आगरा, हिन्दुस्तान की आवाज, अजहर उमरी
रज़ा लाइब्रेरी में रामायण की दुर्लभ पाण्डुलिपियों एवं मुद्रित पुस्तकों की प्रदर्शनी का आयोजन
रामपुर, रामपुर रज़ा लाइब्रेरी के दरबार हाॅल में वाल्मीकि जयन्ती के अवसर पर रामायण की दुर्लभ पाण्डुलिपियों एवं मुद्रित पुस्तकों की प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। जिसका उद्घाटन मुख्य अतिथि डाॅ० प्रदीप जैन, प्रसिद्ध साहित्यकार, डाॅ० शायर उल्ला खाँ एवं विशेष अतिथि श्री वीरेश भीम अनार्य, राष्ट्रीय अध्यक्ष, भारतीय वाल्मीकि धर्म समाज (रजि०) भावाधस के कर-कमलों द्वारा किया गया।
इस अवसर पर कार्यक्रम का शुभारंभ डाॅ० इरशाद नदवी की तिलावते कुरान एवं सैयद नवेद कैसर की नाते-पाक से हुआ। इस अवसर पर डाॅ० प्रदीप जैन ने कहा कि भारतीय वाङ्मय में जितना साहित्य है उसमें दो ग्रन्थ ऐसे हैं जिसको महाकाव्य की संज्ञा देते है रामायण और महाभारत। जिस समय इन महाकाव्यों की रचना हुई उस समय लिखने की परम्परा नहीं थी। राम धर्म के साथ हैं न कि अधर्म के साथ और राम ने सभी को गले लगाया, न कोई छोटा न बड़ा। कहा कि रामकथा वाल्मीकि की प्रसिद्धि के कारण जो की संस्कृत भाषा में थी उसको मुगलों ने इस महाकाव्य की जानकारी पाने के लिए फ़ारसी भाषा मंे अनुवाद कराया। जिसका दुर्लभ उदाहरण रज़ा लाइब्रेरी में मौजूद वाल्मीकि रामायण है जो कि फ़ारसी भाषा में मुगलकाल में अनुवादित की गई थी। इसके अतिरिक्त अन्य लोगों ने भी अन्य भाषाओं में रामकथा को अनुवाद कराया जिसने हिन्दुस्तान से ईरान तक की यात्रा का सफर पूरा किया। कहा कि वाल्मीकि जी ने जो संस्कृत भाषा में रामायण लिखी उसको जन-जन तक पहुँचाने का काम तुलसीदास जी ने किया। वाल्मीकि रामायण केवल गं्रथ ही नहीं है बल्कि हमारा इतिहास है।
इस अवसर पर डाॅ० शायर उल्ला खाँ कहा कि हिन्दुस्तान सभी धर्माें का देश है। हमारे देश की यह विशेषता है कि यहाँ सभी धर्माें का सम्मान किया जाता है और सभी धर्मों की धार्मिक पुस्तकों में समान बातें की गयी हैंै। इन्हीं धार्मिक पुस्तकों के ज्ञान के कारण हमारे देश में सभी धर्मों के लोग आपसी भाईचारे के साथ एक साथ मिलजुल कर रहते हैं। रज़ा लाइब्रेरी जैसे संस्थानों इस प्रकार के कार्यक्रमों से आपसी भाईचारे को बढ़ावा मिलता है। इस रज़ा लाइब्रेरी में रमज़ान के माह में पवित्र कुरान की प्रदर्शनी लगती है और आज वाल्मीकि जयंती के अवसर पर पवित्र रामायण की प्रदर्शनी लगी है।
इस अवसर पर विशेष अतिथि श्री वीरेश भीम अनार्य ने कहा कि आज दुर्लभ वाल्मीकि रामायण सहित अन्य अनमोल रामायण की प्रदर्शनी का आयोजन किया जाना बधाई के काबिल है। वाल्मीकि समाज इसके लिए निदेशक प्रो० सैयद हसन अब्बास एवं उनके स्टाफ का धन्यवाद करता है, जिन्होंने लगभग 300 वर्ष पुरानी लिखी रामायण को वाल्मीकि समाज से रूबरू कराया। रामायण जो वाल्मीकि ने लिखी है, अजर है, अमर है। इसलिए सदियों बीतने के बाद भी अपना स्थान बनाये हुए है।
इस अवसर पर रामपुर रज़ा लाइब्रेरी के निदेशक प्रो० सैयद हसन अब्बास ने कहा कि सुमेरचंद की फारसी में अनुवादित वाल्मीकि रामायण जो फारसी भाषा में और फारसी लिपि में मुगल चित्रकला से सुसज्जित पाण्डुलिपि है। इस पाण्डुलिपि में लेखनकार्य का आरम्भ बिस्मिल्लाह-अर्रहमान-अर्ररहीम से हुआ है। तथा जो रामपुर रज़ा लाइब्रेरी में सुरक्षित है जो भारत की एक नायाब सांस्कृतिक धरोहर है। उन्होंने कहा कि वाल्मीकि जयन्ती के अवसर पर रामपुर रज़ा लाइब्रेरी द्वारा रामायण की दुर्लभ पाण्डुलिपियों एवं मुद्रित पुस्तकों की प्रदर्शनी का आयोजन किया गया है इस प्रदर्शनी में रज़ा लाइब्रेरी में संरक्षित रामायण उत्तर काण्ड, रामायण बाल काण्ड, रामायण तुलसीदास कृत, उर्दू भाषा एवं फ़ारसी भाषा में अनुवादित रामायणों को प्रदर्शित किया गया है। कहा कि यह प्रदर्शनी 14 अक्टूबर 2017 तक प्रदर्शित की जायेगी।
कायर्क्रम के अन्त में लाइब्रेरी एवं सूचना अधिकारी डाॅ० अबुसाद इस्लाही ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया और कार्यक्रम का संचालन डाॅ० प्रीति अग्रवाल द्वारा किया गया।
इस अवसर पर शहर के गणमान्य व्यक्ति एवं लाइब्रेरी के सभी कर्मचारी उपस्थित रहे
---------------------------------------------------------------------------------------------------------------------- Disclaimer हमे आप के इस न्यूज़ पोर्टल को बेहतर बनाने में सहायता करे और किसी खबर या अंश मे कोई गलती हो या सूचना / तथ्य मे कमी हो अथवा कोई कॉपीराइट आपत्ति हो तो वह ईमेल hindustankiaawaz.in@gmail.com भेज कर सूचित करे । साथ ही साथ पूरी जानकारी तथ्य के साथ दे । जिससे आलेख को सही किया जा सके या हटाया जा सके ।
रज़ा लाइब्रेरी में रामायण की दुर्लभ पाण्डुलिपियों एवं मुद्रित पुस्तकों की प्रदर्शनी का आयोजन
रामपुर, रामपुर रज़ा लाइब्रेरी के दरबार हाॅल में वाल्मीकि जयन्ती के अवसर पर रामायण की दुर्लभ पाण्डुलिपियों एवं मुद्रित पुस्तकों की प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। जिसका उद्घाटन मुख्य अतिथि डाॅ० प्रदीप जैन, प्रसिद्ध साहित्यकार, डाॅ० शायर उल्ला खाँ एवं विशेष अतिथि श्री वीरेश भीम अनार्य, राष्ट्रीय अध्यक्ष, भारतीय वाल्मीकि धर्म समाज (रजि०) भावाधस के कर-कमलों द्वारा किया गया।
इस अवसर पर कार्यक्रम का शुभारंभ डाॅ० इरशाद नदवी की तिलावते कुरान एवं सैयद नवेद कैसर की नाते-पाक से हुआ। इस अवसर पर डाॅ० प्रदीप जैन ने कहा कि भारतीय वाङ्मय में जितना साहित्य है उसमें दो ग्रन्थ ऐसे हैं जिसको महाकाव्य की संज्ञा देते है रामायण और महाभारत। जिस समय इन महाकाव्यों की रचना हुई उस समय लिखने की परम्परा नहीं थी। राम धर्म के साथ हैं न कि अधर्म के साथ और राम ने सभी को गले लगाया, न कोई छोटा न बड़ा। कहा कि रामकथा वाल्मीकि की प्रसिद्धि के कारण जो की संस्कृत भाषा में थी उसको मुगलों ने इस महाकाव्य की जानकारी पाने के लिए फ़ारसी भाषा मंे अनुवाद कराया। जिसका दुर्लभ उदाहरण रज़ा लाइब्रेरी में मौजूद वाल्मीकि रामायण है जो कि फ़ारसी भाषा में मुगलकाल में अनुवादित की गई थी। इसके अतिरिक्त अन्य लोगों ने भी अन्य भाषाओं में रामकथा को अनुवाद कराया जिसने हिन्दुस्तान से ईरान तक की यात्रा का सफर पूरा किया। कहा कि वाल्मीकि जी ने जो संस्कृत भाषा में रामायण लिखी उसको जन-जन तक पहुँचाने का काम तुलसीदास जी ने किया। वाल्मीकि रामायण केवल गं्रथ ही नहीं है बल्कि हमारा इतिहास है।
इस अवसर पर डाॅ० शायर उल्ला खाँ कहा कि हिन्दुस्तान सभी धर्माें का देश है। हमारे देश की यह विशेषता है कि यहाँ सभी धर्माें का सम्मान किया जाता है और सभी धर्मों की धार्मिक पुस्तकों में समान बातें की गयी हैंै। इन्हीं धार्मिक पुस्तकों के ज्ञान के कारण हमारे देश में सभी धर्मों के लोग आपसी भाईचारे के साथ एक साथ मिलजुल कर रहते हैं। रज़ा लाइब्रेरी जैसे संस्थानों इस प्रकार के कार्यक्रमों से आपसी भाईचारे को बढ़ावा मिलता है। इस रज़ा लाइब्रेरी में रमज़ान के माह में पवित्र कुरान की प्रदर्शनी लगती है और आज वाल्मीकि जयंती के अवसर पर पवित्र रामायण की प्रदर्शनी लगी है।
इस अवसर पर विशेष अतिथि श्री वीरेश भीम अनार्य ने कहा कि आज दुर्लभ वाल्मीकि रामायण सहित अन्य अनमोल रामायण की प्रदर्शनी का आयोजन किया जाना बधाई के काबिल है। वाल्मीकि समाज इसके लिए निदेशक प्रो० सैयद हसन अब्बास एवं उनके स्टाफ का धन्यवाद करता है, जिन्होंने लगभग 300 वर्ष पुरानी लिखी रामायण को वाल्मीकि समाज से रूबरू कराया। रामायण जो वाल्मीकि ने लिखी है, अजर है, अमर है। इसलिए सदियों बीतने के बाद भी अपना स्थान बनाये हुए है।
इस अवसर पर रामपुर रज़ा लाइब्रेरी के निदेशक प्रो० सैयद हसन अब्बास ने कहा कि सुमेरचंद की फारसी में अनुवादित वाल्मीकि रामायण जो फारसी भाषा में और फारसी लिपि में मुगल चित्रकला से सुसज्जित पाण्डुलिपि है। इस पाण्डुलिपि में लेखनकार्य का आरम्भ बिस्मिल्लाह-अर्रहमान-अर्ररहीम से हुआ है। तथा जो रामपुर रज़ा लाइब्रेरी में सुरक्षित है जो भारत की एक नायाब सांस्कृतिक धरोहर है। उन्होंने कहा कि वाल्मीकि जयन्ती के अवसर पर रामपुर रज़ा लाइब्रेरी द्वारा रामायण की दुर्लभ पाण्डुलिपियों एवं मुद्रित पुस्तकों की प्रदर्शनी का आयोजन किया गया है इस प्रदर्शनी में रज़ा लाइब्रेरी में संरक्षित रामायण उत्तर काण्ड, रामायण बाल काण्ड, रामायण तुलसीदास कृत, उर्दू भाषा एवं फ़ारसी भाषा में अनुवादित रामायणों को प्रदर्शित किया गया है। कहा कि यह प्रदर्शनी 14 अक्टूबर 2017 तक प्रदर्शित की जायेगी।
कायर्क्रम के अन्त में लाइब्रेरी एवं सूचना अधिकारी डाॅ० अबुसाद इस्लाही ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया और कार्यक्रम का संचालन डाॅ० प्रीति अग्रवाल द्वारा किया गया।
इस अवसर पर शहर के गणमान्य व्यक्ति एवं लाइब्रेरी के सभी कर्मचारी उपस्थित रहे
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