मुंबई। 'इंडियन फेडरेशन ऑफ़ वर्किंग जर्नलिस्ट्स' राजस्थान द्वारा शनिवार २४ फरवरी २०१८ को जयपुर में शिर्डी साईबाबा फेम मशहूर निर्माता व एक्टर आशिम खेत्रपाल को उनकी फिल्म 'बाबा रामसा पीर' के लिए 'राजस्थान इंटीग्रेशन अवार्ड' से सम्मानित किया गया। इस अवसर पर कृषिमंत्री डॉ.प्रभुलाल सैनी, प्रदेश महिला आयोग अध्यक्षा सुमन शर्मा, सांसद रामचरण बोहरा,'इंडियन फेडरेशन ऑफ़ वर्किंग जर्नलिस्ट्स' के प्रदेशाध्यक्ष उपेंद्र सिंह राठौर तथा सभी वरिष्ठ पत्रकार बंधू ने कार्यक्रम में उपस्थित रहकर कार्यक्रम की शोभा बढाई।यह जानकारी आशिम खेत्रपाल ने मुंबई में होटल जुहू प्लाज़ा में पत्रकारों से बातचीत के दौरान २७ फरवरी २०१८ को दी।
शिर्डी साईबाबा से मशहूर और चर्चित हुए निर्माता व एक्टर आशिम खेत्रपाल ने सांप्रदायिक एकता और दलित उत्थान के प्रतिक संत बाबा रामसा पीर के ऊपर फिल्म 'बाबा रामसा पीर' फिल्म बनाया जोकि जनवरी २०१८ में २३५ सिनेमाघरों में रिलीज़ हुई और काफी सफल रही और अभी भी काफी जगहों पर सफलतापूर्वक चल रही है। जिसमें बाबा रामसा पीर की भूमिका आशिम खेत्रपाल ने ही निभाया है और उनके साथ फिल्म में फेमस अभिनेत्री ग्रेसी सिंह है। इस अवार्ड मिलने के बारे में बोलते हुए आशिम खेत्रपाल ने कहा," मैं सभी को धन्यवाद देता हूँ, जिन्होंने यह अवार्ड दिया और सभी दर्शकों का शुक्रिया अदा करता हूँ, जिनकी वजह से में यहाँ तक पंहुचा। आज हमलोग युवा पीढ़ी को ठीक से समय नहीं दे पाते है, जिसकी वजह से उनमें संस्कार, संस्कृति और सभ्यता की काफी कमी है। इस कारण इस तरह की फिल्मे बननी चाहिए। मैं अपनी तरफ से कोशिश करता हूँ और करता रहूँगा।"
शिर्डी साईबाबा से मशहूर और चर्चित हुए निर्माता व एक्टर आशिम खेत्रपाल ने सांप्रदायिक एकता और दलित उत्थान के प्रतिक संत बाबा रामसा पीर के ऊपर फिल्म 'बाबा रामसा पीर' फिल्म बनाया जोकि जनवरी २०१८ में २३५ सिनेमाघरों में रिलीज़ हुई और काफी सफल रही और अभी भी काफी जगहों पर सफलतापूर्वक चल रही है। जिसमें बाबा रामसा पीर की भूमिका आशिम खेत्रपाल ने ही निभाया है और उनके साथ फिल्म में फेमस अभिनेत्री ग्रेसी सिंह है। इस अवार्ड मिलने के बारे में बोलते हुए आशिम खेत्रपाल ने कहा," मैं सभी को धन्यवाद देता हूँ, जिन्होंने यह अवार्ड दिया और सभी दर्शकों का शुक्रिया अदा करता हूँ, जिनकी वजह से में यहाँ तक पंहुचा। आज हमलोग युवा पीढ़ी को ठीक से समय नहीं दे पाते है, जिसकी वजह से उनमें संस्कार, संस्कृति और सभ्यता की काफी कमी है। इस कारण इस तरह की फिल्मे बननी चाहिए। मैं अपनी तरफ से कोशिश करता हूँ और करता रहूँगा।"
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