मुंबई (नकुल बालियान)। भाजपा की सहयोगी पार्टी शिवसेना ने पार्टी से पूछा कि उसे गठबंधन सहयोगियों की आवश्कता है अथवा नहीं साथ ही उसने आगाह किया कि पंचायत से लेकर संसद तक अपनी सत्ता कायम करने के अभियान के दौरान उसे देश के समक्ष अनेक मुद्दों से भटकना नहीं चाहिए। शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में कहा, ‘‘प्रत्येक राज्य में पार्टी की सत्ता होने के बारे में सोचना काफी सुखद और उत्साहजनक है लेकिन भाजपा को राजग के 33 सहयोगियों के बारे में अपनी नीतियां स्पष्ट करनी चाहिए जिनके लिए हाल ही में (प्रधानमंत्री द्वारा) रात्रि भोज आयोजित किया गया था। संपादकीय के अनुसार, ‘‘शिवसेना, अकाली दल और तेदेपा जैसी पार्टियां अपने अपने राज्यों में मजबूती के साथ खड़ी हैं। यह बात स्पष्ट होनी चाहिए कि हमारी मित्रता की आवश्यकता (भाजपा को) है या नहीं।’’ संपादकीय में आगे कहा गया कि भाजपा पंचायत से संसद तक शासन के अपने अभियान में आगे बढ़ती रहे लेकिन जो उनके खिलाफ बोलते हैं उन्हें देश विरोधी नहीं कहा जाना चाहिए नहीं तो लोकतंत्र में जो भी बचा है वह भी खो जाएगा। इसमें कहा गया, ‘‘प्रत्येक राजनीतिक दल को अपना विस्तार करने का हक है लेकिन भारत जैसे विशाल देश में, सत्तासीन दल पर विपक्षी पार्टियों को मजबूती देने और संसदीय लोकतंत्र चलता रहे यह सुनिश्चत करने की भी जिम्मेदारी है।’’
मुखपत्र के संपादकीय में आगे कहा गया, ‘‘भाजपा के लिए स्वर्णिम काल आ गया हो लेकिन जम्मू कश्मीर में हिंसा जारी है। पाकिस्तान ने कुलभूषण के मामले में रख सख्त किया हुआ है, महाराष्ट्र जैसे राज्यों के किसान सामूहिक आत्महत्या करने पर आमादा हैं, मुद्रस्फीति कम नहीं हुई साथ ही रोजगार दर बढ़ा नहीं है। देश का स्वर्णिम काल अभी नहीं शुरू हुआ है।’’ उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली पार्टी ने कहा कि उसका मानना है कि किसी एक पार्टी के लिए स्वर्णिम काल नहीं हो सकता बल्कि पूरे देश के लिए होना चाहिए।’’ गौरतलब है कि 15 अप्रैल को भाजपा के दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी में पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने कहा था, ‘‘भाजपा को अभी अपने शीर्ष पर पहुंचना बाकी है उसका स्वर्ण काल तब आएगा जब वह पंचायत से देश भर की विधानसभाओं और संसद तक उसका शासन होगा।'
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