भोपाल। भ्रष्टाचार-रिश्वतखोरी के लिए बदनाम हो चुके श्योपुर जिले में जमीन का फर्जीवाड़ा करने वाले अपर कलेक्टर वीरेन्द्र सिंह को सरकार ने निलंबित कर दिया है। साथ ही चम्बल आईजी से घटना की रिपोर्ट तलब की है। पत्रकार की पिटाई और भूदान की जमीन की बेचने के अनुमति देने का मामला मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और मुख्य सचिव बीपी सिंह के संज्ञान में पहुंच गया है। ऐसे में एडीएम के खिलाफ जांच के आदेश हो भी कर दिये गएे है। श्योपुर में विक्रय से वर्जित जमीन बेचने की अनुमति देने फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद कलेक्टर अभिजीत अग्रवाल भी लपेटे में आ रहे हैं। क्योंकि अग्रवाल यह कहकर खुद का बचाव कर रहे हैं कि उनके आने से एक दिन पहले ही जांच के लिए फाइल तत्कालीन कलेक्टर पन्नालाल सोलंकी ने एडीएम के पास भेजी थी, इसके बाद फाइल लौटकर नहीं आई। जबकि जमीन बेचने की अनुमति देने के लिए सिर्फ कलेक्टर के पास अधिकार हैं। जिन्हें विशेष परिस्थितियों में एडीएम को हस्तांतरित किया जाता है। एडीएम द्वारा जमीन बेचने की अनुमति देना अवैधानिक है। इस मामले में प्रारंभिक जांच के लिए उन पर कार्रवाई की जा सकती है। यहां बता दें कि विक्रय से वर्जित जमीन की अनुमति देने की खबर छापने से रोकने के लिए एडीएम ने पत्रकार दशरथ परिहार को परिणाम भुगतने की धमकी भी दी थी। खबर छापने के बाद एडीएम ने पत्रकार को जेल भिजवा दिया। इस मामले में राज्य शासन ने जांच कमेटी भी गठित कर दी है। बैतूल में नप चुके हैं कलेक्टर-एडीएम पिछले साल बैतूल में आदिवासियों की जमीन को एडीएम स्तर पर खुर्दबुर्द करने का मामला सामने आने के बाद सरकार ने कलेक्टरों को जमीन संबंधी प्रकरणों में गंभीरता बरतने के निर्देश दिए थे। यहां बता दें कि पिछले साल शीत सत्र में भाजपा विधायक हेमंत खंडेलवाल ने आदिवासी की जमीन का एडीएम स्तर पर खुदबुर्द करने का मामला विधानसभा में उठाया था। तब सरकार ने तत्काल बैतूल के तत्कालीन एडीएम जैन को निलंबित कर दिया था। साथ ही कलेक्टर ज्ञानेश्वर पाटिल का तबादला कर दिया था। तब बैतूल के तत्कालीन कलेक्टर पाटिल ने यह कहकर अपना बचाव किया था कि उनसे पहले भी कलेक्टर जमीन संबंधी अधिकारों का एडीएम को हस्तांतरित करते आए हैं। हालांकि जमीन फर्जीवाड़ा मामले में पाटिल से कलेक्टरी छिन गई थी।
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