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मुंबई के स्कुलो में सप्ताह में दोबार "वंदे मातरम"

समाजवादी, एमआयएममुस्लिम नगरसेवको ने किया सभात्याग

मुंबई , हिन्दुस्तान की आवाज, मोहम्मद मुकीम शेख

मुंबई, राज्य के विधानसभा में "वंदे मातरम" इस राष्ट्रीय गीतपर हंगामा हुवा था. इसी हंगामे के दरम्यान मुंबई के स्कुलो में भी "वंदे मातरम" यह राष्ट्रीय गीत अनिवार्य किये जाने की प्रस्ताव की सूचना भाजपा के नगरसेवको ने पालिका सभागृह में रखा. इस प्रस्ताव की सूचना का मुस्लिम समाज के नगरसेवको ने विरोध किया लेकिन इस विरोध की उपेक्षा करते हुवे महापौर ने इस प्रस्ताव के सूचना को मंजूर किये जाने पर समाजवादी पार्टी, एमआयएम, काँग्रेस के नगरसेवक सुफीयांन वणू ने सभात्याग किया. इस दरम्यान इस प्रस्ताव की हि सूचना अब पालिका आयुक्त के पास अभिप्राय करने के लिए भेजा जाने वाला है.

गौरतलब है की मुंबई महानगर पालिका की सभी स्कुल और मुंबई महानगर पालीका की सीमा में सभी अनुदानित स्कुलो में सोमवार व शुक्रवार को "वंदे मातरम" यह राष्ट्रीय गीत अनिवार्य सक्तीने किया जाये यह मांग भाजपा के नगरसेवक संदिप पटेल ने किया था. देशप्रेम, देशभक्ती जागृत करने वाला जन गण मन इस राष्ट्रगीत की तरह "वंदे मातरम" को भी भारतीय लोगो के दिल में खास स्थान है . युवाओ में और प्रत्येक भारतीय लोगो के दिल में देशप्रेम की भावना जागृत करने में इस राष्ट्रगीत का योगदान मिला था. इसलिए मुंबई के स्कुलो में सप्ताह में दो बार "वंदे मातरम" अनिवार्य किया जाये यह मांग संदीप पटेल ने किया. इसके लिए चेन्नई उच्च न्यायालयने तामिळनाडू के सभी सरकारी स्कुल और महाविद्यालय में सप्ताह में एकबार सोमवार या शुक्रवार को वंदे मातरम कहा जाये यह आदेश दिया उसका प्रमाणपत्र पटेल ने दिया था . इस प्रस्ताव की सूचना पालिका सभागृह में आज मंजुरी के लिए रखा गया था. प्रस्ताव की सूचना पटेल पढ़ते समय समाजवादी के गटनेता रईस शेख ने इसपर बात करने की अनुमति दिए जाने की मांग की. लेकिन महापौर ने शेख की तरफ उपेक्षा किये जाने से समाजवादी पार्टी सहित विरोधी पार्टी के मुस्लिम नगरसेवको ने मांग के प्रस्ताव पर मतदान की मांग की. महापौर किसी को बात करने की अनुमति नही दिए जाने की तरह मतदान की मांग को भी इंकारकर प्रस्ताव की सूचना मंजूर किया. इसके चलते महापौर की इस प्रकार का निषेध करते हुवे समाजवादी पार्टी सहित , एमआयएम की एक व काँग्रेस के नियाज वणू ने सभात्याग किया.

बता दे की इसके पहले भी वर्ष १९९८ में शिवसेना के तत्कालीन नगरसेवक पराग चव्हाण ने "वंदे मातरम" पालिका स्कुलो में अनिवार्य किये जाने की मांग का प्रस्ताव सुचना द्वारा किया था. इस सूचना पर अभिप्राय देते समय भारतीय राज्य घटना द्वारा दिए गये धर्म की आजादी के विरुद्ध होने से इसे अनिवार्य नही किया जा सकता यह कहा है. उस समय भी वंदे मातरम ऐच्छिक होने का अभिप्राय तत्कालीन आयुक्त ने दिया है. उसके बाद भाजपा की नगरसेविका समिता कांबळे ने भी सूर्य नमस्कार पालिका स्कुलो में अनिवार्य किये जाने का प्रस्ताव की पेश करने पर उसको भी मनसे सहित विरोधी पार्टियों ने विरोध किया था. इस प्रस्ताव की सूचना पर भी आयुक्त की तरफ से अभी तक अभिप्राय नही दिया गया. उसके बाद अब दुबारा भाजपा की तरफ से "वंदे मातरम" को अनिवार्य किये जाने की मांग की गयी है. इस प्रस्ताव की सूचनापर भी आयुक्त पहले की तरह अनिवार्य नही किया जा सकता यह अभिप्राय देगे इसलिए विरोधी पार्टी बेठने का निर्णय लिया था.

स्वातंत्र सैनिक भी "वंदे मातरम" बोल रहे थे -


देश स्वतंत्र होने के पहले सभी धर्मीय स्वातंत्र सैनिक वंदे मातरम बोल रहे थे. अनेको ने वंदे मातरम कहकर छातीपर गोलिया खाकर बलिदान दिया है. ए आर रहेमान जयसे संगीतकार ने भी वंदे मातरम यह गाना गाया है. फिर अन्य को इसकी पीड़ा क्यों ? उन्हें वंदे मातरम नही कहना होगा तो पालिका सभागृह में भी वंदे मातरम कहते समय मुस्लिम सदस्य खड़े रहते है. उसी तरह स्कुल में भी मुस्लिम विद्यार्थी खड़े रह सकते है.

मनोज कोटक - गटनेता भाजपा



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