-अधिकारियों और सरकार पर लगाया दोहरी नीति अपनाने का आरोप
-कार्य के साथ सुविधाओं पर भी ध्यान देने की उठाई मांग
मीरजापुर (सन्तोष देव गिरि) प्रदेश सरकार नित्य नए-नए नियम कानून बना रही है तथा डिजिटल इंडिया, साईनिंग इंडिया के स्तर से काम कर रही है जो अच्छा कदम है, किन्तु इससे कर्मचारियों खासकर वर्दीधारी जवानों को कई प्रकार की परेशानियों से जूझना पड़ जा रहा है जिसकी ओर न तो सरकार का ध्यान है और ना ही अधिकारियों का। यह बाते अराजपत्रित पुलिस वेलफेयर संस्था के मंडल प्रवक्ता सलाहकार सुशील कुमार दुबे एडवोकेट ने कहीं है वह संस्था की बैठक में उपस्थित वर्दीधारी जवानों को सम्बोधित करते हुए बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि प्रदेश के अराजपत्रित पुलिस जवानों के हित लाभ में प्रदेश सरकार ने अभी तक कोई भी आदेश, निर्देश जारी नहीं किया है। बल्कि दिन प्रतिदिन पुलिस जवानों के आर्थिक, मानसिक, विभागीय उत्पीड़न का कार्य पुलिस अधिकारियों द्वारा करने के साथ नियम विरूद्व उन्हें दण्डित करने का भी काम किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में पुलिस अधिक्षक मीरजापुर द्वारा वाॅट्सप द्वारा मैसेज भेज कानून व्यवस्था की हर छोटी बड़ी सूचना का आदान प्रदान करने के साथ ड्यूटी का 24 घंटे का रिर्पोट त्वरित भेजे जाने आदि का निर्देश दिया गया है जो न्यायसंगत नहीं है। उन्होंने सवाल उठाया कि अल्प वेतनभोगी जवानों को वर्तमान में कोई भी मोबाइल भत्ता सरकार या विभाग द्वारा नहीं प्रदान किया जा रहा है ऐसे में जवानों को अपने वेतन में से कम से कम पांच सौ रूपए प्रतिमाह का अतिरिक्त खर्च वहन करना होगा। मंडल प्रवक्ता दुबे ने कहा शासन द्वारा साइकिल भत्ता पाने वाला पुलिस जवान कितना तीव्रगति से क्षेत्र में कहां-कहां जाकर सुरक्षा व्यवस्था की कमान संभाल सकता है यह सोचनीय है। यदि जवान के पास स्वयं की बाइक है तो उसका भी ईधन खर्च उसे वहन करना पड़ता है। जबकि अधिकारियों को सरकारी वाहन और ईधन के खर्च से कोई लेना देना नहीं होता है। ऐसे में यह दोहरी नीति को क्या न्यायसंगत कहा जा सकता है। गौर किया जाए तो डीजी से लेकर थाना प्रभारियों तक सरकारी मोबाइल, वाहन और ईधन का खर्च आदि की सुविधा प्रदान की जा रही है केवल पुलिसकर्मियों पर आदेश, निर्देश थोपा जा रहा है। उन्होंने याद दिलाते हुए कहा कि पूर्व में डीजीपी द्वारा पुलिस जवानों की लगातार ड्यूटी से होने वाली परेशानियों को देखते हुए दसवें दिन अवकाश देने का आदेश जारी किया था लेकिन उनका यह आदेश फाईलों में दब कर रह गया। पूर्व डीजीपी के आदेश के क्रम में तत्कालीन पुलिस अधीक्षक मीरजापुर अरविंद सेन द्वारा जिले में यह आदेश जारी किया गया था जिसका कुछ हद तक पालन होने भी लगा था लेकिन कालान्तर में यह आदेश हवा हवाई साबित होकर रह गया है। इन सब से स्पष्ट होता है कि सरकार और अधिकारी केवल त्वरित कार्य कराना तो चाहते है, लेकिन कर्मचारियों के समस्याओं के त्वरित समाधान और उनके प्रति संवेदनशील बनना नहीं चाहते है। इस दौरान अन्य वक्ताओं ने पुलिस अधीक्षक मीरजापुर से मांग किया कि जवानों से कार्य कराने के साथ-साथ उनके आर्थिक, मानसिक, विभागीय सुविधाओं और समस्याओं पर भी ध्यान देने के साथ उनका निस्तारण कराया जाय ताकि जवान स्वस्थ्य मन से कार्य सरकार कर सके। पीआरडी संघ के अध्यक्ष दीपचन्द्र मौर्या ने कहा कि योगी सरकार से यही उम्मीद हैं कि वर्दीधारी जवानों की भी सुविधाओं पर उनकी सरकार ध्यान देने के साथ उनकी समस्याओं का समाधान करने का कार्य करेगी। बैठक में मौजूद पीएसी जवानों ने भी दसवें दिन अवकाश को लागू करने तथा कई वर्षो से टीए, डीए का पैसा शीघ्र दिए जाने की मांग की। इस दौरान मंडन प्रवक्ता ने मीडिया के लोगों से भी गुहार लगाते हुए जवानों की समस्याओं को शासन-सत्ता से लेकर उच्चाधिकारियों तक पहुंचाने की मांग की। कहा कि शीघ्र की सभी वर्दीधारी जवानांे की समस्याओं को लेकर संस्था के संस्थापक बिजेन्द्र सिंह यादव प्रदेश के मुख्यमंत्री से मिलकर उन्हें सम्पूर्ण वस्तुस्थिति से अवगत कराने का काम करेगें। इस मौके पर रविन्द्रनाथ, सुरेश कुमार, रमेश सिंह नीरज कुमार, रामेश्वर, नरेन्द्र सिंह, सतेन्द्र आदि सहित सैकड़ों की संख्या में वर्दीधारी जवान उपस्थित रहे।
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