महाराष्ट्र में शिक्षा से होता खिलवाड़ अनुभव हाल में लागू किए गए 'महाराष्ट्र सार्वजनिक विद्यापीठ कानून-2016' के तहत हो रहा हैं।इस कानून को लागू करने के लिए जिस परिनियम की आवश्यकता हैं वह परिनियम अब तक मंजूर नहीं हुआ हैं और अंतिम करने की कार्यवाही प्रक्रिया में होने की जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को महाराष्ट्र सरकार ने दी हैं। महाराष्ट्र के 11 विद्यापीठ का कामकाज ठप्प सा हुआ हैं जबकि परिनियम न होने से कई समितियां गठित नहीं की गई हैं।
आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने उच्च व तंत्र शिक्षा विभाग से 'महाराष्ट्र सार्वजनिक विद्यापीठ कानून-2016' के तहत आवश्यक परिनियम की जानकारी मांगी थी। उच्च व तंत्र शिक्षा विभाग के जन सूचना अधिकारी और अवर सचिव सतिश माली ने अनिल गलगली को बताया कि 'महाराष्ट्र सार्वजनिक विद्यापीठ कानून-2016' के तहत परिनियम अब तक मंजूर नहीं किया गया हैं। उसे अंतिम करने की कारवाई प्रक्रिया में हैं।
राज्य सरकार ने डॉ. अनिल काकोडकर समिती, डॉ. अरुण निगवेकर समिती व डॉ. राम ताकवले समिती ये 3 समितियां उच्चशिक्षा के संबंध में सिफारस करने के लिए 2010-11 में गठित की गई थी। इन 3 समितियों का उचित सिफारस की रिपोर्ट अप्रैल 2016 में विद्यापीठ विधेयक विधानसभा के पटल पर रखा गया। विधेयक को 21 सदस्यों की सर्वदलीय संयुक्त समिती के पास भेजा गया। संयुक्त समिती की 10 बैठक में कुछ प्रस्तावों में सुधार का सुझाव दिया गया। इन सुधारों सहित 8 दिसंबर 2016 को विधिमंडल के दोनों सदनों में एकमत से ‘महाराष्ट्र सार्वजनिक विद्यापीठ कानून’ पारित हुआ। इस कानून से कई समितियों का गठन का मार्ग भी प्रशस्त हुआ।
इसी बीच 1 मार्च 2017 से राज्य में यह कानून लागू तो हुआ लेकिन परिनियम नहीं होने से उसके कार्यान्वय और कामकाज को लेकर संभ्रम है। महाराष्ट्र के 11 विद्यापीठ का कामकाज ठप सा हुआ हैं और परिनियम के अभाव में कई समितियां गठित नहीं होने पर अनिल गलगली ने चिंता जताई हैं । राज्यपाल और सभी सदस्यों को अपील भी की हैं कि भविष्य में किसी भी तरह का कानून लाने के पूर्व उसके परिनियम को मंजूर करे ताकि अब आनेवाली दिक्कत न हो।
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