मुंबई / कांग्रेस के पूर्व नगरसेवक और कवि दिवंगत दशरथ कृष्णाजी मधुकुंटा द्वारा रचित काव्य कृति 'चिनगारी बन गयी मशाल' का विमोचन साकीनाका के सेंट ज्यूड स्कूल में किया गया। एक मजदूर से मजदूर नेता, फिर नगरसेवक और बाद में कवि का सफर तय करनेवाले मधुकुंटा तेलगू भाषी होते हुए हिंदी पर वर्चस्व रखते थे।
'चिनगारी बन गयी मशाल' का विमोचन वरिष्ठ पत्रकार और साहित्यकार नंदकिशोर नौटियाल, पूर्व कैबिनेट मंत्री और विधायक आरिफ नसीम खान, वरिष्ठ पत्रकार अनुराग त्रिपाठी, ब्रिजमोहन पांडेय, आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली, दिनेश ठक्कर, नगरसेवक वाजिद कुरेशी, डॉ मंजू पांडेय, अरशद अमीर, प्रभाकर जावकर, मोहम्मद गौस,अखिलेश तिवारी, सुभाष गायकवाड़ तथा अणावकर गुरुजी द्वारा किया गया। जगद्गुरु सूर्याचार्य गिरी महाराज ने आर्शिवचन दिया। वरिष्ठ पत्रकार नंदकिशोर नौटियाल ने कहा कि मधुकुंटा में दूरदर्शिता थी इसीलिए आज वर्तमान में जो राजनीतिक और सामाजिक परिदृश्य हैं उसका वर्णन अपनी कविताओं के माध्यम से उन्होंने 15 वर्ष पहले ही कर दिया था। उनकी काव्य कृति 'चिनगारी बन गयी मशाल' का शीर्षक से उसका आभास कराता हैं। पूर्व कैबिनेट मंत्री और विधायक आरिफ नसीम खान ने कहा कि अपनी हर बात नीडरता और इमानदारी से कहनेवाले दशरथ भाई एक सेक्युलर इंसान थे। एक मजदूर के हैसियत से काम शुरु करनेवाले मधुकुंटा ने जीवन के अंतिम सांसो तक संघर्ष किया और हमेशा अपने वादे पर अड़िग रहे। वरिष्ठ पत्रकार अनुराग त्रिपाठी ने उनके संस्मरण सुनाते हुए कहा कि मूल्य और रिश्तों से इन्होंने कभी समझौता नहीं किया। इनकी कविताओं पर देश के नामीगिरामी कविओं की मुहर लगने से इसकी श्रेष्ठता पहले से प्रमाणित हो चुकी हैं। वरिष्ठ पत्रकार ब्रिजमोहन पांडेय ने कहा कि इनसे संघर्ष करने की प्रेरणा हमेशा मिली हैं। अब इनकी विरासत को आगे लेकर जाने की जिम्मेदारी पारिवारिक सदस्यों पर हैं। अतिथियों का स्वागत किशोर मधुकुंटा, दिनेश मधुकुंटा,मुकेश मधुकुंटा,उमेश मधुकुंटा, राकेश मधुकुंटा ने किया।
इस मौके पर आयोजित कवि सम्मेलन में पैरोडी किंग सुरेश मिश्र के संचालन तथा पत्रकार-साहित्यकार राजेश विक्रांत की अध्यक्षता में डॉ लक्ष्मण शर्मा वाहिद, लोकनाथ तिवारी अनगढ़, रवि प्रकाश सिंह और रूपाली पटवर्धन ने किया। समारोह का संचालन अजय शुक्ल ने किया जबकि आभार प्रदर्शन दिनेश मधुकुंटा द्वारा किया गया। इस मौके पर अण्णा परब, राजू परब, पांडुरंग शेटके,रवि नायर, मार्केडय सिंह,जमीरउल्लाह फारुखी, रफीक खान, बाबू बतेली, सईद खान, अफरोज शेख, सरताज मेहंदी, अशोक सिंह, जितेंद्र तिवारी, वॉल्टर डिसोझा, रत्ना पटेल, धीरूभाई ठक्कर, राजेश शर्मा,अशोक पोल,सुभाष विश्वकर्मा, फरीद खान,साईनाथ कटके, माया खोत, मनाली गायकवाड आदी उपस्थित थे।
'चिनगारी बन गयी मशाल' का विमोचन वरिष्ठ पत्रकार और साहित्यकार नंदकिशोर नौटियाल, पूर्व कैबिनेट मंत्री और विधायक आरिफ नसीम खान, वरिष्ठ पत्रकार अनुराग त्रिपाठी, ब्रिजमोहन पांडेय, आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली, दिनेश ठक्कर, नगरसेवक वाजिद कुरेशी, डॉ मंजू पांडेय, अरशद अमीर, प्रभाकर जावकर, मोहम्मद गौस,अखिलेश तिवारी, सुभाष गायकवाड़ तथा अणावकर गुरुजी द्वारा किया गया। जगद्गुरु सूर्याचार्य गिरी महाराज ने आर्शिवचन दिया। वरिष्ठ पत्रकार नंदकिशोर नौटियाल ने कहा कि मधुकुंटा में दूरदर्शिता थी इसीलिए आज वर्तमान में जो राजनीतिक और सामाजिक परिदृश्य हैं उसका वर्णन अपनी कविताओं के माध्यम से उन्होंने 15 वर्ष पहले ही कर दिया था। उनकी काव्य कृति 'चिनगारी बन गयी मशाल' का शीर्षक से उसका आभास कराता हैं। पूर्व कैबिनेट मंत्री और विधायक आरिफ नसीम खान ने कहा कि अपनी हर बात नीडरता और इमानदारी से कहनेवाले दशरथ भाई एक सेक्युलर इंसान थे। एक मजदूर के हैसियत से काम शुरु करनेवाले मधुकुंटा ने जीवन के अंतिम सांसो तक संघर्ष किया और हमेशा अपने वादे पर अड़िग रहे। वरिष्ठ पत्रकार अनुराग त्रिपाठी ने उनके संस्मरण सुनाते हुए कहा कि मूल्य और रिश्तों से इन्होंने कभी समझौता नहीं किया। इनकी कविताओं पर देश के नामीगिरामी कविओं की मुहर लगने से इसकी श्रेष्ठता पहले से प्रमाणित हो चुकी हैं। वरिष्ठ पत्रकार ब्रिजमोहन पांडेय ने कहा कि इनसे संघर्ष करने की प्रेरणा हमेशा मिली हैं। अब इनकी विरासत को आगे लेकर जाने की जिम्मेदारी पारिवारिक सदस्यों पर हैं। अतिथियों का स्वागत किशोर मधुकुंटा, दिनेश मधुकुंटा,मुकेश मधुकुंटा,उमेश मधुकुंटा, राकेश मधुकुंटा ने किया।
इस मौके पर आयोजित कवि सम्मेलन में पैरोडी किंग सुरेश मिश्र के संचालन तथा पत्रकार-साहित्यकार राजेश विक्रांत की अध्यक्षता में डॉ लक्ष्मण शर्मा वाहिद, लोकनाथ तिवारी अनगढ़, रवि प्रकाश सिंह और रूपाली पटवर्धन ने किया। समारोह का संचालन अजय शुक्ल ने किया जबकि आभार प्रदर्शन दिनेश मधुकुंटा द्वारा किया गया। इस मौके पर अण्णा परब, राजू परब, पांडुरंग शेटके,रवि नायर, मार्केडय सिंह,जमीरउल्लाह फारुखी, रफीक खान, बाबू बतेली, सईद खान, अफरोज शेख, सरताज मेहंदी, अशोक सिंह, जितेंद्र तिवारी, वॉल्टर डिसोझा, रत्ना पटेल, धीरूभाई ठक्कर, राजेश शर्मा,अशोक पोल,सुभाष विश्वकर्मा, फरीद खान,साईनाथ कटके, माया खोत, मनाली गायकवाड आदी उपस्थित थे।
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