- खुले में शौंच को जाने को मजबूर गांव की बहन-बेटियां
मीरजापुर ( संतोष देव गिरि/आशीष तिवारी ) सिटी विकास खण्ड के खुटहां मौनस स्थित हीरापट्टी पुरहाई आज भी अपनी बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहा है। बताया जाता है कि गांव अम्बेडकर गांव का कभी दर्जा प्रदान किया गया था इस दौर में गंगा के किनारे स्थित इस गांव में स्वच्छता अभियान का अलख जगाया जा रहा है। फिर भी गांव की बहन-बेटियां खुले में शौंचालय को जाने को मजबूर देखी जा रही हैं। उक्त गांव में अधिकांशतः दलित बस्तियां मौजूद है दो-दो बार अम्बेडकर गांव के नाम पर गांव में उस दौर में शौंचालयों का निर्माण तो कराया गया था पर आज बने ऐसे शौंचालय निष्प्रायोज्य हो चुके हैं। इधर गांव में कुछ शौंचालय का वितरण किया गया था जो व्यापक कमीशनबाजी के चलते भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया। शौंचालय के अभाव में यहां के ग्रामीण गंगा की ओर अथवा नाले की तरफ खुले में शौंच के लिए जाने को मजबूर हैं।
मीरजापुर ( संतोष देव गिरि/आशीष तिवारी ) सिटी विकास खण्ड के खुटहां मौनस स्थित हीरापट्टी पुरहाई आज भी अपनी बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहा है। बताया जाता है कि गांव अम्बेडकर गांव का कभी दर्जा प्रदान किया गया था इस दौर में गंगा के किनारे स्थित इस गांव में स्वच्छता अभियान का अलख जगाया जा रहा है। फिर भी गांव की बहन-बेटियां खुले में शौंचालय को जाने को मजबूर देखी जा रही हैं। उक्त गांव में अधिकांशतः दलित बस्तियां मौजूद है दो-दो बार अम्बेडकर गांव के नाम पर गांव में उस दौर में शौंचालयों का निर्माण तो कराया गया था पर आज बने ऐसे शौंचालय निष्प्रायोज्य हो चुके हैं। इधर गांव में कुछ शौंचालय का वितरण किया गया था जो व्यापक कमीशनबाजी के चलते भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया। शौंचालय के अभाव में यहां के ग्रामीण गंगा की ओर अथवा नाले की तरफ खुले में शौंच के लिए जाने को मजबूर हैं।
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