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कन्नौज,हिन्दुस्तान की आवाज़,अनुराग चौहान

कन्नौज। सिद्वपीठ मां फूलमती देवी मंदिर परिसर में आयोजित शतचण्डी महायज्ञ, श्रीमद भागवत कथा के प्रथम दिन शनिवार को शंकराचार्य मठ भानुपुरा पीठ के युवाचार्य स्वामी ज्ञानान्द तीर्थ ने कहा कि संगत का प्रभाव उतकृष्ठ एवं निकृष्ठ, ऊंचा और नीचा, अच्छा और बुरा दोनों ही होता है। कागज रददी और सनद होता है, कुरान, पुराण, शास्त्र, गुरू ग्रन्थ सभी सनद है, प्रमाण है और रहेंगे। संगत के गुण होहि विशेषा और एक बात जगत नहीं देखा।
युवाचार्य ने कहा कि पारस के छूने से तांवा कंचन अर्थात सोना हो जाता है, चंदन के वन में नीम और पलास का भेद नहीं हो पाता। तेल भी तिल से निकल कर सुगंध खुशबू में मिलकर फुलैल हो जाता है। तिल्ली का तेल सुगंध मिलकर इत्र हो जाता है। नीच होहि उत्तम पर संगी, भ्रंग संग कीटक भयो भ्रंगी। छुद्रक्रीडा भ्रंगी कीडे का संग करके भ्रंगी बन जाता है, धूल मिटटी में लात मारने से मिटटी की धूल सिर माथे पर पहुंच जाती है। स्वाती जी ने कहा कि संग से पुत्र-सपूत-कपूत हो जाता है। कुपुत्र कुल को नष्ट कर देता है, धन को नष्ट करता है यज्ञ सम्मान भी नष्ट कर देता है। धन पुनः प्राप्त किया जा सकता है किन्तु यस सम्मान नष्ट होने पर पुनः प्राप्त नहीं किया जा सकता। संग से गोविन्द गीता, गंगा, गाय, गायत्री के प्रभाव से गोकर्ण विद्वान ज्ञानी होता है। जुआं शराब दुराचार का अन्याय से धुंधकारी बन जाता है आत्मदेव का पुत्र तो ब्रहम्मदेव होता है। शनिवार को नौमिष से पधारे यज्ञाचार्य राधेश्याम मिश्र के संयोजन में अरणि मंथन के साथ सतचण्डी महायज्ञ का शुभारम्भ हुआ। यज्ञ में आहूतियां दी गयीं और श्रद्वालु भक्तों ने परिक्रमा शुरू किया। शुक्रवार को शुरू हुए रामचरित मानस अखण्ड पाठ का आज समापन हुआ राजगददी के बाद सुन्दरकाण्ड पाठ किया गया। इस मौके पर भारी संख्या में श्रद्वालुजन मौजूद रहे।


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