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-मरीजों, तीमारदारों से लेकर वाहन को आने जाने में हो रही हैं परेशानियां

मीरजापुर ( संतोष देव गिरी ) सूबे में भले ही सत्ता बदल उठी है, लेकिन यहां स्थित मंडलीय अस्पातल की व्यवस्था और अराजकता में जरा भी बदलाव नहीं हुआ है। यहां सबकुछ पुराने ढर्रे पर ही चल रहा है। जहां कायदे कानून की बात करना ही बेमानी साबित होती है। यहां कौन क्या कर रहा है और किसके आदेश पर हो रहा है कोई न तो बताने वाला है और ना ही कोई जवाबदेह है। यों कहें की सभी जवाबदेही से बचते फिरते है। बताते चले कि मंडलीय अस्पताल में प्रवेश करने के लिए दो मुख्य गेट है एक और दो। इन दिनों गेट नंबर दो को दोपहर बाद बंद कर दिया जाता है इससे लोगों खासकर मरीजों और उनके तीमारदारों को आने जाने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। मजे कि बात है कि यह गेट न तो अस्पताल का कोई कर्मचारी बंद करता है और ना ही खोलता है तो ऐसे में सवाल उठता है कि आखिरकार यह किसके आदेश पर कौन बंद करता व खोलता है। लोगों का कहना है कि यह सबकुछ अस्पताल परिसर स्थित साइकिल स्टैंड संचालक के इशारे पर हो रहा है जो इसकी आड़ में मनमाने ढंग से वसूली कर रहे है जिसकों लेकर अक्सर किचकिच हुआ करता है। गेट नंबर दो पर बाला जड़ दिए जाने से मरीजों को ले जाने और ले आने वाले वाहनों को दिक्कतों का तो सामना करना पड़ रहा है सरकारी एम्बुलेंस चालकों को भी परेशानी सहनी पड़ रही है। जिसकी ओर किसी भी अधिकारी का ध्यान नहीं जा रहा है। जबकि देखा जाए तो वाहनों के आने और जाने के लिए गेट नंबर दो काफी सुगम है ऐसे में इस पर ताला जड़ दिए जाने से परेशानी हो रही है वहीं अक्सर मरीज और तीमारदार भी भटकने को विवश हो जाते है। मजे कि बात है कि इतने सबके बाद न तो सीएमओं का इस और ध्यान जा रहा है और नाही सीएमएस का। वहीं दुसरी ओर दबी लोगों में इस बात की चर्चा जोरों पर है कि मंडलीय अस्पताल के सीएमएस के इशारे पर ताला जड़ने का कार्य स्टैंड संचालक द्वारा किया जाता है। जिन्हें अपने स्वहित के आगे सुगम व्यवस्थाओं और मरीजों, तीमारदारों को होने वाली परेशानियों से कोई लेना देना नहीं है।

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