पीलो पानी मशीन, विकेन्द्रीय एसटीपी प्लांट, जियो ट्यूब तकनीक पर हुई चर्चा
ऋषिकेश, ( ओम रतूड़ी)। परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला की भेंटवार्ता हुई।
स्वामी चिदानंद ने पर्यावरण संरक्षण का प्रतीक रूद्राक्ष का पौधा भेंट कर माननीय लोकसभा अध्यक्ष का स्वागत किया।
स्वामी चिदानंद ने ओम बिरला से पीलो स्वच्छ जल मशीन, विकेन्द्रीय एसटीपी प्लांट, जियो ट्यूब तकनीक आदि संयत्रों पर विस्तृत चर्चा की कि इन संयत्रों का उपयोग कर हम भारत को काफी हद तक स्वच्छ कर सकते है। उन्होने कहा कि देश के भीड़-भाड़ वाले स्थानों और सरकारी भवनों पर पीलो पानी मशीन और एस टी पी प्लांट को लगाया जाये तो विलक्षण परिवर्तन हो सकता है। जियो ट्यूब तकनीक के माध्यम से हम देश की प्राणवाहिनी नदियों में गिरते नालों के जल को स्वच्छ किया जा सकता है। साथ ही देश में सद्भाव और समरसता का वातावरण बना रहे इस पर भी चर्चा की। स्वामी चिदानंद ने कहा कि हमें आज की युवा पीढ़ी को स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण के संस्कारों से पोषित करना होगा ताकि बाहर और भीतर दोनों स्तरों पर स्वच्छ और समृद्ध समाज का निर्माण हो सके।
स्वामी चिदानंद ने परमार्थ निकेतन में प्रतिवर्ष होने वाले अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव में सहभाग हेतु माननीय बिड़ला को आमंत्रित किया तथा उन्हें योग स्मारिका और जर्नी आॅफ पीस पुस्तक भेंट की।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने कहा कि हमने कल ही माननीय प्रधानमंत्री जी और मंत्री गणों के साथ मिलकर संसद परिसर में रूद्राक्ष का पौधा रोपित किया था। आज आपके द्वारा मुझे रूद्राक्ष का दिव्य पौधा भेंट स्वरूप प्राप्त हुआ यह मेरे लिये आपका आशीर्वाद है।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि ’’वर्तमान में समरसता के माहौल की इस मुल्क को जरूरत है। भारत एक गुलदस्ते की तरह है जहां पर सभी धर्मो के लोग एक साथ गुलदस्ते के फूलों की तरह रहते है। इसी प्रकार ऊँच-नीच की दीवारों को मिटाते हुये और दरारों को भरते हुये आगे बढ़ने की जरूरत है।’’
स्वामी चिदानंद ने कहा कि अपने कल्चर; नेचर और फ्यूचर को श्रेष्ठ बनाने के लिये मिलकर कार्य करना होगा हमारा कल्चर है ’’संगच्छध्वं संवदध्वं, सं वो मनांअसि जानताम्, देवा भागं यथा पूर्वे, सजांनाना उपासते’’ के इन मंत्रों के साथ आगे बढे़। अर्थात हम साथ-साथ चले, साथ-साथ मिलकर रहे, हम सब के मन और हृदय एक हो, मतभेद भले ही हो परन्तु मनभेद न हो। सब मन से एक-दूसरे के साथ जुड़े रहे, एक-दूसरे को समझने और निकट आने का प्रयास करे; शंका से नहीं श्रद्धा से आगे बढ़े और सभी मिलकर शान्ति के लिये कार्य करे और आगे बढ़े। हमारे देश का विकास ग्रीन, पालिथिन और प्लास्टिक से मुक्त हो जिससे आने वाली पीढ़ियों को एक स्वच्छ भविष्य प्राप्त हो सके तथा उन्हें इस ग्रीन संदेश के साथ ग्रीन धरती, ग्रीन प्रकृति और स्वच्छ पर्यावरण प्राप्त हो सके।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती महाराज ने श्री ओम बिड़ला जी को सपरिवार परमार्थ गंगा तट पर होने वाली गंगा आरती में सहभाग हेतु आमंत्रित किया। उन्होने सहर्ष आमंत्रण को स्वीकार किया तथा रूद्राक्ष का पवित्र पौधा भेंट किया।
ऋषिकेश, ( ओम रतूड़ी)। परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला की भेंटवार्ता हुई।
स्वामी चिदानंद ने पर्यावरण संरक्षण का प्रतीक रूद्राक्ष का पौधा भेंट कर माननीय लोकसभा अध्यक्ष का स्वागत किया।
स्वामी चिदानंद ने ओम बिरला से पीलो स्वच्छ जल मशीन, विकेन्द्रीय एसटीपी प्लांट, जियो ट्यूब तकनीक आदि संयत्रों पर विस्तृत चर्चा की कि इन संयत्रों का उपयोग कर हम भारत को काफी हद तक स्वच्छ कर सकते है। उन्होने कहा कि देश के भीड़-भाड़ वाले स्थानों और सरकारी भवनों पर पीलो पानी मशीन और एस टी पी प्लांट को लगाया जाये तो विलक्षण परिवर्तन हो सकता है। जियो ट्यूब तकनीक के माध्यम से हम देश की प्राणवाहिनी नदियों में गिरते नालों के जल को स्वच्छ किया जा सकता है। साथ ही देश में सद्भाव और समरसता का वातावरण बना रहे इस पर भी चर्चा की। स्वामी चिदानंद ने कहा कि हमें आज की युवा पीढ़ी को स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण के संस्कारों से पोषित करना होगा ताकि बाहर और भीतर दोनों स्तरों पर स्वच्छ और समृद्ध समाज का निर्माण हो सके।
स्वामी चिदानंद ने परमार्थ निकेतन में प्रतिवर्ष होने वाले अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव में सहभाग हेतु माननीय बिड़ला को आमंत्रित किया तथा उन्हें योग स्मारिका और जर्नी आॅफ पीस पुस्तक भेंट की।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने कहा कि हमने कल ही माननीय प्रधानमंत्री जी और मंत्री गणों के साथ मिलकर संसद परिसर में रूद्राक्ष का पौधा रोपित किया था। आज आपके द्वारा मुझे रूद्राक्ष का दिव्य पौधा भेंट स्वरूप प्राप्त हुआ यह मेरे लिये आपका आशीर्वाद है।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि ’’वर्तमान में समरसता के माहौल की इस मुल्क को जरूरत है। भारत एक गुलदस्ते की तरह है जहां पर सभी धर्मो के लोग एक साथ गुलदस्ते के फूलों की तरह रहते है। इसी प्रकार ऊँच-नीच की दीवारों को मिटाते हुये और दरारों को भरते हुये आगे बढ़ने की जरूरत है।’’
स्वामी चिदानंद ने कहा कि अपने कल्चर; नेचर और फ्यूचर को श्रेष्ठ बनाने के लिये मिलकर कार्य करना होगा हमारा कल्चर है ’’संगच्छध्वं संवदध्वं, सं वो मनांअसि जानताम्, देवा भागं यथा पूर्वे, सजांनाना उपासते’’ के इन मंत्रों के साथ आगे बढे़। अर्थात हम साथ-साथ चले, साथ-साथ मिलकर रहे, हम सब के मन और हृदय एक हो, मतभेद भले ही हो परन्तु मनभेद न हो। सब मन से एक-दूसरे के साथ जुड़े रहे, एक-दूसरे को समझने और निकट आने का प्रयास करे; शंका से नहीं श्रद्धा से आगे बढ़े और सभी मिलकर शान्ति के लिये कार्य करे और आगे बढ़े। हमारे देश का विकास ग्रीन, पालिथिन और प्लास्टिक से मुक्त हो जिससे आने वाली पीढ़ियों को एक स्वच्छ भविष्य प्राप्त हो सके तथा उन्हें इस ग्रीन संदेश के साथ ग्रीन धरती, ग्रीन प्रकृति और स्वच्छ पर्यावरण प्राप्त हो सके।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती महाराज ने श्री ओम बिड़ला जी को सपरिवार परमार्थ गंगा तट पर होने वाली गंगा आरती में सहभाग हेतु आमंत्रित किया। उन्होने सहर्ष आमंत्रण को स्वीकार किया तथा रूद्राक्ष का पवित्र पौधा भेंट किया।
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