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मुंबई मेट्रो के मासिक पास और रिटर्न किराए में वृद्धि होने से आम यात्रियों में नाराजगी हैं। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को मुंबई मेट्रो ने दिए जबाब में साफ किया हैं कि रिटर्न किराया और मंथली किराए के स्लॅब में वृद्धि की हैं। मुंबई उच्च न्यायालय की अनुमति ली हैं या नहीं? इसपर मुंबई मेट्रो ने रखा मौन चर्चा का विषय हैं।

आगामी 14 जून 2017 को मुंबई मेट्रो और एमएमआरडीए में चल रहा विवाद की सुनवाई होते हुए उसके पहले ही मुंबई मेट्रो का किराए में वृद्धि कर अपरोक्ष तौर पर मुंबई उच्च न्यायालय का अपमान किया हैं। यह आरोप लगाते हुए अनिल गलगली ने एमएमआरडीए प्रशासन से मांग की हैं कि आगामी सुनवाई में इसका जिक्र कर न्यायालय के संज्ञान में इसे लाए। रिटर्न किराया 5 रुपए से महंगा हुआ हैं और मासिक  पास में भी वृद्धि हो रही हैं। अनिल गलगली के अनुसार मुंबई मेट्रो में किराया बढ़ाने के पहले मुंबई उच्च न्यायालय की अनुमति ली होती तो किराया वृद्धि जायज होता था। इस तरह आनन फानन में किराया बढ़ाकर मुंबई उच्च न्यायालय को चुनौती देने का काम मुंबई मेट्रो ने किया हैं।

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