संवाददाता
मुंबई | झोपड़पट्टी पुनर्वसन योजना के अंतर्गत चेंबूर नाका स्थित राजाराम नगर में सर्वेक्षण करने आए अधिकारियों का स्थानीय नागरिको द्वारा जोरदार विरोध किया गया | निवासियों की मांग और शिकायतों की अनदेखी किये जाने से रहिवासियों द्वारा आक्रामक भूमिका ली गयी | जिलाधिकारी कार्यालय व एसआरए द्वारा रहिवासियों की मांगों पर विचार करने के साथ ही शिकायतों का निपटारा करने के बाद ही सर्वेक्षण किये जाने का स्थानिक रहिवासी सूर्यकांत वाडेकर, कमलेश परमार व प्रल्हाद वावरे ने स्पष्ट किया है |
गौरतलब है कि चेंबूर नाका स्थित राजाराम नगर के 67 झोपड़ीधारकों को पिछले लगभग 10 सालों से विकास का सपना दिखाया जा रहा है | जिसके लिए रहिवासियों ने एकसाथ आकर राजाराम नगर सहकारी गृहनिर्माण संस्था की स्थापना की | वहीँ सम्बंधित जगह का विकास करने के लिए बालन एंड छेड़ा प्रायवेट लिमिटेड इस बिल्डर की वास्तुकार के रूप में नियुक्ति की गयी थी | लेकिन अपना फायदा करने के लिए बिल्डर ने उक्त स्थान पर लगभग 67 झोपड़े में से केवल 51 झोपड़े होने का दिखाया गया है | जिससे कई झोपड़ाधारकों को अपने घरों से हाथ धोना पड़ सकता है | वहीँ कुल झोपड़ाधारकों में से मात्र 20 झोपड़ा धारकों को अपने अधीन लेकर विकास परियोजना को कॉर्नवीट करने की कोशिश बिल्डर द्वारा की जा रही है | इसके लिए गलत तरीके से इन 20 लोगों को गृहनिर्माण संस्था का पदाधिकारी बनाया गया है |इसी के साथ परियोजना को कार्यान्वित करने के लिए जल्दबाजी में यहाँ के रहिवासियों को बड़ी संख्या में बेदखल किया जा रहा है | जिसका विरोध कर रहिवासियों द्वारा म्हाडा, एसआरए, उप जिलाधिकारी कार्यालय में शिकायतें की गयी | किंतु संबंधित प्राधिकरणों द्वारा शिकायतों की अनदेखी किए जाने का रहिवासी वाडेकर व परमार ने स्पष्ट किया | ऐसी परिस्थिति होने के बावजूद उप जिलाधिकारी कार्यालय ने सम्बंधित जगह का क्लस्टर सर्वेक्षण करने की नोटिस संस्था को भेजी | इस नोटिस के अनुसार बायोमेट्रिक पद्धति से सभी झोपड़ों का सर्वेक्षण कर जी. आय. एस. नक्शा तैयार किया जाना था | किंतु यह सर्वेक्षण शुरू करने के पूर्व ही रहिवासियों द्वारा जोरदार हंगामा किया गया | साथ ही सर्वेक्षण करने के पूर्व प्राधिकरणों में की गयी शिकायतों का निपटारा करने, 67 में से 20 झोपडीधारकों को गृहनिर्माण संस्था के पदाधिकारी क्यों जाहिर किया गया , 67 में से 47 झोपड़ाधारकों का इस बिल्डर के लिए नकार होने के बाद भी इसी बिल्डर से विकास काम कराने की रहिवासियों पर सख्ती क्यों की जा रही है , आदि सवाल खड़े कर रहिवासियों ने इस बायोमेट्रिक सर्वेक्षण का विरोध किया | इस दौरान सर्वेक्षण करने आये अधिकारियों ने जिन्हे सर्वे कराना है वह सर्वेक्षण करा सकते है और जिन्हे नहीं कराना है वो नहीं कराये ऐसी भूमिका लेकर अपना बचाव किया |
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