दुर्गा देवी के रंग मंच पर हुआ नाटक का आयोजन
सांस्कृतिक कार्यक्रम के अंतिम दिन उमड़ा दर्शको का रेला
मीरजापुर। होली महोत्सव कार्यक्रम के अंतर्गत सांस्कृतिक कार्यक्रमो का आयोज़न एक परम्परा के रूप में सैकड़ो वर्षो से चली आ रही परम्परा को आज भी एक धरोहर की तरह युवाओ ने संभाल कर रखा है । इसी क्रम में स्थानीय दुर्गादेवी कसरहट्टी में होली मिलन समारोह कार्यक्रम के अंतर्गत वर्षो पुरानी परंपरा भड़ई ;नाटकद्ध के आखिरी दिन का ऐतिहासिक नाटक इन्साफ की देवी का सफल मंचन किया गया। नाटक के प्रारम्भ में माँ आदि शक्ति दुर्गा की संगीतमय स्तुति की गई। तत्पश्चात पर्दा उठा और अनेक सीनो में विभाजित नाटक को देख दर्शक भाव विभोर हो उठे। उपस्थित दर्शको में देश भक्ति के साथ साथ क़ानून और न्याय पर विश्वास की भावना विकसित करने के उद्देश्य से इस प्रकार के नाटको की प्रस्तुति की जाती है। ज्ञात हो कि होली के अवसर पर स्वतंत्र कांस्कार नाट्य समिति श्री नव दुर्गा क्लब के सौजन्य से दुर्गा देवी मंदिर पर वर्षो से जनता के लिए निःशुल्क मंचन होता आया है। आखिरी दिन का नाटक इन्साफ की देवी जो शंकरगढ़ की राजमाता है का इन्साफ सदैव खून का बदला खून होता हैं। परंतु युवराज के द्वारा एक कबीले की कन्या से बढ़े हुए प्रेम का इन्साफ युवराज के द्वारा हत्या के इल्जाम पर भारी पड़ता है और प्रेम के बदले प्रेम का न्याय का सन्देश देकर शंकरगढ़ की राजमाता ने इन्साफ की नई परिभाषा दी। मुख्य पात्र राजमाता का किरदार राम कुमार ने शाका व राका का किरदार श्यामकार्तिक व प्रतीक कसेरा ने निभाया। वही कबीला का युवक कुम्भा का किरदार चंद्र मोहन ने दीवान का किरदार विवेक वर्मा ने निभायी। इसी प्रकार अन्य पत्रो की भूमिका में रामबाबू ओम् प्रकाश रज्जु घनश्याम सहित अन्य स्थानीय कलाकारों ने अपने किरदार को बाखूबी निभाया। इस दौरासन सारी रात दर्शक अपने स्थस्ना पर जड़ होकर नाटक का आनंद उठाते रहे। नाटक की समाप्ति सुबह 6 वजे हुई। लेखक व निर्देशक नीरज वर्मा व संगीतकार मनोहर लाल के कुशल निर्देशन में प्रस्तुत नाटक इन्साफ की देवी में मुख्य पात्र में रामेश्वर प्रताप वर्मा की भूमिका सराहनीय रही। वरिष्ठ मेकअप मैन ईश्वर चन्द धन प्रसाद ज्ञान चन्द विजय सागर भोलानाथ आदि ने सफल मंचन व कार्यक्रम को सफल बनाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
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