अभी तक किया जा चुका है 150 परिवारों का सर्वेक्षण ।
भिवंडी।एम हुसेन। विक्रमगढ़,जव्हार,मोखाड़ा एवं तलासरी तालुका सहित नासिक पट्टे से रोजगार की तलाश में स्थलांतरित होकर भिवंडी के अंबाड़ी क्षेत्र में आने वाले आदिवासी मजदूरों एवं किसान परिवारों का श्रमजीवी संगठन द्वारा सर्वेक्षण किया जा रहा है। लगभग 150 परिवारों का सर्वेक्षण किया जा चुका है, जो रोजगार की तलाश में अपना घर छोड़कर परिवार के साथ यहां आते हैं ।
बतादें कि वाड़ा,विक्रमगढ़,जव्हार एवं मोखाड़ा सहित नासिक पट्टे के आदिवासी मजदूरों एवं किसानों के पास रोजगार का कोई साधन न होने के कारण खेती का काम पूरा होने के बाद वहां के आदिवासी सैंकड़ों की संख्या में मजदूरी करने के लिए निकल पड़ते हैं। प्रति वर्ष हो रहे आदिवासियों के पलायन को रोकने के लिए सरकार द्वारा करोड़ों रुपए खर्च करके रोजगार गारंटी योजना के तहत काम मंजूर किया जाता है। लेकिन आदिवासियों को रोजगार गारंटी योजना के तहत कार्ड मिलने के बावजूद उन्हें काम नही मिल पाता है। जिसकारण खेती का काम खत्म होते ही आदिवासी मजदूर प्रत्येक वर्ष परिवार के साथ अपने गांव से शहर की ओर निकल पड़ते हैं। ये आदिवासी मजदूर पिछले कई वर्षों से भिवंडी तालुका के अंबाड़ी क्षेत्र में रोजगार की तलाश में आकर रहते हैं। सैकड़ों की संख्या में प्रत्येक वर्ष स्थालांतिरत होकर आने वाले इन आदिवासी मजदूरों एवं किसानों के बारे में सरकार द्वारा ध्यान नहीं दिया जा रहा है।जिसके कारण श्रमजीवी संगठन के संस्थापक विवेक पंडित के मार्गदर्शन में महासचिव बालाराम भोईर के नेतृत्व में संगठन के जयेश पाटिल,आशा भोईर,ममता परेड,आकाश भोईर,ओमकार पारधी सहित अन्य पदाधिकारियों द्वारा स्थालांतिरत होने वाले आदिवासी मजदूरों का सर्वेक्षण किया जा रहा है। श्रमजीवी संगठन द्वारा प्राप्त जानकारी के अनुसार आदिवासी मजदूरों को न्याय एवं रोजगार दिलाने के उद्देश्य से अब तक लगभग 150 परिवारों का सर्वेक्षण किया जा चुका है।
भिवंडी।एम हुसेन। विक्रमगढ़,जव्हार,मोखाड़ा एवं तलासरी तालुका सहित नासिक पट्टे से रोजगार की तलाश में स्थलांतरित होकर भिवंडी के अंबाड़ी क्षेत्र में आने वाले आदिवासी मजदूरों एवं किसान परिवारों का श्रमजीवी संगठन द्वारा सर्वेक्षण किया जा रहा है। लगभग 150 परिवारों का सर्वेक्षण किया जा चुका है, जो रोजगार की तलाश में अपना घर छोड़कर परिवार के साथ यहां आते हैं ।
बतादें कि वाड़ा,विक्रमगढ़,जव्हार एवं मोखाड़ा सहित नासिक पट्टे के आदिवासी मजदूरों एवं किसानों के पास रोजगार का कोई साधन न होने के कारण खेती का काम पूरा होने के बाद वहां के आदिवासी सैंकड़ों की संख्या में मजदूरी करने के लिए निकल पड़ते हैं। प्रति वर्ष हो रहे आदिवासियों के पलायन को रोकने के लिए सरकार द्वारा करोड़ों रुपए खर्च करके रोजगार गारंटी योजना के तहत काम मंजूर किया जाता है। लेकिन आदिवासियों को रोजगार गारंटी योजना के तहत कार्ड मिलने के बावजूद उन्हें काम नही मिल पाता है। जिसकारण खेती का काम खत्म होते ही आदिवासी मजदूर प्रत्येक वर्ष परिवार के साथ अपने गांव से शहर की ओर निकल पड़ते हैं। ये आदिवासी मजदूर पिछले कई वर्षों से भिवंडी तालुका के अंबाड़ी क्षेत्र में रोजगार की तलाश में आकर रहते हैं। सैकड़ों की संख्या में प्रत्येक वर्ष स्थालांतिरत होकर आने वाले इन आदिवासी मजदूरों एवं किसानों के बारे में सरकार द्वारा ध्यान नहीं दिया जा रहा है।जिसके कारण श्रमजीवी संगठन के संस्थापक विवेक पंडित के मार्गदर्शन में महासचिव बालाराम भोईर के नेतृत्व में संगठन के जयेश पाटिल,आशा भोईर,ममता परेड,आकाश भोईर,ओमकार पारधी सहित अन्य पदाधिकारियों द्वारा स्थालांतिरत होने वाले आदिवासी मजदूरों का सर्वेक्षण किया जा रहा है। श्रमजीवी संगठन द्वारा प्राप्त जानकारी के अनुसार आदिवासी मजदूरों को न्याय एवं रोजगार दिलाने के उद्देश्य से अब तक लगभग 150 परिवारों का सर्वेक्षण किया जा चुका है।
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