महाराष्ट्र की जनता को सेवा अधिकार प्रदान करानेवाला क्रांतिकारी ऐसा अधिकार "महाराष्ट्र लोकसेवा अधिकार अधिनियम-२०१५" यानी राइट टू सर्विस एक्ट यह करीब करीब सभी सरकारी और निम्म सरकारी यंत्रणा को लागू किया गया हैं लेकिन मुख्यमंत्री की अध्यक्षतावाली एमएमआरडीए प्राधिकरण को यह आरटीएस कानून लागू नहीं था। आरटीआई कार्यकरता अनिल गलगली की शिकायत कम सुझाव के बाद एमएमआरडीए प्राधिकरण ने आरटीएस कानून प्राधिकरणास को लागू कर दिया हैं।
आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने दिनांक ७ अक्टूबर २०१७ को मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और एमएमआरडीए प्राधिकरण के महानगर आयुक्त को लिखित पत्र भेजकर "महाराष्ट्र लोकसेवा अधिकार अधिनियम-२०१५" यह कानून एमएमआरडीए प्राधिकरण में लागू करने की मांग की थी। दिनांक १५ जनवरी २०१८ को एमएमआरडीए प्राधिकरण ने अनिल गलगली की मांग को मंजुरी देते हुए बताया कि "महाराष्ट्र लोकसेवा अधिकार अधिनियम-२०१५" यह कानून मुंबई महानगर प्रदेश विकास प्राधिकरण को लागू करने के लिए कारवाई शुरु कर दी हैं। दिनांक १८ मई २०१८ को अनिल गलगली को कर्मचारी वर्ग अधिकारी महेश भोई ने बताया कि "महाराष्ट्र लोकसेवा अधिकार अधिनियम-२०१५" यह कानून लागू कर दिया हैं। "महाराष्ट्र लोकसेवा अधिकार अधिनियम-२०१५" अंतर्गत धारा ३(२) के अनुसार प्राधिकरण द्वारा मुहैय्या करनेवाले लोकसेव की लिस्ट,नियत कालमर्यादा तथा सेवा मुहैय्या कराने की जिम्मेदारी जिसपर निश्चित की हैं वह पदनिर्देशित अधिकारी, प्रथम एवं द्वितीय अपील अधिकारी की विभाग स्तर पर सूचना संकलित की गई हैं और उसकी जानकारी एमएमआरडीए प्राधिकरण के वेबसाइट पर प्रदर्शित की गई हैं। साथ ही विहित फ़ॉर्मेट में जानकारी, अधिकारियों के नाम, पुरानी और नई बिल्डिंग के प्रवेशद्वार समीप बोर्ड पर प्रसिद्ध की जाएगी।
एमएमआरडीए प्राधिकरण के अंतर्गत मौजूद सेवा अब नियत कालमर्यादा में मिलेगी और देरी एवं नजरअंदाजी करनेवाले अधिकारियों पर कारवाई होगी, यह कहते हुए अनिल गलगली ने कहा कि अब इसके आगे नागरिकों को एमएमआरडीए संबंधित सेवा के लिए मुख्यमंत्री या वरिष्ठ अधिकारियों के पास बार बार जाने के लिए जरुरत नहीं आन पड़ेगीं। इसके अलावा पत्रव्यवहार करने वाले नागरिकों को ३० दिन के भीतर पत्र पट की गई कारवाई की जानकारी मिलेगी। इसलिए सेवा अधिकार कानून का अधिकाधिक इस्तेमाल करने की अपील नागरिकों से अनिल गलगली ने आखिर में की हैं।
आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने दिनांक ७ अक्टूबर २०१७ को मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और एमएमआरडीए प्राधिकरण के महानगर आयुक्त को लिखित पत्र भेजकर "महाराष्ट्र लोकसेवा अधिकार अधिनियम-२०१५" यह कानून एमएमआरडीए प्राधिकरण में लागू करने की मांग की थी। दिनांक १५ जनवरी २०१८ को एमएमआरडीए प्राधिकरण ने अनिल गलगली की मांग को मंजुरी देते हुए बताया कि "महाराष्ट्र लोकसेवा अधिकार अधिनियम-२०१५" यह कानून मुंबई महानगर प्रदेश विकास प्राधिकरण को लागू करने के लिए कारवाई शुरु कर दी हैं। दिनांक १८ मई २०१८ को अनिल गलगली को कर्मचारी वर्ग अधिकारी महेश भोई ने बताया कि "महाराष्ट्र लोकसेवा अधिकार अधिनियम-२०१५" यह कानून लागू कर दिया हैं। "महाराष्ट्र लोकसेवा अधिकार अधिनियम-२०१५" अंतर्गत धारा ३(२) के अनुसार प्राधिकरण द्वारा मुहैय्या करनेवाले लोकसेव की लिस्ट,नियत कालमर्यादा तथा सेवा मुहैय्या कराने की जिम्मेदारी जिसपर निश्चित की हैं वह पदनिर्देशित अधिकारी, प्रथम एवं द्वितीय अपील अधिकारी की विभाग स्तर पर सूचना संकलित की गई हैं और उसकी जानकारी एमएमआरडीए प्राधिकरण के वेबसाइट पर प्रदर्शित की गई हैं। साथ ही विहित फ़ॉर्मेट में जानकारी, अधिकारियों के नाम, पुरानी और नई बिल्डिंग के प्रवेशद्वार समीप बोर्ड पर प्रसिद्ध की जाएगी।
एमएमआरडीए प्राधिकरण के अंतर्गत मौजूद सेवा अब नियत कालमर्यादा में मिलेगी और देरी एवं नजरअंदाजी करनेवाले अधिकारियों पर कारवाई होगी, यह कहते हुए अनिल गलगली ने कहा कि अब इसके आगे नागरिकों को एमएमआरडीए संबंधित सेवा के लिए मुख्यमंत्री या वरिष्ठ अधिकारियों के पास बार बार जाने के लिए जरुरत नहीं आन पड़ेगीं। इसके अलावा पत्रव्यवहार करने वाले नागरिकों को ३० दिन के भीतर पत्र पट की गई कारवाई की जानकारी मिलेगी। इसलिए सेवा अधिकार कानून का अधिकाधिक इस्तेमाल करने की अपील नागरिकों से अनिल गलगली ने आखिर में की हैं।
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