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मुंबई, 9 नवंबर 2017: पूर्व-स्वामित्व वाली कारों की खरीद-बिक्री के लिए भारत के अग्रणी ओमनी-चैनल प्लेटफॉर्म ट्रूबिल को भी विमुद्रीकरण के बाद आयी नरमी का सामना करना पड़ा। बाजार के सेंटीमेंट में आई गिरावट के चलते कुछ महीने ट्रूबिल की बिक्री में 15 प्रतिशत तक की गिरावट दर्ज की गई। हालांकि, यात्री वाहनों की बिक्री में जनवरी 2017 में सालाना आधार पर 15 प्रतिशत की बढोतरी शुरू हुई। इसके बाद छिपी हुई मांग परिवर्तित होने लगी, जिससे ट्रूबिल को फरवरी, 2017 तक 30 प्रतिशत से अधिक बिक्री प्रोत्साहित करने में मदद मिली।

ट्रूबिल के पहले चरण के दौरान उपभोक्ताओं की खरीद-शक्ति नकारात्मक रूप से प्रभावित हुई थी। ट्रूबिल पर भी सभी कारों की कीमतों में औसतन 10-15 प्रतिशत की गिरावट आई। लेकिन अंततः इसमें सुधार दिखने लगा। उपभोक्ता-हितैषी बजट, कम ब्याज दरों और ईंधन के स्थिर दामों के चलते अच्छी वृद्धि दिखने लगी।

ट्रूबिल के सह-संस्थापक और मार्केटिंग हेड शुभ बंसल ने कहा, ‘विमुद्रीकरण का प्रभाव ट्रूबिल के लिए थोड़े समय का था, क्योंकि हमने इस्तेमाल की गई कारों की छिपी मांग को बड़ी तेजी से अपने प्लेटफॉर्म पर भुनाना शुरू कर दिया। सच तो यह है कि 2016-17 में भारत में पहली बार यात्री-वाहनों की बिक्री तीन मिलियन का आंकड़ा पार कर गई और यह मांग लगातार बढ़ रही है। बीती घटना पर गौर करें तो कोई भी सुरक्षित रूप से कह सकता है कि विमुद्रीकरण ने ऑटो उद्योग में वाकई बड़ा सकारात्मक प्रभाव डाला है। इसने हम जैसे संगठित किरदारों को आगे की प्रक्रिया सुचारु बनाने में मदद की, जैसे काफी महंगी खरीदारी में पैन संख्या का अनिवार्य करना। हालांकि, असंगठित क्षेत्रों को नकद-आधारित बिक्री में गिरावट देखनी पड़ी, जो लंबे समय में पूरे तंत्र के लिए लाभप्रद साबित होगा।’

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