेल में भी कोई नही जाना चाहता है क्योंकि वहां स्वतंत्रा नही है, हर व्यक्ति आज़ादी चाहता है। लक्ष्मीलाल दोषी ने बताया कि आज की धर्मसभा में ठाणे कल्याण,पनवेल,खानदेश,सिंधुदुर्ग एवं चेन्नई आदि क्षेत्रों से गुरु भक्त उपस्थित थे। इस धर्मसभा में मुंबई के धारावी से पधारे गुरुभक्त नरपत विनायलिया एवं बहन रोहाना विनायलिया अट्ठाइस तप के प्रत्यास्थान लिया। धर्मसभा का संचालन संघमंत्री अशोक बाफना ने किया।
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