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-स्कूल बंद होने के बाद भी वूसल किया जा रहा है वाहन शुल्क
-केवल जून माह में ही अभिभावकों के जेब से वसूल किया गया करोड़ों रूपया
मीरजापुर, हिन्दुस्तान की आवाज, संतोष देव गिरी

मीरजापुर। केन्द्र और प्रदेश की भाजपा सरकार के तमाम प्रयासों, निर्देशों के बाद भी बड़े प्राइवेट स्कूल संचालक मनमानी करने से बाज नहीं आ रहे है। अभिभावकों का शोषण इनके द्वारा निरंतर जारी है। यों कहे के प्राइवेट स्कूल संचालकों, मालिकों को शासन-सत्ता का जरा भी भय नहीं है बेहतर शिक्षा के नाम अभिभावकों को सब्जबाग दिखाकर उनकी जेब ढीली किये जाने का क्रम न तो थमने का नाम ले रहा है और ना ही अभिभावकों को कोई राहत मिलता दिखलाई दे रहा है। मजे कि बात है कि सरकारी विद्यालयों का निरीक्षण करने वाले जनप्रतिनिधि और प्रशासन के लोग कभी भी प्राइवेट स्कूलों की मनमानी की ओर ध्यान देने की जरूरत नहीं महसूस कर रहे है। बताते चले कि जिले की बात छोड़ दे तो तकरीबन दर्जन भर बड़े प्राइवेट स्कूल अकेले नगर क्षेत्र में ही है जो अपने आप में बड़े स्कूलों में गिने जाते है। जिनके द्वारा अभिभावकों से वाहन शुल्क के नाम पर मनमाना शुल्क वूसल किया जा रहा है। नगर के लोहिया तालाब स्थित डैफोडिल्स पब्लिक स्कूल संचालक पर ऐसी ही मनमानी का आरोप लगाते हुए अभिभावकों ने बताया है कि जून माह के वाहन शुल्क के नाम पर जबरियां एक हजार रूपया वसूल किया जा रहा है। जो सरासर गलत होने के साथ अभिभावकों का एक तरह से शोषण है। गौर करे तो मई में ही आधा शिक्षा सत्र चलने के बाद स्कूल बंद हो जाते है जून में पूरे माह गृष्मकालीन अवकाश रहता है। जून में अवकाश होने पर छात्र जब स्कूल नहीं गए और स्कूल के वाहन का उपयोग नहीं किया तो फिर वाहन शुल्क किस बात का? गौर किया जाए तो इस प्रकार से प्राइवेट स्कूल संचालक केवल एक माह में ही करोड़ों रूपए अर्जित कर लेते है अभिभावकों की जेब से जो सरासर गलत होने के साथ कहीं से भी न्याय संगत नहीं कहा जा सकता है। अभिभावकों का आरोप है शिकायत किए जाने पर बच्चों पर दबाव बनाने के साथ उनके अभिभावकों को वाहन शुल्क जमा करने के लिए विवश किया जाता है। यहीं नहीं शुल्क अदा न करने पर ऐनकेन प्रकारेण बच्चों पर दबाव बनाने के साथ उन्हें सर्वाजनिक रूप से अपमानित भी किया जाता है। कुछ ऐसा ही हाल नगर के ब्रह्मचारी का कुंआ स्थित एक प्राइवेट स्कूल का बताया जा रहा है जहां बेहतर शिक्षा और वाहन आदि शुल्क के नाम पर अभिभावकों का जमकर शोषण किया जा रहा है। कुछ वाहन चालकों और शिक्षकों ने नाम न छापे जाने की शर्त पर बताया है कि छुट्टियों के दौरान भी वाहन शुल्क अभिभावकों से वसूल किया गया, लेकिन वाहन चालक को एक धेला भी नहीं दिया गया। अभिभावकों ने प्रदेश के मुख्यमंत्री सहित उच्च शिक्षा मंत्री और स्थानीय जिला प्रशासन से गुहार लगाते हुए प्राइवेट स्कूल संचालकों की इस मनमानी पर रोक लगाने के साथ कार्रवाई किए जाने की मांग की है। बताते चले कि कुछ अभिभावकों ने इन्हीं शोषण और मानसिक उत्पीड़न से तस्त्र होकर कुछ प्राइवेट स्कूलों का अच्छा खासा कच्चा चिट्ठा एकत्र कर उच्चाधिकारियों को सौंपते हुए जांच कराने की मांग कि है, ताकि बेहतर और संस्कारित शिक्षा के नाम दुकानदारी चलाने वाले ऐसे स्कूल मालिकों और संचालकों की कलई खोली जा सके जो उंची दुकान, फिके पकवान की तर्ज पर काम कर रहें हैं।

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