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अलवर, हिन्दुस्तान की आवाज,चंद्रमोहन गुप्ता

अलवर। बिजली निगम के खंबों पर से केबल का जाल हटाना निगम के अधिकारियों के लिए आसान नहीं है। शहर में सक्रिय करीब दो दर्जन केबल ऑपरेटर्स निगम के अधिकारियों से सांठ-गांठ कर खंबों पर केबल के जाल को ऐसे ही बनाए रखने के प्रयास में हैं। शहर में करीब 65 हजार बिजली निगम के पोल है। जिनका केबल ऑपरेटर गैरकानूनी ढंग से उपयोग कर रहे है। बिजली निगम शहर में कार्यरत्त केबल ऑपरेटर्स से इन खंबों पर केबल के तार लगाने की एवज में कोई शुल्क नहीं ले पा रहा है। निगम के अधिकारियों की मिलीभगत के कारण ही यह संभव होता रहा है। उल्लेखनीय है कि विभाग में पनपते इस नए भ्रष्ट्राचार को देखते हुए निगम के उच्चाधिकारियों ने नियम बनाकर शुल्क के प्रावधान को ही समाप्त कर दिया। यानि अब खंबे पर केबल के तार शुल्क देकर भी नहीं लगाए जा सकते हैं। दुर्भाग्य यह है कि पूरे कुएं में ही भांग घुली हुई है। बिजली निगम के अधिकारियों ने ही केबल ऑपरेटर्स से मिलीभगत करके विभाग को करोड़ों रूपये सालाना का घाटा दिया है। केबल ऑपरेटर दबी जबान में यह भी कह रहे है कि जैसे अब तक चल रहा है वैसे ही आगे भी बिजली के खंबों का गैरकानूनी उपयोग चलता रहेगा। फर्क इतना सा पड़ेगा पहले जितना खर्च हो रहा था अब उससे कुछ ज्यादा खर्च करना पड़ेगा।

हाई वॉल्टेज वाले खंबे भी नहीं है केबल से अछूते
अलवर। केबल ऑपरेटर्स ने अपने कर्मचारियों तथा आम नागरिकों की जान को जोखिम में डालने से कोई परहेज नहीं किया। केबल ऑपरेटर्स ने 11 केवी की हाईवॉल्टेज लाईन से जुड़े खंबों का भी बिना खौफ इस्तेमाल किया है। शहर में कई स्थानों पर इन खंबों पर केबल की तार लगी देखी जा सकती है। जबकि ये खंबे हाईवॉल्टेज यानि रिस्क से सम्बंधित है। केबल ऑपरेटर्स पैसे के दम पर अब तक मनमानी करते रहे है। बिजली निगम के अधिकारी थोड़े से लालच की खातिर विभाग को चूना लगाने के साथ-साथ आमजन की भी जान की सुरक्षा से खिलवाड़ कर बैठे है।


यूआईटी व नगर परिषद में भी यही खेल
शहर में यूआईटी व नगर परिषद के भी करीब 9 से 10 हजार बिजली के खंबे है। इन खंबों पर भी केबल ऑपरेटर्स ने अपना कब्जा जमा रखा है। केबल ऑपरेटर्स ने इन खंबों पर अपनी केबल की तार डाल रखे है। ये खंबे आवासीय क्षेत्रों में है। इन पर केबल के तारों का जाल है। यूआईटी व नगर परिषद की ओर से केबल ऑपरेटर्स को विभाग के खंबों का दुरूपयोग करने से रोकने का कोई कदम नहीं उठाया गया है। यहां तक की कॉलोनियों में इन केबल के तारों के कारण यूआईटी व नगर परिषद की लाईटे भी बार-बार खराब होती है, लेकिन केबल के तार हटाने के लिए फिर भी विभाग तैयार नहीं होते। नगर परिषद व यूआईटी के अधिकारियों का तो ध्यान अभी तक इस ओर गया भी नहीं है। इसके पीछे भी रहस्य से भरा खेल है।

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