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- जिले में सार्वजनिक वितरण प्रणाली ध्वस्त, प्रधान जी के फोन और चुटके पर चल रहा काम


मीरजापुर। जनपद में भले ही राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 लागू कर जिलापूर्ति विभाग अपना पीठ थपथपा रहा हो पर क्या इस योजना का लाभ वास्तव में पात्र गृहस्थी को मिल रहा है कि नहीं यह कोई देखने वाला नहीं। यदि कहीं से शिकायत भी जिलापूर्ति विभाग पहुंच रहा है तो जिलापूर्ति विभाग से तो जैसे कोई मतलब ही नहीं। नगर से लेकर विकास खण्ड स्तर पर प्रत्येक माह राशन, चीनी तेल के साथ अन्य सामानों का उठान तो हो रहा है पर वितरण में कोटेदार पूर्व की तरह ही अपनी मनमानी बरत रहे हैं। नियंत्रण के लिए सम्बन्धित विकास खण्डो में पूर्तिनिरीक्षको की तैनाती की गयी है पर तैनात ऐसे पूर्तिनिरीक्षको से कोई मतलब ही नहीं। चिराग लेकर भी ढ़ूढ़ने पर ऐसे पूर्तिनिरीक्षको के दर्शन नहीं होते। यदि कुछ पूतिनिरीक्षकों के दर्शन भी होते हैं तो वह महज तहसीलों में बैठे सरकारी कुर्सियां तोड़ते दिखलायी पड़ रहे हैं। पात्र गृहस्थी योजना के बारे में यदि जिला मुख्यालय से सटे सदर तहसील की बातें करें तो यहां का हाल सबसे बुरा देखा जा रहा है। सदर तहसील क्षेत्र मंे कभी अंत्योदय व बीपीएल कार्ड धारको को 35 किलो खाद्यान मुहैया कराया जा रहा था वहीं तहसील क्षेत्र के अधिकांश ग्राम पंचायतो में जहां अंत्योदय कार्डधारको के मध्य 25 से 30 किलो राशन उपलब्ध कराया जा रहा है वहीं बीपीएल कार्डधारको के पेट पर डाका डालते हुए कोटेदारों के द्वारा उन्हे 10 से 15 किलोग्राम राशन ही उपलब्ध कराया जा रहा है। कहीं-कहीं तो सूची में नाम न होने की दुहाई देते हुए उनके हक का आया राशन प्रत्येक माह उड़ा दिया जा रहा है। सिटी विकास खण्ड के महेंवां, अनन्तरामपट्टी, हरिहरपुर बेदौली, पठानपट्टी, अघौली, लच्छापट्टी की हालत तो मौके पर ही पहुंच देखा जा सकता है। बताया जाता है कि ग्रामीणांे द्वारा विकास खण्ड मुख्यालय से लेकर तहसील मुख्यालय तक गुहार लगाया गया पर मामला पूर्तिनिरीक्षको तक पहुंच फाईलों में दम तोड़ दिया।


चीनी गायब, मिट्टी तेल मिल भी रहा तो सूंघने के लिए

मीरजापुर। जनपद में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम लागू होने के बाद जहां अभी तक अधिकांश क्षेत्रों में लोगांे का राशन कार्ड तक उपलब्ध न हो सका वहीं गरीबों तक पहंुचने वाला चीनी व मिट्टी तेल कोटे की दुकानों से पूरी तरह से काला बाजारी कर दी जा रही है। कुछ स्थानांे पर मिल भी रहा है तो वह नाम मात्र रही बात मिट्टी तेल का तो गैलनांे में महज सूघने के लिए ही मिल रहा है। प्रति कार्ड डेढ लीटर मिलने वाला तेल अब गरीबों को अधिकांश स्थानों पर एक माह के अंतराल में प्राप्त हो रहा है वह भी एक लीटर। चीनी का नाम लेने पर कोटेदारों को जैसे सांप ही सूंघ जा रहा हो। गांव में मरनी, करनी का बहाना बना किसी को आधा किलो तो किसी को एक किलो दे कोरम पूरा कर दिया। कहीं- कहीं कोटेदार तो पूरा का पूरा चीनी व तेल गायब कर दे रहे हैं। परेशान जनता सम्बन्धित विभाग के अधिकारियों के यहां अपना गुहार लगाते-लगाते थक सी चुकी अब वह ग्राम प्रधान के सामने त्राहि माम् करते हुए यह कहते हुए देखी जा रही कि का हो, प्रधान जी! अब तोहरे राज में अइसई चली की का। अधिकांश क्षेत्रों में जिले की सार्वजनिक वितरण प्रणाली व्यवस्था ध्वस्त हो ग्राम प्रधानो के चुटके अथवा फोन पर संचालित हो रही है। ग्राम प्रधान चाहे जिस गरीब को राशन, तेल व चीनी दिलाये जिसे चाहें उसे न दिलायें। सम्बन्धित विभाग तमाम शिकायतों बावजूद मूकदर्शक बनी हुई है।

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