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दीपावली जिसे प्रकाशों का पर्व माना जाता और जिसका मूल लक्ष्य खुशियां बांटना है उसे शहर के कुछ स्कूली छात्रों ने झोपड़पट्टियों में रहने वाले कुछ खुशियों से दूर रहने वाले बच्चों के साथ मनाया।

यू तो दीपावली का पर्व सबके लिए एक ही होना चाहिए परंतु समाज की बदलती व्यवस्था और पैसों से बनी खुशयों के रास्तों की बाधाओं के कारण नज़ारा कुछ यूं हो जाता है कि पूरा शहर एक तरफ पटाकों की आवाज़ में मशगूल होता है और वही दूसरी तरफ एक मोहल्ला ऐसा भी होता है जहाँ दीपावली का दिन एक आम दिन की तरह होता है।जहाँ के बच्चें उस खुशी को देख तो सकते है लेकिन महसूस नही कर सकते।जहाँ के घरों तक उस रोशनी की चमक तो पहुचती है मगर झोपड़ियों के कोने अंधेरो में डूबे रह जाते हैं।इसी दो पहलुएं वाले समाज मे थोड़ा परिवर्तन की कोशिश ला रहे छात्रों ने अपना सामाजिक कर्तव्य पूरा करते हुए एक मुहिम सी छेड़ने की कोशिश की ।

दीपावली की शाम ए आवाम नाम से काम करती युवा विद्यार्थियों की टोली ने पटना के राजबंशी नगर इलाके के झोपड़ियो में रहने वालों के साथ खुशियाँ बांट कर बड़े बुजुर्गो को भी दीपावली का मतलब समझा दिया।छात्रों ने वहां के सभी घरों में दीप जलाकर पूरे मुहल्ले से अंधकार और खुशियों को रोक रही गरीबी की रेखा को हटा पर्व का सही मतलब सामने लाने की कोशिश की।इस कार्य को सफलपूर्वक पूरा करने में उन्हें योगदान मिला स्किल माइंडस इंडिया और इग्नाइटेड ब्रेन्स नामक दो संस्थाओं का।

मौके पर मौजूद आवाम के संस्थापक सूर्यकांत वर्मा ने कहा एष्हम हर वो संभव कोशिश करने को तैयार से जिससे न सिर्फ हम देश और समाज के लिए कुछ करे बल्कि हमे देख बाकी लोग भी अपना मूल कर्तव्य याद रखे।उन्होंने ये भी कहा कि जो चमक इन बच्चों की मुस्कान में है वो चमक और तेज दुनिया के हर दीपक और पटाके से आगे है।

इस पूरे काम की जिम्मेवारी का भार सौम्या सिंह राठौर ने बखूबी निभाया।उनसे हुए बातचीत के दौरान उन्होंने एक दिल छूने वाली बात कही।उनके अनुसार एष्अगर हम अपनी चीज़े जरूरतमंदो के साथ नहीं बाँट सकतेए तो हम क्यों भगवान से प्रार्थना करके आशा करते है कि वो अपनी चीज़ें हमारे बीच बांटे।ष्

ष्दीवाली का आनंद इससे ज्यादा और कही नई मिल सकता कि आप अंधेरो में दिए जलाएंष्. कृष्णकांत पंडित ने लोगो को बताया।इग्नाइटेड ब्रेन्स के संथापक निखिल राज ने भी इस कार्यक्रम में अपना पूरा योगदान दिया।

वही दूसरी तरफ संत डोमिनिक के छात्र कृष्णकांत एवैभवए ग्रेग गल्सटॉनए यश एप्रशांत ने भी पूरे उत्साह के साथ अपना समय पटके जलाने के जगह इन बच्चों में मिठाइयां और खुशियाँ बांटने में लगाया। बिना प्रकृति को नुकसान किये दीवाली मनाने का संदेश भी बच्चों को समझाया गया।



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