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- सेना का बोर्ड भी लगा होने के बावजूद अतिक्रमणकर्ताओं पर कोई फर्क नहीं

झिंगुरा ( संतोष देव गिरि/आशीष तिवारी ) अंग्रेजो के जमाने का बना झिंगुरा हवाईपट्टी अतिक्रमण का शिकार बना हुआ है। उक्त जमीन सेना के कब्जे में होने के बावजूद अतिक्रमणकर्ताओं की सेहत पर कोई फर्क नहीं जिसका जहां मन आया वहीं अतिक्रमण कर अपनी खेतो में मिलाता चला जा रहा है। जिला मुख्यालय से महज आठ किलोमीटर दूर सिटी विकास खण्ड स्थित झिंगुरा हवाईपट्टी ब्रिटिश के जमाने में आपात काल के लिए तैयार हुआ था। झिंगुरा हवाई पट्टी वैसे तो उस दौर में यदा कदा हवाई जहाज उतरा करते थे पर आजादी के बाद झिंगुरा हवाई पट्टी पर देश के प्रथम प्रधान मंत्री से लेकर खुद इंदिरागांधी तक का जहाज यहां उतर चुका है। उस दौर में लोगों को लगा कि हो न हो अब इस हवाईपट्टी के दिन वापस लौटे पर ऐसा कुछ भी नहीं हुआ यह हवाईपट्टी अब महज शो पीस बन कर रह गया है। वाराणसी, इलाहाबाद मण्डल के बीच विंध्याचल मण्डल में स्थित हवाई पट्टी आज अपनी दुर्दशा को लेकर बदहाली की आंसू रो रहा है। रही बात हवाई पट्टी पर अतिक्रमण का तो जहां लोगों के द्वारा अवैधरुप से जगह-जगह कब्जा कर जहां खलिहान संचालित किये जा रहे हैं वहीं गांव की महिलाएं उपलियां पाथने का कार्य कर रही हैं। इतना ही नहीं अगल-बगल के काश्तकारों के द्वारा हवाई पट्टी को उखाड़ प्रति वर्ष अपनी खेतो में मिलाया जा रहा है जिससे हवाई पट्टी की चैड़ाई व लम्बाई सिकुड़ती सी जा रही है। कहने के लिए उक्त हवाई पट्टी पर इन दिनों सेना का कब्जा बताया जा रहा है और कब्जे से सम्बन्धित बोर्ड भी जगह-जगह गाडे़ गये हैं फिर भी हो रहा अतिक्रमण रुकने का नाम नहीं ले रहा है। बताया जाता है कि एनसीसी के कर्नल द्वारा जिला प्रशासन को पत्र लिखकर अतिक्रमण हटाये जाने की बात कहीं गयी थी जिला प्रशासन द्वारा एसडीएम सदर को आदेशित भी किया गया था पर अतिक्रमण हटाने को कौन कहे तहसील सदर का कोई नुमाइंदा वहां झांकने तक न पहंुंचा। चहुंओर से हो रहे अतिक्रमण को लेकर क्षेत्र के आम बुद्धजीवियों के माथे पर चिंता की लकीरें देखी जा रही हैं।

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