-पहाड़ी ब्लाक के बेलवन नदी पर पुल निर्माण के लिए सांसद और मझवां विधायक के अपने-अपने दावे, जनता असमंजस में
मीरजापुर,हिन्दुस्तान की आवाज, संतोष देव गिरी
मीरजापुर। जिले के पहाड़ी विकास खंड स्थित बेलवन नदी पर पुल निर्माण के लिए प्रस्ताव पास कराकर धन आवंटित कराये जाने के दावे को लेकर सांसद व केन्द्रीय राज्यमंत्री अनुप्रिया पटेल तथा मझवां विधान सभा की विधायक शुचिस्मिता मौर्य के अपने-अपने दावे है। दोनों ही इसका श्रेय लेने में जुटी हुई है। जिससे जनता असमंजस में है कि असल में इस भागीरथ प्रयास का श्रेय किसको जाना चाहिए। वैसे बेलवन गांव मझवां विधान सभा क्षेत्र अन्र्तगत पड़ता है ऐसे में कहा यह जा रहा है कि वास्तव में इसका श्रेय मझवां विधायक को जाता है। लोगों का कहना है कि सांसद चुनावी वर्ष करीब देख फोकट का श्रेय लेने में जुटी हुई है। लोकसभा चुनाव करीब आता देख वह ऐसे ही प्रस्तावों के जरिए लोगों के दिलों में जगह बनाने को आतुर दिखलाई दे रही है। 13.01 करोड़ की लागत से बेलवन पुल निर्माण की प्रशासनिक स्वीकृति प्रदान कराने का दावा किया था। वहीं दूसरी ओर मझवां विधायक शुचिस्मिता मौर्य का दावा है कि उनके अथक प्रयासों से पिछले दो दशकों से उनके विधान सभा क्षेत्र में बेलवन नदी पर पुल निर्माण की बहुप्रतिक्षीत मांग के लिए उन्होंने मुख्यमंत्री व उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य से पुल निर्माण की मांग की थी जिस पर नावार्ड के सहयोग से बेलवन नदी पुल के निर्माण के लिए 13 करोड़ 90 लाख रूपये की स्वीकृति मिली है। बताते चले कि पिछले दो दशकों से एक अदद पुल की मांग करते-करते बेलवन गांव के लोगों सहित आसपास के लोगों की आंखे पथराने लगी थी। सपा और बसपा शासन काल में पुल निर्माण की मांग जोरशोर से उठी थी। तत्कालीन जनप्रतिनिधियों ने पुल निर्माण का दावा करने के साथ जनता को भरोसा भी खुब दिया था, लेकिन पुल बनना तो दूर की बात रही है कोई जल्दी इधर झांकने तक की जहमत नहीं उठाना चाहा है। अब जब पुल निर्माण की बात उठी और धन भी स्वकीकृत हो गया है तो इसके निर्माण का श्रेय लेने की होड़ लग गई है। वैसे बात की जाय क्षेत्र के लोगों की तो उनमें मझवां विधायक के इस प्रयास की जहां प्रशंसा हो रही है वहीं लोगों में हर्ष भी है। लोगों द्वारा चट्टी-चैराहे पर चर्चा करते सुना जा रहा है कि बेलवन नदी पर पुल निर्माण के लिए स्वीकृति प्रदान कराकर विधायक शुचिस्मिता मौर्य ने पिछले दो दशक से परेशानी उठाते आ रहे लोगों को न केवल राहत दिलाने का काम किया है बल्कि क्षेत्रीय लोगों के दिलों में जगह भी बनाने में वह कामयाब हुई हैं।
मीरजापुर,हिन्दुस्तान की आवाज, संतोष देव गिरी
मीरजापुर। जिले के पहाड़ी विकास खंड स्थित बेलवन नदी पर पुल निर्माण के लिए प्रस्ताव पास कराकर धन आवंटित कराये जाने के दावे को लेकर सांसद व केन्द्रीय राज्यमंत्री अनुप्रिया पटेल तथा मझवां विधान सभा की विधायक शुचिस्मिता मौर्य के अपने-अपने दावे है। दोनों ही इसका श्रेय लेने में जुटी हुई है। जिससे जनता असमंजस में है कि असल में इस भागीरथ प्रयास का श्रेय किसको जाना चाहिए। वैसे बेलवन गांव मझवां विधान सभा क्षेत्र अन्र्तगत पड़ता है ऐसे में कहा यह जा रहा है कि वास्तव में इसका श्रेय मझवां विधायक को जाता है। लोगों का कहना है कि सांसद चुनावी वर्ष करीब देख फोकट का श्रेय लेने में जुटी हुई है। लोकसभा चुनाव करीब आता देख वह ऐसे ही प्रस्तावों के जरिए लोगों के दिलों में जगह बनाने को आतुर दिखलाई दे रही है। 13.01 करोड़ की लागत से बेलवन पुल निर्माण की प्रशासनिक स्वीकृति प्रदान कराने का दावा किया था। वहीं दूसरी ओर मझवां विधायक शुचिस्मिता मौर्य का दावा है कि उनके अथक प्रयासों से पिछले दो दशकों से उनके विधान सभा क्षेत्र में बेलवन नदी पर पुल निर्माण की बहुप्रतिक्षीत मांग के लिए उन्होंने मुख्यमंत्री व उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य से पुल निर्माण की मांग की थी जिस पर नावार्ड के सहयोग से बेलवन नदी पुल के निर्माण के लिए 13 करोड़ 90 लाख रूपये की स्वीकृति मिली है। बताते चले कि पिछले दो दशकों से एक अदद पुल की मांग करते-करते बेलवन गांव के लोगों सहित आसपास के लोगों की आंखे पथराने लगी थी। सपा और बसपा शासन काल में पुल निर्माण की मांग जोरशोर से उठी थी। तत्कालीन जनप्रतिनिधियों ने पुल निर्माण का दावा करने के साथ जनता को भरोसा भी खुब दिया था, लेकिन पुल बनना तो दूर की बात रही है कोई जल्दी इधर झांकने तक की जहमत नहीं उठाना चाहा है। अब जब पुल निर्माण की बात उठी और धन भी स्वकीकृत हो गया है तो इसके निर्माण का श्रेय लेने की होड़ लग गई है। वैसे बात की जाय क्षेत्र के लोगों की तो उनमें मझवां विधायक के इस प्रयास की जहां प्रशंसा हो रही है वहीं लोगों में हर्ष भी है। लोगों द्वारा चट्टी-चैराहे पर चर्चा करते सुना जा रहा है कि बेलवन नदी पर पुल निर्माण के लिए स्वीकृति प्रदान कराकर विधायक शुचिस्मिता मौर्य ने पिछले दो दशक से परेशानी उठाते आ रहे लोगों को न केवल राहत दिलाने का काम किया है बल्कि क्षेत्रीय लोगों के दिलों में जगह भी बनाने में वह कामयाब हुई हैं।
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