मुंबई, दि. १३ : राज्य में तिलहन का बड़े प्रमाण में उत्पादन हुआ है इसलिए तिलहन उत्पादक किसानों को राहत देने के उद्देश्य से केंद्र सरकार खाद्य तेलों पर आयात शुल्क में वृद्धि करे, ऐसी विनती राज्य के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने केंद्रीय वाणिज्य व उद्योग राज्यमंत्री (स्वतंत्र कार्यभार) श्रीमती निर्मला सीतारामन से की ।
श्रीमती सीतारामन को भेजे गये पत्र में मुख्यमंत्री ने कहा है कि क्रूड पामतेल पर आयात शौल्क वर्ष 2000 में 16 प्रतिशत थी जो 2001 में75 प्रतिशत थी । वर्ष 2000 से 2013 के फीच क्रूड पामतेल पर आयात शुल्क ढाई प्रतिशत से पेंसठ प्रतिशत के बीच बदलती रही । वर्ष 2015 से यह साढ़े सात प्रतिशत से साढ़े बारह प्रतिशत के बीच रहने के कारण किसानों को कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है ।
सोयाबीन की दर वर्ष 2014 में प्रति क्विटंल 3800 रुनये, वर्ष 2015 में 3500 , वर्ष 2016 में 3450 तथा अब वर्ष 2017 में 2700 से 2900के बीच आ पहुँची है । खरीफ फसल के लिए सोयाबीन की न्यूनतम आधारभूत कीमत 3050 रुपये निश्चित की गयी है । तिलहन पर लगने वाली आयात शुल्क का देश के अंदर बाजार में तिलहन की दर पर सीधा असर पड़ता है यह सिद्ध बात है । इसलिए तिलहन पर आयात शुल्क बढ़ाने की आवश्यकता है । इस संबंध में निर्णय लिये जाने से राज्य की तिजोरी पर कोई बोझ नहीं पड़ेगा । न्यूनतम आधारभूत दर पर तिलहन की खरीदी करना राज्य सरकार को सुलभ होगा । आयात शुल्क बढ़ाने से ग्राहकों को भी कोई नुकसान नहीं होगा । जबकि सरकार को आठ हजार करोड़ का अधिक आबकारी शुल्क प्राप्त हो सकेगा । इसलिए कच्चे खाद्य तेल पर आयात शुल्क 35 प्रतिशत तथा रिफाइंड खाद्य तेल पर आयात शुल्क 50प्रतिशत बढ़ाई जाने की माँग मुख्यमंत्री ने इस पत्र के माध्यम से की है ।
---------------------------------------------------------------------------------------------------------------------- Disclaimer हमे आप के इस न्यूज़ पोर्टल को बेहतर बनाने में सहायता करे और किसी खबर या अंश मे कोई गलती हो या सूचना / तथ्य मे कमी हो अथवा कोई कॉपीराइट आपत्ति हो तो वह ईमेल hindustankiaawaz.in@gmail.com भेज कर सूचित करे । साथ ही साथ पूरी जानकारी तथ्य के साथ दे । जिससे आलेख को सही किया जा सके या हटाया जा सके ।
श्रीमती सीतारामन को भेजे गये पत्र में मुख्यमंत्री ने कहा है कि क्रूड पामतेल पर आयात शौल्क वर्ष 2000 में 16 प्रतिशत थी जो 2001 में75 प्रतिशत थी । वर्ष 2000 से 2013 के फीच क्रूड पामतेल पर आयात शुल्क ढाई प्रतिशत से पेंसठ प्रतिशत के बीच बदलती रही । वर्ष 2015 से यह साढ़े सात प्रतिशत से साढ़े बारह प्रतिशत के बीच रहने के कारण किसानों को कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है ।
सोयाबीन की दर वर्ष 2014 में प्रति क्विटंल 3800 रुनये, वर्ष 2015 में 3500 , वर्ष 2016 में 3450 तथा अब वर्ष 2017 में 2700 से 2900के बीच आ पहुँची है । खरीफ फसल के लिए सोयाबीन की न्यूनतम आधारभूत कीमत 3050 रुपये निश्चित की गयी है । तिलहन पर लगने वाली आयात शुल्क का देश के अंदर बाजार में तिलहन की दर पर सीधा असर पड़ता है यह सिद्ध बात है । इसलिए तिलहन पर आयात शुल्क बढ़ाने की आवश्यकता है । इस संबंध में निर्णय लिये जाने से राज्य की तिजोरी पर कोई बोझ नहीं पड़ेगा । न्यूनतम आधारभूत दर पर तिलहन की खरीदी करना राज्य सरकार को सुलभ होगा । आयात शुल्क बढ़ाने से ग्राहकों को भी कोई नुकसान नहीं होगा । जबकि सरकार को आठ हजार करोड़ का अधिक आबकारी शुल्क प्राप्त हो सकेगा । इसलिए कच्चे खाद्य तेल पर आयात शुल्क 35 प्रतिशत तथा रिफाइंड खाद्य तेल पर आयात शुल्क 50प्रतिशत बढ़ाई जाने की माँग मुख्यमंत्री ने इस पत्र के माध्यम से की है ।
---------------------------------------------------------------------------------------------------------------------- Disclaimer हमे आप के इस न्यूज़ पोर्टल को बेहतर बनाने में सहायता करे और किसी खबर या अंश मे कोई गलती हो या सूचना / तथ्य मे कमी हो अथवा कोई कॉपीराइट आपत्ति हो तो वह ईमेल hindustankiaawaz.in@gmail.com भेज कर सूचित करे । साथ ही साथ पूरी जानकारी तथ्य के साथ दे । जिससे आलेख को सही किया जा सके या हटाया जा सके ।
Post a Comment
Blogger Facebook