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पिंपरी-चिंचवड़ के सहायक आयुक्त प्रवीण आष्टीकर को शासन द्वारा भिवंडी मनपा का नया आयुक्त नियुक्त किया गया है। भिवंडी मनपा आयुक्त का अतिरिक्त पदभार यहां के अतिरिक्त आयुक्त अशोककुमार रणखांब को दिया गया था लेकिन राज्य के उप सचिव एस.एस.गोखले ने प्रवीण आष्टीकर को मनपा आयुक्त नियुक्त किए जाने का एक आदेश जारी करके आयुक्त के लिए चल रही उहापोह का पटाक्षेप कर दिया है।
गौरतलब है कि पूर्व 30 जून 019 को मनपा आयुक्त मनोहर हिरे के सेवानिवृत होने के बाद उल्हासनगर मनपा आयुक्त सुधाकर देशमुख को भिवंडी मनपा आयुक्त का अतिरिक्त पदभार दिया गया था जिसके एक सप्ताह बाद ही भिवंडी के अतिरिक्त आयुक्त अशोककुमार रणखांब को मनपा आयुक्त का भी अतिरिक्त पदभार सौंप दिया गया था। अशोकुमार रणखांब जल्द ही सेवानिवृत होने वाले हैं जिससे यह कयास लगाया जा रहा था कि शायद अशोककुमार रणखांब को ही मनपा आयुक्त का भी पदभार दे दिया जाएगा। लेकिन 16 अगस्त को ही राज्य के उप सचिव एस.एस.गोखले द्वारा प्रवीण आष्टीकर को भिवंडी मनपा आयुक्त नियुक्त कर दिया गया है।
ज्ञात हो कि राज्य सरकार द्वारा भिवंडी मनपा के साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है। भिवंडी के विकास की तरफ कोई ध्यान न देने के कारण राज्य की 26 महानगर पालिकाओं में सबसे खराब दशा भिवंडी मनपा की है।पूर्व सन 2014 से 2019 के दरम्यान में पांच वर्षों में सरकार द्वारा भिवंडी मनपा को आठ आयुक्त दिया गया है। जिसमें जीवन सोनावणे,बालाजी खतगांवकर,ई.रवींद्रन, डॉ. योगेश म्हसे,मनोहर हिरे,सुधाकर देशमुख,अशोकुमार रणखांब और अब प्रवीण आष्टीकर सहित आठ अधिकारियों को आयुक्त का पदभार दिया गया था। जिसमें तीन अधिकारियों को आयुक्त का अतिरिक्त प्रभार दिया गया था। नियमानुसार प्रत्येक अधिकारी को कम से कम तीन वर्ष का समय दिया जाना चाहिए। लेकिन भिवंडी मनपा के लिए ऐसा नहीं है।
सरकार द्वारा किसी भी आयुक्त को तीन वर्ष का कार्यकाल पूरा नहीं करने दिया गया है।
स्थानीय नागरिकों का मानना है कि एक भी आयुक्त को अपना कार्यकाल पूरा न कर पाने के कारण उसका असर भिवंडी के विकास कार्यों पर पड़ा है। क्योंकि जब तक कोई आयुक्त यहां के विकास कामों को गति देता था तब तक किसी न किसी राजनैतिक दबाव के चलते उसका ट्रांसफर कर दिया गया। विकास काम ठप्प होने के कारण यहां के नागरिकों को जहां उनकी मूलभूत सुविधाएं भी नहीं मिल पा रही हैं। वहीं यहां की सभी सड़कें गड्ढों से भरी पड़ी हैं बल्कि गड्ढों वाला बन गया है। नागरिकों को पीने के लिए स्वच्छ व पर्याप्त पानी नियमित नही मिल पा रहा है, पूरे शहर में गंदगी का साम्राज्य है। सड़कों के किनारे जगह-जगह कचरों का अंबार लगा हुआ है जिससे भिवंडी वासी विभिन्न प्रकार की बीमारियों से परेशान है। लेकिन इस शहर के दुःख दर्द को समझने के लिए सरकार में बैठे अधिकारियों को मानव जैसे कोई रूचि नहीं है जो एक गंभीर समस्या बनी हुई है।
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