-किसानों द्वारा आलू न निकालने पर कोल्ड स्वामी सडकों पर फिकवा रहे हैं आलू, जिससे संक्रामक बीमारी फैलने की बढ रही आसंका
-जिला प्रशासन ने दिए निर्देश सडक के किनारे नहीं फेका जाएगा आलू, वरना होगी एफआइआर
कन्नौज,हिन्दुस्तान की आवाज़,अनुराग चौहान
कन्नौज। जनपद के कोल्ड स्वामी किसानों द्वारा कोल्ड से आलू न निकाले जाने से परेशान है जिन्होने सडक पर आलू फिकवाने का काम शुरू कर दिया है जिससे आलू की सडान होने से उठने वाली दुर्गंध से आम आदमी परेशान हो रहा है। जिससे संक्रामक बीमारियों के बढने का खतरा बढता ही जा रहा है जिसकी जानकारी होने पर सदर उपजिलाधिकारी शालिनी प्रभाकर एक निर्देश जारी करते हुए कहा कि कोल्ड स्वामी बाहर फेंके गए आलू को यदि 24 घण्टे के अन्दर नहीं उठवाते है तो उनके विरूद्व कार्यवाही के साथ मुकदमा पंजीकृत कराया जायेगा।
मालूम हो कि जनपद में इस बार 75 हजार सौ हेक्टेयर क्षेत्रफल में आलू की बुबाई की गयी थी जिसकी पैदावार 21.03 मीट्रिक टन हुई थी यहां का किसान कुछ हिस्सा कच्ची फसल का करने के उपरान्त शेष फसल को पक्की करता है और उसके उपरान्त उपज का अधिक लाभ लेने के उददेश्य से वह अपने आलू का भण्डारण कोल्डो में करने के उपरान्त बाजारों में अच्छे दाम मिलने पर आलू की बिक्री करता है किन्तु जब आलू छमता से अधिक उत्पादित कर लेते है तो उन्हें आलू के भाव अच्छे नहीं मिल पाते है ऐसा ही कुछ इस बार भी जनपद में हुआ है जहां कोल्डों में रिकाड आलू भण्डारा करने के बाद किसानों को अच्छा मूल्य न मिलने पर किसानों ने आलू की निकासी कोल्डों से करना मुनासिब नहीं समझा इससे उसे दोहरी हानि उठानी पडी जहां एक ओर उसके द्वारा लगायी गयी लाखों रूपये की लागत व दूसरी ओर कोल्ड किराया न अदा कर पाने पर किसानों को अपनी बर्बादी का मुंह देखना पडा सच तो यह है कि मौजूदा समय में किसान बर्बादी की कगार पर खडा हुआ है इस संबन्ध में आलू किसानों का कहना है कि विगत तीन वर्षाें से आलू की फसल में धोखा ही धोखा मिल रहा है परन्तु उसके बाबजूद भी यह सोचकर आलू का उत्पादन करते है कि शायद इस वर्ष अच्छा लाभ मिल सके किन्तु किसान फिर भी घाटा मिलने के कारण बेचैन हो जाता है यदि आलू कोल्ड से निकाला भी जाये तो उसकी कीमत बाजार में नहीं मिल पाती है क्योकि बाजार में आलू का पचास किलो का पैकट मात्र 150 से 200 रू तक की कीमत दिलाता है जो कोल्ड के किराये के बराबर भी नहीं है। जिसके फलस्वरूप किसान कोल्ड से आलू निकालना मतलब घाटे का सौदा करना ऐसी स्थित में वह अपना आलू कोल्डो में ही छोड देता है जिससे उसे लाखों रूपये का नुकसान होता है। किसानों द्वारा आलू न निकाले जाने से कोल्ड स्वामियों ने आलू फिकवाना शुरू कर दिया है। सडकों पर फेके गए आलू की दुर्गंध इतनी तीव्र होती है जिसमें सुहागा का काम आवारा जानवर करते है जो कुछ समय के पश्चात सडने पर इतनी विशैली दुर्गंध छोडते है जहां पांच मिनट भी ठहर पाना मुश्किल हो जाता है और आस पास के क्षे़त्रों में संक्रामक बीमारियां जन्म लेने लगती है कुछ ऐसे ही हालात मौजूदा समय में बने हुए है जिसकी जानकारी मिलने पर सदर उपजिलाधिकारी शालिनी प्रभाकर ने एक निर्देश में कहा कि कोल्ड स्वामियों या किसान वह सडकों पर आलू नहीं फेकेंगे और जिन्होने आलू फेका है वह 24 घण्टे के अन्दर उठवा ले या फिर उन्हें मिटटी के नीचे डंप करा दें ऐसा न करने वालों के विरूद्व कडी कार्यवाही किए जाने के साथ मुकदमा पंजीकृत कराया जायेगा।
-जिला प्रशासन ने दिए निर्देश सडक के किनारे नहीं फेका जाएगा आलू, वरना होगी एफआइआर
कन्नौज,हिन्दुस्तान की आवाज़,अनुराग चौहान
कन्नौज। जनपद के कोल्ड स्वामी किसानों द्वारा कोल्ड से आलू न निकाले जाने से परेशान है जिन्होने सडक पर आलू फिकवाने का काम शुरू कर दिया है जिससे आलू की सडान होने से उठने वाली दुर्गंध से आम आदमी परेशान हो रहा है। जिससे संक्रामक बीमारियों के बढने का खतरा बढता ही जा रहा है जिसकी जानकारी होने पर सदर उपजिलाधिकारी शालिनी प्रभाकर एक निर्देश जारी करते हुए कहा कि कोल्ड स्वामी बाहर फेंके गए आलू को यदि 24 घण्टे के अन्दर नहीं उठवाते है तो उनके विरूद्व कार्यवाही के साथ मुकदमा पंजीकृत कराया जायेगा।
मालूम हो कि जनपद में इस बार 75 हजार सौ हेक्टेयर क्षेत्रफल में आलू की बुबाई की गयी थी जिसकी पैदावार 21.03 मीट्रिक टन हुई थी यहां का किसान कुछ हिस्सा कच्ची फसल का करने के उपरान्त शेष फसल को पक्की करता है और उसके उपरान्त उपज का अधिक लाभ लेने के उददेश्य से वह अपने आलू का भण्डारण कोल्डो में करने के उपरान्त बाजारों में अच्छे दाम मिलने पर आलू की बिक्री करता है किन्तु जब आलू छमता से अधिक उत्पादित कर लेते है तो उन्हें आलू के भाव अच्छे नहीं मिल पाते है ऐसा ही कुछ इस बार भी जनपद में हुआ है जहां कोल्डों में रिकाड आलू भण्डारा करने के बाद किसानों को अच्छा मूल्य न मिलने पर किसानों ने आलू की निकासी कोल्डों से करना मुनासिब नहीं समझा इससे उसे दोहरी हानि उठानी पडी जहां एक ओर उसके द्वारा लगायी गयी लाखों रूपये की लागत व दूसरी ओर कोल्ड किराया न अदा कर पाने पर किसानों को अपनी बर्बादी का मुंह देखना पडा सच तो यह है कि मौजूदा समय में किसान बर्बादी की कगार पर खडा हुआ है इस संबन्ध में आलू किसानों का कहना है कि विगत तीन वर्षाें से आलू की फसल में धोखा ही धोखा मिल रहा है परन्तु उसके बाबजूद भी यह सोचकर आलू का उत्पादन करते है कि शायद इस वर्ष अच्छा लाभ मिल सके किन्तु किसान फिर भी घाटा मिलने के कारण बेचैन हो जाता है यदि आलू कोल्ड से निकाला भी जाये तो उसकी कीमत बाजार में नहीं मिल पाती है क्योकि बाजार में आलू का पचास किलो का पैकट मात्र 150 से 200 रू तक की कीमत दिलाता है जो कोल्ड के किराये के बराबर भी नहीं है। जिसके फलस्वरूप किसान कोल्ड से आलू निकालना मतलब घाटे का सौदा करना ऐसी स्थित में वह अपना आलू कोल्डो में ही छोड देता है जिससे उसे लाखों रूपये का नुकसान होता है। किसानों द्वारा आलू न निकाले जाने से कोल्ड स्वामियों ने आलू फिकवाना शुरू कर दिया है। सडकों पर फेके गए आलू की दुर्गंध इतनी तीव्र होती है जिसमें सुहागा का काम आवारा जानवर करते है जो कुछ समय के पश्चात सडने पर इतनी विशैली दुर्गंध छोडते है जहां पांच मिनट भी ठहर पाना मुश्किल हो जाता है और आस पास के क्षे़त्रों में संक्रामक बीमारियां जन्म लेने लगती है कुछ ऐसे ही हालात मौजूदा समय में बने हुए है जिसकी जानकारी मिलने पर सदर उपजिलाधिकारी शालिनी प्रभाकर ने एक निर्देश में कहा कि कोल्ड स्वामियों या किसान वह सडकों पर आलू नहीं फेकेंगे और जिन्होने आलू फेका है वह 24 घण्टे के अन्दर उठवा ले या फिर उन्हें मिटटी के नीचे डंप करा दें ऐसा न करने वालों के विरूद्व कडी कार्यवाही किए जाने के साथ मुकदमा पंजीकृत कराया जायेगा।
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