चहनियॉ (चंदौली), हिन्दुस्तान की आवाज, प्रकाश यादव
चहनियॉ (चंदौली) । स्थानीय ब्लॉक में कुकुरमुत्ते की तरह सचालित हो रहे प्राइवेट स्कूलों के प्रबन्धको की मनमानी फ़ीस वसूलने के चलते गरीब व् मध्यम वर्ग के अविभावकों को अपने बच्चों को पढ़ाने के लिए मुश्किलो का सामना करना पड़ रहा है। इसके लिए शिक्षा विभाग स्वंय दोषी माना जा रहा है । क्यों कि वः निजी स्कुलो में शिक्षा अधिनियम का सख्ती से पालन नही करा प् रहे है। इसका मुख्य कारण है सुबिधा शुल्क वसूलना क्षेत्र में अधिकांश ऐसे स्कूल भी चल रहे है जो शिक्षा अधिनियम के मानकों को पूरा नही कर ते है। और मनमानी फ़ीस वसूलने के साथ साथ शिक्षा कार्य में लगे अध्यापको का शोषण भी क्र रहे है। निजी स्कूलों में शिक्षा अधिनियम का पालन करवाने में बिभागीय अधिकारी मात्र चाहते है कि सिर्फ उनका जेब गर्म रहे स्कूल प्रबन्धको को मनमानी फ़ीस के साथ ही ड्रेस किताब व् ट्रांसपोर्ट के नाम पर अलग से लूटा जा रहा है । जब कि सरकार द्वारा बिना मान्यता के संचालित हो निजी स्कूलों को तुंरत बन्द करवाने की जिला के सक्षम अधिकारियो को निर्देशित किया जा चूका है । मगर फिर भी अधिकरी मौन धारण किये हुए है ।अभिभावको का कहना है कि जनहित में शिक्षा अधिकारियो को चाहिये कि अपना निजी स्वार्थ छोड़कर प्राइवेट स्कुलो व् बिना मान्यता के चल रहे स्कूलों में शिक्षा अधिनियम को सख्ती से पालन करवाये । जिससे गरीब व् मध्यम तबके के परिवारो के बच्चे पढ़ सके । साथ लोगो ने मुख्यमन्त्री महोदय से मांग किया है कि प्राइवेट स्कूलों पर लगाम कसे और गरीब बच्चों को अच्छी शिक्षा मिल सके।
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चहनियॉ (चंदौली) । स्थानीय ब्लॉक में कुकुरमुत्ते की तरह सचालित हो रहे प्राइवेट स्कूलों के प्रबन्धको की मनमानी फ़ीस वसूलने के चलते गरीब व् मध्यम वर्ग के अविभावकों को अपने बच्चों को पढ़ाने के लिए मुश्किलो का सामना करना पड़ रहा है। इसके लिए शिक्षा विभाग स्वंय दोषी माना जा रहा है । क्यों कि वः निजी स्कुलो में शिक्षा अधिनियम का सख्ती से पालन नही करा प् रहे है। इसका मुख्य कारण है सुबिधा शुल्क वसूलना क्षेत्र में अधिकांश ऐसे स्कूल भी चल रहे है जो शिक्षा अधिनियम के मानकों को पूरा नही कर ते है। और मनमानी फ़ीस वसूलने के साथ साथ शिक्षा कार्य में लगे अध्यापको का शोषण भी क्र रहे है। निजी स्कूलों में शिक्षा अधिनियम का पालन करवाने में बिभागीय अधिकारी मात्र चाहते है कि सिर्फ उनका जेब गर्म रहे स्कूल प्रबन्धको को मनमानी फ़ीस के साथ ही ड्रेस किताब व् ट्रांसपोर्ट के नाम पर अलग से लूटा जा रहा है । जब कि सरकार द्वारा बिना मान्यता के संचालित हो निजी स्कूलों को तुंरत बन्द करवाने की जिला के सक्षम अधिकारियो को निर्देशित किया जा चूका है । मगर फिर भी अधिकरी मौन धारण किये हुए है ।अभिभावको का कहना है कि जनहित में शिक्षा अधिकारियो को चाहिये कि अपना निजी स्वार्थ छोड़कर प्राइवेट स्कुलो व् बिना मान्यता के चल रहे स्कूलों में शिक्षा अधिनियम को सख्ती से पालन करवाये । जिससे गरीब व् मध्यम तबके के परिवारो के बच्चे पढ़ सके । साथ लोगो ने मुख्यमन्त्री महोदय से मांग किया है कि प्राइवेट स्कूलों पर लगाम कसे और गरीब बच्चों को अच्छी शिक्षा मिल सके।
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