उन्नाव,हिन्दुस्तान की आवाज, मोहित मिश्रा
बीघापुर उन्नाव क्षेत्र में कभी धान की फसल लहलहाया करती थी पर धीरे-धीरे किसानों का मोह धान की फसल के प्रति भंग होने लगा क्योंकि प्रक्रति ने भी किसानों का साथ छोड़ दिया और बरसात कम होने लगी प्रकृति तो रुठी ही पर क्षेत्र के प्रतिनिधियो ने भी इस ओर ध्यान नही दिया समय समय पर जनप्रतिनिधियो ने नहरो में पानी आने के लिए दावे तो बड़े बड़े किये पर आज तक हालात जस के तस बने हुए है धान की फसल के लिए बेढ नर्सरी बोने का समय चल रहा है जैसे जैसे समय निकल रहा है किसानो के माथे पर बल पड़ रहे है क्योकि नहरो में पानी नही बरसात के भी लक्षण नही इस प्रचण्ड गर्मी में बिना पानी के नर्सरी बोना कैसे सम्भव होगा नहरो की सफाई भले ही कही कही हुई हो पर पानी अभी तक नही पहुँचा जिन नहर की शाखाओ में पानी आया भी वह मात्र छलावा क्योकि वह पानी सिर्फ नहरो की तली में तैर रहा है सत्ता परिवर्तन के बाद किसानो में यह विस्वास जगा था की शायद अबकी बार नहरो में पानी आएगा और फिर धान की फसल लहलहाएगी पर अभी तक हालात ऐसे नही दिखाई दे रहे है वहीँ छुटभैये नेताओ द्वारा किसानो को आस्स्वासन दिया जा रहा है कि इस बार नहरो में पानी टेल तक पहुचेगा पर यह तो वहीँ कहावत हुई अब बरसे तो का बरसे जब सावन बीत गया अब गरजे तो का गरजे जब दुश्मन जीत गया जब फसल का समय निकल जाएगा तब नहरो में पानी आने से ही क्या फायदा सरकार भी किसानो के उथ्थान के लिए बड़ी बड़ी घोषणाए कर रही है पर क्षेत्र में धरातल पर अभी किसानो के लिए कुछ दिखाई नही पड़ रहा है क्या इस बार नहरो में पानी टेल तक पहुचेगा यह तो समय बताएगा पर इसी तरह घोषणाओं का लालीपाप किसानो को मिलता रहा तो वह दिन दूर नही जब क्षेत्र का किसान भी आंदोलन के लिए मजबूर होगा ।
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बीघापुर उन्नाव क्षेत्र में कभी धान की फसल लहलहाया करती थी पर धीरे-धीरे किसानों का मोह धान की फसल के प्रति भंग होने लगा क्योंकि प्रक्रति ने भी किसानों का साथ छोड़ दिया और बरसात कम होने लगी प्रकृति तो रुठी ही पर क्षेत्र के प्रतिनिधियो ने भी इस ओर ध्यान नही दिया समय समय पर जनप्रतिनिधियो ने नहरो में पानी आने के लिए दावे तो बड़े बड़े किये पर आज तक हालात जस के तस बने हुए है धान की फसल के लिए बेढ नर्सरी बोने का समय चल रहा है जैसे जैसे समय निकल रहा है किसानो के माथे पर बल पड़ रहे है क्योकि नहरो में पानी नही बरसात के भी लक्षण नही इस प्रचण्ड गर्मी में बिना पानी के नर्सरी बोना कैसे सम्भव होगा नहरो की सफाई भले ही कही कही हुई हो पर पानी अभी तक नही पहुँचा जिन नहर की शाखाओ में पानी आया भी वह मात्र छलावा क्योकि वह पानी सिर्फ नहरो की तली में तैर रहा है सत्ता परिवर्तन के बाद किसानो में यह विस्वास जगा था की शायद अबकी बार नहरो में पानी आएगा और फिर धान की फसल लहलहाएगी पर अभी तक हालात ऐसे नही दिखाई दे रहे है वहीँ छुटभैये नेताओ द्वारा किसानो को आस्स्वासन दिया जा रहा है कि इस बार नहरो में पानी टेल तक पहुचेगा पर यह तो वहीँ कहावत हुई अब बरसे तो का बरसे जब सावन बीत गया अब गरजे तो का गरजे जब दुश्मन जीत गया जब फसल का समय निकल जाएगा तब नहरो में पानी आने से ही क्या फायदा सरकार भी किसानो के उथ्थान के लिए बड़ी बड़ी घोषणाए कर रही है पर क्षेत्र में धरातल पर अभी किसानो के लिए कुछ दिखाई नही पड़ रहा है क्या इस बार नहरो में पानी टेल तक पहुचेगा यह तो समय बताएगा पर इसी तरह घोषणाओं का लालीपाप किसानो को मिलता रहा तो वह दिन दूर नही जब क्षेत्र का किसान भी आंदोलन के लिए मजबूर होगा ।
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