एक और राष्ट्रीय महासचिव बसपा से बहार जा सकते हैं
बांदा। (सन्तोष कुशवाहा न्यूरो प्रमुख हिन्दुस्तान की आवाज़)।
बहुजन समाज पार्टी के विधान सभा चुनाव 2017 में करारी हार के बाद बांदा के कद्दावर नेता नसीमुद्दीन सिद्दीकी और उसके बेटे अफजर सिद्दीकी को पार्टी से बर्खास्तगी के बाद जिले में चर्चा का माहौल गरमाया हुआ है, नसीमृद्दीन समर्थकों ने जिला मुख्यालय पर मायावती के खिलाफ नारेबाजी की गयी।
बुद्धवार को 10 बहुजन समाज पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सतीश मिश्रा द्वारा लखनऊ में प्रेस करके भ्रष्टाचार और पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में नसीमुद्दीन सिद्दीकी और उनके बेटे अफजल सिद्दीकी को पार्टी से बर्खास्त करने की खबर नें बादा जिले का पारा 48 के पास कर दिया। कभी बसपा सुप्रिमो मायावती के खासमखास रहे पार्टी के महासचिव नसीमुद्दीन सिद्दीकी को एक ही झटके में बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। इसी प्रकार 2012 के चुनाव के पहले मिनी मुखमत्री कहे जाने वाले बांदा के ही कद्दावर नेता बाबू सिंह कुशवाहा पूर्व कैबिनेट मंत्री को नसीमुद्दीन के ही इसारे में मायावती नें पार्टी से निकाला और एनएचआरएम के घोटाले में फंसा कर जेल भेज दिया था। बाबू सिंह कुशवाहा के बाहर जाते ही पूर्ण बहुमत की सरकार से 2012 के विधान सभा चुनाव में बसपा 80 सीटों में सिमट गयी और 2014 के लोक सभा चुनाव में शून्य में पहंुची और 2017 के उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में कुशवाहा, मौर्य समाज को छोड़ने के परिणाम स्वरूप विधान सभा में 19 सीट पर सिमटी बसपा सुप्रिमो मायावती नें बसपा से निस्कासित मंत्री रहे दद्दू प्रसाद वर्मा की घर वापसी के बाद बुद्ध जयन्ती के दिन नसीम और उसके बेटे को बसपा से निकालने का कड़ा फैसला लिया।
सतीश मिश्रा महासचिव बसपा नें पत्रकरों को बताया है कि नसीमृद्दीन नें चुनाव के दौरान लोगों से धन वसूला है। पार्टी की जिम्मदारियों का निर्वाह नहीं किया, बार बार बुलाने के बाद भी अपना पक्ष रखने से तराने और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बेनामी सम्पति अर्जित करने के आरोप में पिता और पुत्र को पार्टी से निकाले जाने का निर्णय बसपा सुप्रिमों ने लिया है।
नसीमुद्दीन के समर्थकों नें जिला मुख्यालय में बसपा सुप्रिमों मायावती के खिलाफ नारेबाजी कर सडको में उतरर कर बसपा छोड़नें का एलान कर दिया तो वहीं बांदा शहर में चर्चा हो रही है नसीम को हटा कर बसपा कुशवाहा समाज के नेता बाबू सिंह कुशवाहा की घर वापसी की तैयारी कर रही है। उनको अपनी गलती का एहसास हो गया है कि बाबू सिंह कुशवाहा के बिना पार्टी प्रदेश में नहीं चल सकती। पिछडे वर्ग का कोई भी असरदार नेता उनके साथ नहीं बचा बिना पिछडों के प्रदेश तो क्या देश में किसी की भी सरकार नहीं बन सकती है। 2017 के विधान सभा चुनाव में बाबू सिंह कुशवाहा पूर्व कैबिनेट मंत्री नें जन अधिकार पार्टी बना कर अतिपिछडों और अति दलितों को लाम बंद करने और आरक्षण के समर्थन में प्रदेश में सैकडों जन सभाएं करके लोगों का बोट की कीमत को घूम घू कर बताया और पिछड़ा वर्ग नें बसपा को उसकी औकात दिखा दिया।
पूरा विश्व महामानव गौतम बुद्ध की 2580वीं जयन्ती मना रहा था तभी महामानव नें बसपा सुप्रिमों मायावती को ज्ञान दिया कि बसपा को बचाना है तो मौर्य, कुशवाहा समाज को पुनः अपना आधार बनाना होगा। इसके लिए मौर्य और कुशवाहा के खिलाफ भड़काने वाले नसीमुद्दीन सिद्दीकी को उसके बेटे के साथ पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया।
कुछ रानैतिक विषेशज्ञयों का मानना है कि बहुत ही जल्द बसपा से एक और राष्ट्रीय महासचिव का पार्टी के बाहर का रास्ता दिखाये जाने की रणनीति बन रही है। बहुत बडा परिवर्तन बसपा में होने की सम्भावना है। एक और राष्ट्रीय महासचिव के बसपा से बाहर जाने की सुगबुगाहट हो रही है।
सभी की निगाहें लगी हुई है कि बसपा सुप्रिमो मायावती जन अधिकार पार्टी के संस्थापक बाबू सिंह कुशवाहा को किस प्रकार अपने साथ ला पाती हैं या नहीं ला पाती हैं। कई अखबारों ने तो छापा है कि बाबू सिंह कुशवाहा की बसपा में हो सकती है वापसी, मगर यह सब तो कयास ही हैं। आज जन अधिकार पार्टी पूरी ताकत के साथ पूरे प्रदेश में फैल चुकी है। बाबू सिंह कुशवाहा लखनऊ में 19 मई 2017 को अपने समर्थकों और अपनी नवोदित पार्टी के जिला स्तरीय सक्रिय कार्यकताओं की बैठक बुलाई है।
नसीमृद्दीन नें कहा अपने खिलाफ हुई कार्यवाही पर तीखी प्रतिक्रिया ब्यक्त करते हुए कहा कि मायावती एण्ड कम्पनी के खिलाफ जवाब देंगे। उनपर आरोप लगानेवाले लोग इसी इल्जाम से घिरे हैं। इसके उनके पास पुख्ता प्रमाण है। मीड़िया को उपलब्ध करायेगे। बसपा नें उनकी कुर्बानियों सिला दिया है।
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