तेरह वर्ष पूर्व किया गया था शिलान्यास
मीरजापुर,हिन्दुस्तान की आवाज, संतोष देव गिरी
मीरजापुर। स्टेडियम का शिलान्यास हुए तेरह वर्ष बीत गए और सात करोड़ रुपये भी खर्च हो गए, लेकिन निर्माण अब भी अधूरा है। मंडल मुख्यालय के बाद भी खिलाड़ियों को खेल का मैदान उपलब्ध नहीं कराया जा सका है। वर्ष 2003 में स्टेडियम का शिलान्यास किया गया था। मौके पर बहुद्देशीय क्रीड़ा हाल व चहारदीवारी का निर्माण हुआ है। उसकी क्वालिटी भी घटिया है। कैंपस में मैदान भी नहीं बना है। सुबह-शाम लोगों की भीड़ जुटती है। क्रीड़ा विभाग खेल का संसाधन व अन्य मूलभूत सुविधाएं मुहैया नहीं करा पा रहा है। स्टेडियम के निर्माण का जिम्मा कार्यदायी संस्था पैक्सफेड को दिया गया है। शिकायत पर आठ माह पहले डीएम ने जांच कराई थी। निर्माण की क्वालिटी खराब पाए जाने पर परियोजना प्रबंधक के खिलाफ कार्रवाई की संस्तुति की थी। शासन ने उन्हें निलंबित कर दिया। सहायक अभियंता भी बर्खास्त कर दिए गए। तीन अवर अभियंताओं को गैर जनपद भेजकर तकनीकी जांच बैठा दी गई। छः माह हो गया, लेकिन न तो जांच पूरी हुई और न गबन की गई धनराशि की वसूली हुई। निर्माण खटाई में पड़ गया है। स्टेडियम निर्माण के पूरा होने की जानकारी कार्यदायी संस्था के अभियंता भी नहीं दे सके। स्टेडियम तक जाने के लिए सड़क नहीं है। उबड़-खाबड़ पथरीले रास्ते से होकर लोग पहुंचते हैं। नगर से आठ किमी दूर बन रहे इस स्टेडियम में पेयजल की भी व्यवस्था नहीं है। खेल प्रेमी सुरेश, कमला, रामलाल आदि का कहना है कि सबसे पहले सड़क का निर्माण होना चाहिए। स्टेडियम के निर्माण के संबंध में पूछे जाने पर डीएम बिमल कुमार दुबे ने बताया कि मानीटरिंग हो रही है। विलंब के कारणों की जांच कराई जाएगी। निर्माण जल्द पूरा कराया जाएगा। शासन स्तर से जांच बैठाई गई है। कार्रवाई वहीं से होनी है।
---------------------------------------------------------------------------------------------------------------------- Disclaimer हमे आप के इस न्यूज़ पोर्टल को बेहतर बनाने में सहायता करे और किसी खबर या अंश मे कोई गलती हो या सूचना / तथ्य मे कमी हो अथवा कोई कॉपीराइट आपत्ति हो तो वह ईमेल hindustankiaawaz.in@gmail.com भेज कर सूचित करे । साथ ही साथ पूरी जानकारी तथ्य के साथ दे । जिससे आलेख को सही किया जा सके या हटाया जा सके ।
मीरजापुर,हिन्दुस्तान की आवाज, संतोष देव गिरी
मीरजापुर। स्टेडियम का शिलान्यास हुए तेरह वर्ष बीत गए और सात करोड़ रुपये भी खर्च हो गए, लेकिन निर्माण अब भी अधूरा है। मंडल मुख्यालय के बाद भी खिलाड़ियों को खेल का मैदान उपलब्ध नहीं कराया जा सका है। वर्ष 2003 में स्टेडियम का शिलान्यास किया गया था। मौके पर बहुद्देशीय क्रीड़ा हाल व चहारदीवारी का निर्माण हुआ है। उसकी क्वालिटी भी घटिया है। कैंपस में मैदान भी नहीं बना है। सुबह-शाम लोगों की भीड़ जुटती है। क्रीड़ा विभाग खेल का संसाधन व अन्य मूलभूत सुविधाएं मुहैया नहीं करा पा रहा है। स्टेडियम के निर्माण का जिम्मा कार्यदायी संस्था पैक्सफेड को दिया गया है। शिकायत पर आठ माह पहले डीएम ने जांच कराई थी। निर्माण की क्वालिटी खराब पाए जाने पर परियोजना प्रबंधक के खिलाफ कार्रवाई की संस्तुति की थी। शासन ने उन्हें निलंबित कर दिया। सहायक अभियंता भी बर्खास्त कर दिए गए। तीन अवर अभियंताओं को गैर जनपद भेजकर तकनीकी जांच बैठा दी गई। छः माह हो गया, लेकिन न तो जांच पूरी हुई और न गबन की गई धनराशि की वसूली हुई। निर्माण खटाई में पड़ गया है। स्टेडियम निर्माण के पूरा होने की जानकारी कार्यदायी संस्था के अभियंता भी नहीं दे सके। स्टेडियम तक जाने के लिए सड़क नहीं है। उबड़-खाबड़ पथरीले रास्ते से होकर लोग पहुंचते हैं। नगर से आठ किमी दूर बन रहे इस स्टेडियम में पेयजल की भी व्यवस्था नहीं है। खेल प्रेमी सुरेश, कमला, रामलाल आदि का कहना है कि सबसे पहले सड़क का निर्माण होना चाहिए। स्टेडियम के निर्माण के संबंध में पूछे जाने पर डीएम बिमल कुमार दुबे ने बताया कि मानीटरिंग हो रही है। विलंब के कारणों की जांच कराई जाएगी। निर्माण जल्द पूरा कराया जाएगा। शासन स्तर से जांच बैठाई गई है। कार्रवाई वहीं से होनी है।
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