मुंबई,अतिरिक्त बजट पेश करनेवाली मुंबई विद्यापीठ की आर्थिक स्थिती कमजोर होने से गत 22 महीने में पैसे की जरुरत पड़ते ही 111 करोड़ की डिपॉजिट रकम समय के पहले ही निकालने का सनसनीखेज खुलासा मुंबई विद्यापीठ ने आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को दी हुई जानकारी से हुआ हैं। मुंबई विद्यापीठ के खजाने में ठणठण भोपला होते हुए अतिरिक्त बजट पेश करने के लिए आंकड़ों को बढ़ा चढ़ाकर पेश करने की बात स्पष्ट हुई हैं।
आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने मुंबई विद्यापीठ से विभिन्न बैंक में रखी रकम और समय से पहले निकाली डिपॉजिट रकम की जानकारी मांगी थी। मुंबई विद्यापीठ के वित्त व लेखा विभाग ने अनिल गलगली को 1 जुलाई 2015 से 31 मई 2017 तक की जानकारी दी हैं। विभिन्न बैंक में 100 डिपॉजिट समय से पहले ही निकालकर मुंबई विद्यापीठ ने प्राप्त रकम का इस्तेमाल किया हैं। 20 नवंबर 2015 से 28 अप्रैल 2017 इस दौरान 110 करोड़ 87 लाख 90 हजार 661 रुपए की रकम समय से पहले निकालने से मुंबई विद्यापीठ को 3 करोड़ 55 लाख 6 हजार 656 और 49 पैसे इतना ब्याज मिला हैं जो समय अवधि खत्म होने के बाद चार गुना हो सकता हैं।
1 करोड़ से अधिक रकम 11 बार निकाली गई।
इसमें 1 सितंबर 2016 को सबसे अधिक रकम यानी 6 करोड़ 64 लाख 75 हजार की रकम बँक ऑफ बडोदा से निकाली गई। जिसपर 14 लाख 73 हजार 211 रुपए का ब्याज मिला। 100 डिपॉजिट जिन बैंकों से निकाला गया हैं वह सभी डिपॉजिट 1 वर्ष की अवधि के लिए रखी गई थी। 29 सितंबर 2016 को 17 डिपॉजिट की रकम निकाली गई। 14 सितंबर 2016 को 26 डिपॉजिट की रकम, 7 सितंबर 2016 को 21 डिपॉजिट की रकम, 30 सितंबर 2016 को 6 डिपॉजिट की रकम ऐसे कुल मिलाकर सिर्फ सितंबर 2016 इस महीने में 71 डिपॉजिट की रकम बैंकों से निकाली गई हैं।
10 मार्च 2017 को मुंबई विद्यापीठ की सामान्य निधी की रकम सिर्फ 15 करोड़ थी जो आज के समय शून्य तक जा सिमटी हैं। मुंबई विद्यापीठ के एकाउंट में विभिन्न निधी के जरिए 518 करोड़ की डिपॉजिट की रकम भले ही हो लेकिन अधिकांश निधी का इस्तेमाल करने की इच्छा होने के बाद भी कोई भी इस निधी का इस्तेमाल कर नहीं सकता हैं इसीलिए 110 करोड़ की डिपॉजिट की रकम समय के पहले ही निकालने का काम वाईस चांसलर डॉ संजय देशमुख ने किया हैं। दि महाराष्ट्र युनिव्हर्सिटीस अकाउंट्स कोड 1.72 के अनुसार डिपॉजिट की रकम और निवेश का निर्णय लेने का अधिकार वाईस चांसलर को हैं।
अनिल गलगली ने इसपर नाराजगी जताते हुए मुंबई विद्यापीठ के चांसलर और राज्यपाल को पत्र भेजकर वाईस चांसलर डॉ संजय देशमुख को बरखास्त करने की मांग की हैं। पहले ही परीक्षा का परिणाम समय पर घोषित न करनेवाले डॉ देशमुख अब डिपॉजिट की रकम की सफाई कर रहे हैं। बजट के आंकड़े बढ़ा चढ़ाकर पेश करनेवाले मुंबई विद्यापीठ का नियोजन ठीक ढंग से नहीं होने से वर्तमान में मुंबई विद्यापीठ दयनीय अवस्था में हैं। लाखों छात्रों का भविष्य जिस मुंबई विद्यापीठ पर हैं उसका आर्थिक ढांचा कमजोर करनेवाले अधिकारियों की जांच रिटायर्ड जज से कर कारवाई की मांग अनिल गलगली ने की हैं।
*************************************************************************************************************** Disclaimer हमे आप के इस न्यूज़ पोर्टल को बेहतर बनाने में सहायता करे और किसी खबर या अंश मे कोई गलती हो या सूचना / तथ्य मे कमी हो अथवा कोई कॉपीराइट आपत्ति हो तो वह ईमेल hindustankiaawaz.in@gmail.com भेज कर सूचित करे । साथ ही साथ पूरी जानकारी तथ्य के साथ दे । जिससे आलेख को सही किया जा सके या हटाया जा सके ।
आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने मुंबई विद्यापीठ से विभिन्न बैंक में रखी रकम और समय से पहले निकाली डिपॉजिट रकम की जानकारी मांगी थी। मुंबई विद्यापीठ के वित्त व लेखा विभाग ने अनिल गलगली को 1 जुलाई 2015 से 31 मई 2017 तक की जानकारी दी हैं। विभिन्न बैंक में 100 डिपॉजिट समय से पहले ही निकालकर मुंबई विद्यापीठ ने प्राप्त रकम का इस्तेमाल किया हैं। 20 नवंबर 2015 से 28 अप्रैल 2017 इस दौरान 110 करोड़ 87 लाख 90 हजार 661 रुपए की रकम समय से पहले निकालने से मुंबई विद्यापीठ को 3 करोड़ 55 लाख 6 हजार 656 और 49 पैसे इतना ब्याज मिला हैं जो समय अवधि खत्म होने के बाद चार गुना हो सकता हैं।
1 करोड़ से अधिक रकम 11 बार निकाली गई।
इसमें 1 सितंबर 2016 को सबसे अधिक रकम यानी 6 करोड़ 64 लाख 75 हजार की रकम बँक ऑफ बडोदा से निकाली गई। जिसपर 14 लाख 73 हजार 211 रुपए का ब्याज मिला। 100 डिपॉजिट जिन बैंकों से निकाला गया हैं वह सभी डिपॉजिट 1 वर्ष की अवधि के लिए रखी गई थी। 29 सितंबर 2016 को 17 डिपॉजिट की रकम निकाली गई। 14 सितंबर 2016 को 26 डिपॉजिट की रकम, 7 सितंबर 2016 को 21 डिपॉजिट की रकम, 30 सितंबर 2016 को 6 डिपॉजिट की रकम ऐसे कुल मिलाकर सिर्फ सितंबर 2016 इस महीने में 71 डिपॉजिट की रकम बैंकों से निकाली गई हैं।
10 मार्च 2017 को मुंबई विद्यापीठ की सामान्य निधी की रकम सिर्फ 15 करोड़ थी जो आज के समय शून्य तक जा सिमटी हैं। मुंबई विद्यापीठ के एकाउंट में विभिन्न निधी के जरिए 518 करोड़ की डिपॉजिट की रकम भले ही हो लेकिन अधिकांश निधी का इस्तेमाल करने की इच्छा होने के बाद भी कोई भी इस निधी का इस्तेमाल कर नहीं सकता हैं इसीलिए 110 करोड़ की डिपॉजिट की रकम समय के पहले ही निकालने का काम वाईस चांसलर डॉ संजय देशमुख ने किया हैं। दि महाराष्ट्र युनिव्हर्सिटीस अकाउंट्स कोड 1.72 के अनुसार डिपॉजिट की रकम और निवेश का निर्णय लेने का अधिकार वाईस चांसलर को हैं।
अनिल गलगली ने इसपर नाराजगी जताते हुए मुंबई विद्यापीठ के चांसलर और राज्यपाल को पत्र भेजकर वाईस चांसलर डॉ संजय देशमुख को बरखास्त करने की मांग की हैं। पहले ही परीक्षा का परिणाम समय पर घोषित न करनेवाले डॉ देशमुख अब डिपॉजिट की रकम की सफाई कर रहे हैं। बजट के आंकड़े बढ़ा चढ़ाकर पेश करनेवाले मुंबई विद्यापीठ का नियोजन ठीक ढंग से नहीं होने से वर्तमान में मुंबई विद्यापीठ दयनीय अवस्था में हैं। लाखों छात्रों का भविष्य जिस मुंबई विद्यापीठ पर हैं उसका आर्थिक ढांचा कमजोर करनेवाले अधिकारियों की जांच रिटायर्ड जज से कर कारवाई की मांग अनिल गलगली ने की हैं।
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