*आज सुबह उसके ससुर फोन करके दोनों बच्चों के मृत्यु होने की सूचना उसे दी। पंकज के अनुसार सूचना मिलते ही वो अपनी ससुराल पहुँचा, जहाँ बच्चों की दशा देखकर वो दंग रह गया, वो फौरन शकरदहा गया और घटित घटना की जानकारी स्थानीय पुलिस को दी। पुलिस ने पंचनामा कर शव को पोस्टमार्टम के लिये प्रतापगढ़ ले गए, जहाँ शव का पोस्टमार्टम हुआ और बिसरा सुरक्षित रख लिया गया। अब पुलिस के लिये सबसे बड़ी मुसीबत ये खड़ी हुई कि वो बच्चों का शव किसे सौंपे ? बाप होने के नाते पकंज अपने दोनो बच्चों का शव लेना चाहते हैं, वहीं नाना भी शव की माँग कर रहे थे।
*थानाध्यक्ष बाघराय बच्चों के शव को उसके नाना को देना चाहते हैं। उनका तर्क है कि जहाँ घटना घटी शव वहीं दिया जायेगा जबकि पिता पंकज का तर्क है कि जिसे थानाध्यक्ष शव दे रहे हैं, वही तो उनके हत्यारे हैं। फिर पुलिस उन्हे शव क्यों देना चाहती है। सबसे खास वात ये रही कि जिस माँ के दो मासूम बच्चे की मौत हुई हो वो माँ पोस्टमार्टम तक नहीं आई। इससे पंकज के आरोप को बल मिल जाता है। दोनों पक्ष एक दूसरे पर आरोप लगाते रहे, परंतु दो मासूम बच्चों की मौत से उपस्थित लोग दंग रह गए। कुछ महिलाएँ कह रही थी कि कैसी माँ है जो अपने ही बच्चों को मार दिया। माता को कुमाता बना दिया।*
*पंकज अभी कल ही केंद्रीय कारागार नैनी जेल से गाँजा बेंचने के आरोप में शाम को रिहा हुआ था, उसकी कलाई पर जेल की मुहर स्पष्टरूप से दिख रही थी। सुषमा और पंकज की शादी वर्ष 2010 में होलागढ़ क्षेत्र के देवराज का पूरा जनपद इलाहाबाद में हुई थी। दोनों में शादी के बाद से ही पट नहीं रही थी, जिसके कारण दोनों का विवाद महिला थाना में चला और लिखा पढ़ी के बाद दोनों बच्चों के साथ सुषमा अपने मायके रहने लगी।*
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