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हसनगंज तहसील इलाके में गेहू के बड़े बड़े कास्तकारों ने खड़ी गेहू की फसल को कम्पाउंड मसीन से कटवा लिया है और बचे हुए फसल के अवसेस भाग को धड़ल्ले से आग लगा कर फूंक रहे है जो कि सरकार के आदेशों को पलीता लगा रहे है जबकि सरकार द्वरा फसल के बचे अवसेसो को जलाना पूर्ण रूप से प्रतिबंधित है और अवशेषों को जलाना पर सरकार द्वारा अर्थदंड भी निर्धारित किया गया है शासन ने इस पर कड़ाई से नियम लागू किये थे यह प्रदूषण को नियंत्रण में करने के लिए किया गया था।

सरकार ने राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण को फसल अवशेष जलाना दण्डनीय अपराध घोषित किया है। जिसके अन्तर्गत शासन ने नियम लागू किया है कि अगर कोई कृषक फसलों की कटाई के उपरान्त बचे हुए फसल अवशेषों को जलाता है तो इस प्रकार से अर्थ दण्ड किया जाएगा। इसके बाद भी बहुत सारे लोग खेतों में ही बगैर किसी डर के अवशेष जला रहे हैं।

ये है अर्थ दंड का प्रावधान

किसान की कृषि भूमि 2 एकड़ से कम होने की दशा में अर्थ दण्ड 2500 रुपये, प्रति घटना लिया जाएगा और 2 एकड़ से अधिक और 5 एकड़ तक होने की दशा में अर्थदण्ड 5000 रुपये है। कृषि भूमि का क्षेत्र 5 एकड़ से अधिक होने की दशा में 15000 रुपये प्रति घटना है। यह सारे दिशा निर्देश राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण नई दिल्ली की ओर से जारी किये गए थे।

ये होते हैं नुकसान

इन अवशेषों के जलाने से होने वाले प्रदूषण से मनुष्य के स्वास्थ्य, संपत्ति की हानि, तनाव, क्रोध तथा जीवन को भारी खतरे की संभावना बनी रहती है। अवशेषों को जलाने से भूमि की उवर्रक क्षमता कम हो जाती है। शत्रु व मित्र किट दोनों प्रकार के जलकर नष्ट हो जाते हैं। इसके साथ-साथ पास की खड़ी फसलें भी आग की चपेट में आ जाती हैं जिस कारण किसानों को भारी खामियाजा भुगतना पड़ता है। इन परिस्थितियों में क्षेत्र में तनाव व जान-माल की हानि से भी इंकार नहीं किया जा सकता।

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