उल्लेखनीय है कि पीरानीपाड़ा स्थित मौजे नागांव सर्वे क्रमांक-98/20 की जमीन में पुराने घर क्रमांक-2431 पर भवन निर्माता मो. तालिब शेख द्वारा अवैध रूप से भूमितल के अलावा पांच महले की अवैध इमारत बनाई गई थी। स्थानीय निवासी मो.सिद्दीक मोमिन द्वारा अवैध इमारत बनाने की शिकायत मनपा से किया गया था।परंतु मनपा अधिकारियों ने उनकी शिकायत पर जब कोई कार्रवाई नहीं की तो उन्होंने उच्च न्यायालय में एक याचिका दाखिल कर दिया था। जिसकी सुनवाई करते हुये उच्च न्यायालय ने अवैध रूप से बनाई गई उक्त अवैध इमारत को ध्वस्त करने का आदेश मनपा को दिया था।
लेकिन उस अवैध इमारत के भवन निर्माता मो. तालिब शेख पर कांग्रेस के स्थानीय नगरसेवक एवं मनपा अधिकारियों का वरदहस्त होने के कारण प्रभाग समिति क्रमांक दो के अधिकारियों ने उच्च न्यायालय को फोटो दिखाने के लिये अवैध इमारत को तोड़ने का काम शुरू कर दिया था। जिसे बाद में बंद कर दिया था। दिखावे के लिये तोड़ने की कार्रवाई करने की जानकारी मिलने के बाद उच्च न्यायालय ने मनपा को कड़ी फटकार लगाते हुये एक सप्ताह के अंदर इमारत को ध्वस्त करके रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया था।
राजनैतिक दबाव के चलते अवैध इमारत को तोड़ने के नाम पर दिखावा करके भिवंडी न्यायालय,उच्च न्यायालय एवं उच्चतम न्यायालय को गलत जानकारी देकर न्यायालय को दिशाभूल करने की जानकारी मिलने पर मुंबई उच्च न्यायालय के न्यायाधीश एस.सी.धर्माधिकारी एवं न्यायाधीश जी.एस.पटेल ने अवैध निर्माण करने वाले भवन निर्माता मो.तालिब शेख के विरुद्ध भूमि राजस्व अधिनियम के तहत 10 लाख रूपये का दंड लगा दिया है। न्यायधीश ने दंड की रकम को तीन सप्ताह के अंदर भवन निर्माता से वसूल करके उसकी रिपोर्ट न्यायालय में प्रस्तुत करने का आदेश दिया है। न्यायाधीश ने अवैध निर्माण के मामले में प्रभाग समिति क्रमांक दो के सहायक आयुक्त सुनील भोईर एवं उपायुक्त मुख्यालय दीपक कुरलेकर की संदिग्ध भूमिका पर भी नराजगी व्यक्त की है।
उक्त संदर्भ में विरोधी पक्ष नेता - श्याम अग्रवाल ने कहा कि
अवैध इमारत को संरक्षण देने वाले सहायक आयुक्त सहित इसमें शामिल सभी अधिकारियों के विरुद्ध मनपा प्रशासन को निलंबन की कार्रवाई करनी चाहिये।
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