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बांदा, 10 मई 2017। (सन्तोष कुशवाहा न्यूरो प्रमुख हिन्दुस्तान की आवाज़)।

बांदा जिले में विश्व ज्यातिपुंज विश्व गुरू तथागत बुद्ध की 2580वां जन्म दिवस, ज्ञान प्राप्ति और महापरिनिर्वाण दिवस को बुद्ध पूर्णिमा का महापर्व बुद्धं शरणं गच्छामि, धम्मं शरणं गच्छामि, संघं शरणं गच्छामि उद्घोष के साथ बैद्ध दर्शन के समर्थक पूरी श्रद्धा और हर्षोल्लास के साथ मना रहे है। करुण-मैत्री, सत्य, न्याय और अहिंसा के रास्ते पर चलनें का संकल्प लिया गया।

बुद्धवार 10 मई 2017 को तरुण विकास संस्थान बदौसा में बुद्ध पूर्णिमा का पर्व पूरी श्रद्धा और हर्षोल्लास के साथ मनाया गया तथा करुण-मैत्री, सत्य, न्याय और अहिंसा के रास्ते पर चलनें का संकल्प लिया गया। संस्थान की निदेशक उमा कुशवाहा नें तथागत गोतम बुद्ध के जीवन पर प्रकाश डालते हुए बोली तथागम बुद्ध के जीवन की तीन प्रमुख घटनाएं वैशाख पूर्णिमा के दिन घटी थी, पहला राजकुमार सिद्धाथ के रूप में जन्म, दूसरा बोध गया के महाबोधि वृक्ष के नीचे कठिन साधना के उपरान्त सम्यक ज्ञान की प्राप्ति और तीसरी घटना कुशीनगर में तथागत बुद्ध का महापरिनिर्वाण (देहान्त) को एक साथ बुद्ध पूर्णिमा के नाम से मनाते हैं।

भारत दुनिया का एक ऐसा देश है जहां बुद्ध जैसे महान ब्यक्तित्व नें जन्म लिया और ज्ञान प्राप्त कर पूरे विश्व का दिशा दिया। भारत के मूल निवासी आज भी झूठ,पाखण्ड़, अन्धविश्वास, षड़यन्त्र और धोखे पर टिकी परम्पराओं पर फसें कष्ट भोग रहे हैं। बुद्ध का दर्शन विज्ञान, तर्क और ज्ञान के आधार पर सत्य, न्याय, और अहिंसा पर आधारित जन कल्याणकारी है। बुद्ध के दर्शन पर चलने से ही देश व समाज का विकास होगा। इस अवशर पर रामरूप, सन्तोष कुशवाहा, राजेश कुमार, शैलेन्द्र कुमार, रामाशंकर सैनी, अर्जुन सिंह फौजी, होरीलाल प्रजापति आदि लोगों नें सिरकत बुद्ध के दर्शन पर चलने का संकल्प लिया।

इसी प्रकार बुद्धवार 10 2017 को बुद्ध पूर्णिमा के अवशर पर भागवत प्रसाद महिला महाविद्यालय अतर्रा में आयोजित बुद्ध जयन्ती समारोह भन्ते रविखत और भन्ते करुणा सागर नें भगवान बुद्ध की स्तुति से प्रारम्भ कराते हुए बोल गोतम बुद्ध नें कहा था कि हजार योद्धाओं में विजय पाना आसान है लेकिन जो अपने ऊपर विजय पा लेता है, वही सच्चा विजयी है।

रामभवन कुशवाहा जिला महासचिव जन अधिकार पार्टी बांदा संचालन करते हुए बोले गौतम बुद्ध अपने मानववादी एवं विज्ञानवादी बौद्ध धम्म दर्शन से दुनिया के सबसे महान महापुरुष हुए है। सिद्धाथ का जन्म 563 ईशा पूर्व कपिलवस्तु के मूल निवासी शाक्य वंश में राजा शुद्धोदन के घर हुआ। इनकी शिक्षा-दीक्षा राजघराने में हुई। इनका विवाह 16 साल की उम्र में यशोधरा के साथ हुआ। राजकुमार राजा बनने की बजाय भिक्षु का जीवन मानव कल्याण के लिए चुना। रथ और पालकी छोड जीवन भर नंगे पैर चले। गौतम बुद्ध का लालन पालन इनकी मौसी गौतमी नें किया इसी लिए इन्होनंे अपनी मौसी के सम्मान में अपने नाम के आगे गौतम लगाया था।

रामराज कुशवाहा नें कहा कि गौतम बुद्ध नें मानव कल्याण के लिए झूंठ और पांखण्ड़ के खिलाफ काल्पिनिक भगवानों और देवी देवताआंे का डर भागाया। और अपना दीपक आप बनों का संदेश दिया। वेदों और पुराणों तथा अनेक ग्रन्थों में लिखी कपोल काल्पनाओं को अपनी बुद्धि और तर्क, ज्ञान, विवके और अनुभव की कसौटी पर परखने के बाद ही मानने का सन्देश आवाम में फैलाया।

घनश्याम कुशवाहा नें कहा कि बुद्ध नें पूजा, अर्चना, कर्म काण्ड़, हवन और यज्ञ से शुद्धीकरण को नकारते हुए मन, वाणी और कर्म को शुद्ध रखने का संदेश दिया। डाॅ0 चन्द्रपाल कुशवाहा नें कहा कि बुद्ध कहते थे ककि अपने दिमाग, बुद्धि और विवेक को काम में ले कर कोई भी कार्य करो अपनी विज्ञान की कसौटी में कसलो फिर उसे करो।

इं0 गया प्रसाद कुशवाहा नें सभी को भगवान बुद्ध, बौद्ध धर्म और उनका दर्शन, अयोघ्या में बौघ्द्धों का बावरी महाविहार व महामाया नामक पुस्तकें भेंट करते हुए कहा कि भगवान बुद्ध नें कहा था कि स्वास्थ्य सबसे बड़ा उपहार है और सन्तोष सबसे बड़ा धन और विश्वास सबसे अच्छा संबंध होता है।

चुन्ना प्रसाद प्रजापति जिलाध्यक्ष जन अधिकार पार्टी नें कहा विश्व के इतिहास में गौतम बुद्ध एक ऐसे अदुत्तीय महापुरुष हुए जिन्होनें भारत को ही नहीं सम्पूर्ण विश्व को अंधकार से प्रकाश का मार्ग दिखाया है। आज भारत ही नहीं पूरा विश्व महान ब्यक्तित्व का ऋणी है। उमा कुशवाहा जिलाध्यक्ष महिला मोर्चा जन अधिकार पार्टी नें कहा कि कम्बोड़िया, थाई लैण्ड़, म्यामार, भूटान, श्रीलंका, जापान, लाओस, ताईवान, सिंगापुर, साउथकोरिया, चाइना, वियतनाम, ब्रूनी, हान्गकाॅन्ग, मकाउ, बहरैन, मलेसिया, मंगोलिया, नेपाल, कनाडा, भारत सहित 40 देशों में बुद्ध की विचार धारा पर चल कर विश्व में अपना स्थान कायम किये हुए है। बुद्ध का दर्शन विज्ञान, तर्क और ज्ञान के आधार पर सत्य, न्याय, और अहिंसा पर आधारित जनकल्याणकारी है। इस अवसर पर शिवशरण कुशवाहा एड0, जगमोहन सिंह, राजनारायण, रविकांत, छत्रसाल, डाॅ0 अजय वर्मा, रमेश, बलबीर सिंह, हरिशचन्द्र, विजय कुशवाहा, डाॅ0 अवनेन्द्र कुशवाहा, धर्मेन्द्र सिंह, अतुल शाक्य आदि वक्ताओं ने विचार रखा।

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