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परप्रांतीय असमंजस में |


भिवंडी। एम हुसेन । भिवंडी मनपा चुनाव में परप्रांतीय उम्मीदवारों को टिकट देने में सभी राजनीतिक पार्टियाँ टाल-मटोल की भूमिका अपना रखी है | जिससे परप्रांतीय विशेष कर उत्तर भारतीय,बिहारी समाज में काफी नाराज़गी व्याप्त है | भिवंडी में रह रहा परप्रांतीय समाज अब यह देख रहा है कि पर्चा दाखिल करने की अंतिम तारीख 6 मई है | उसके बाद हर प्रदेश का परप्रांतीय समाज इस बार मनपा चुनाव में परप्रांतीयों को टिकट न देने वाली पार्टी को सबक सिखाने का बड़ा निर्णय ले सकता है और इनकी भूमिका निर्णायक साबित हो सकती है |

गौरतलब हो कि भिवंडी मनपा चुनाव 24 मई को होना है, जिसके लिए पर्चा दाखिला की अंतिम तारीख़ 6 मई निर्धारित की गई है | भिवंडी में देश के अनेक राज्यों से आए हुए लोग भारी संख्या में रहते हैं | जिसमें सबसे बड़ी आबादी उत्तर प्रदेश व बिहार के लोगों की है | अभी तक सभी राजनीतिक पार्टियाँ परप्रांतीय वोटरों को वोट बैंक की तरह इस्तमाल करती रही हैं, लेकिन उन्हें कोई न कोई बहाना बना कर सत्ता में भागीदारी देने से वंचित रखती रही हैं | इस मनपा चुनाव में परप्रांतीय समाज काफी मजबूती से विभिन्न राजनीतिक दलों में अपने संख्या बल के अनुसार टिकट की मांग किया है | एक बड़ी राजनीतिक पार्टी के इच्छुक उम्मीदवार ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि पार्टी द्वारा उम्मीदवारी के लिए नेताओं द्वारा लिए गए इंटरव्यू में यह कहकर टिकट न दिए जाने का बहाना बनाया गया है कि गर्मी के मौसम में हिंदी भाषी राज्यों में शादी विवाह का सीजन होता है और साथ में स्कूलों में बच्चों की छुट्टी होती है | जिसके कारण अधिकांश परप्रांतीय अपने मूल गावं चले जाते हैं, इसलिए वह मतदान नही करते, तो आपको टिकट कैसे दिया जाए और आप कैसे जीतेंगे | कमोवेश यही आरोप सभी राजनीतिक दलों के नेता लगाकर परप्रांतीयों का टिकट काट रहे हैं | दूसरा षडयंत्र राजनीतिक दलों के स्थापित नेता यह करते हैं कि जहाँ कोई ठीक उम्मीदवार नही मिलता और वहां उस समाज के लोगों के मतदाताओं की संख्या कम होती है, नेता यह जानते हैं कि यहां से उम्मीदवार चुनाव नही जीत पाएगा ऐसे सीट से परप्रांतीय मतदाताओं को टिकट देकर साज़िश के तहत सत्ता से वंचित रखा जाता है | लेकिन इस बार परप्रांतीय मतदाताओं में काफी जागरूकता, एकजुटता व मुखरता दिखाई पड़ रही है | अंदर अंदर समाज के ज़िम्मेदार लोग यह चर्चा कर रहे हैं कि इस बार हमारी आबादी वाली सीट से जो भी राजनीतिक दल इच्छुक उम्मीदवार को टिकट नही देगा, उस पार्टी के पदाधिकारी व कार्यकर्ता पार्टी छोड़कर समाज के साथ मिलकर उस पार्टी के नेताओं को सबक सिखाने की तैयारी दर्शा रहे हैं | कई राजनीतिक दलों के बड़े व ज़िम्मेदार परप्रांतीय नेताओं ने अपनी पार्टी के मुखिया को इस बार का संकेत भी दे दिया है, लेकिन भिवंडी में इस बार जिताऊ व टिकाऊ उम्मीदवार के साथ सभी राजनीतिक दल कमाऊ उम्मीदवार यानी धनपशु उम्मीदवार को टिकट देने का फार्मूला अपना रखा है | भिवंडी मनपा के इस चुनाव में ऐसा माना जा रहा है कि चुनाव में इच्छुक उम्मीदवारों को टिकट न देने के विषय पर समाज द्वारा अपनाई गई शांति किसी बड़ी राजनीतिक तूफान का संकेत दे रही है |

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