मुंबई। अवैध निर्माण करने वाले बिल्डरों की अब शामत आयी है। उन्हें जुर्माने के तौर पर दुगना संपत्तिकर देना पड़ेगा । विधानसभा में बुधवार को म्युनिसिपल कार्पोरेशन एक्ट में किए गए बदलाव को मंजूरी मिल गई है।
इस एक्ट की मंजूरी के बाद अब बिल्डर/विकासक को अवैध निर्माण के लिए जिम्मेदार होंगे। बता दें कि शहरी विकास विभाग ने बिल्डरों से जुर्माना वसूलने के लिए यह प्रस्ताव रखा था। जिसे मंजूरी दे दी गई है।
बता दे कि हमेशा अवैध घर खरीदकर उसमें रहने वालों को ही परेशानी उठानी पड़ती है। और इमारत वैधता मिलने तक वे बेघर किए जाने के डर से जूझते रहते हैं।शहरी विकास विभाग ने मुंबई म्यूनिसिपल कार्पोरेशन एक्ट में बदलाव कर दिया है जिसके बाद बिल्डरों को अवैध निर्माण के लिए जिम्मेदार माना जाएगा। नया कानून दिया ,
नई मुंबई, दिवा और ठाणे में अवैध निर्माण को लेकर हुए विवाद के बाद बनाया गया है। यह राज्य के सभी महानगर पालिका क्षेत्रों में लागू होगा। कानून के मुताबिक पूर्व इजाजत के बिना किए गए किसी भी अवैध निर्माण पर संपत्तिकर की दुगनी राशि बतौर जुर्माना वसूली जाएगी। यह जुर्माना संपत्ति वैध होने तक वसूला जाएगा। संशोधन में यह भी कहा गया है कि कुछ बेईमान लोग गैरकानूनी तरीके से इमारतें बनाते हैं और खरीदारों को बेच देते हैं। खरीदार यह सोचते हैं कि जो संपत्ति वे खरीद रहे हैं वह कानूनन वैध है। इसलिए इस गलती के लिए खरीदारों को दंड का भुगतान करने की जरूरत नहीं होगी।
इस एक्ट की मंजूरी के बाद अब बिल्डर/विकासक को अवैध निर्माण के लिए जिम्मेदार होंगे। बता दें कि शहरी विकास विभाग ने बिल्डरों से जुर्माना वसूलने के लिए यह प्रस्ताव रखा था। जिसे मंजूरी दे दी गई है।
बता दे कि हमेशा अवैध घर खरीदकर उसमें रहने वालों को ही परेशानी उठानी पड़ती है। और इमारत वैधता मिलने तक वे बेघर किए जाने के डर से जूझते रहते हैं।शहरी विकास विभाग ने मुंबई म्यूनिसिपल कार्पोरेशन एक्ट में बदलाव कर दिया है जिसके बाद बिल्डरों को अवैध निर्माण के लिए जिम्मेदार माना जाएगा। नया कानून दिया ,
नई मुंबई, दिवा और ठाणे में अवैध निर्माण को लेकर हुए विवाद के बाद बनाया गया है। यह राज्य के सभी महानगर पालिका क्षेत्रों में लागू होगा। कानून के मुताबिक पूर्व इजाजत के बिना किए गए किसी भी अवैध निर्माण पर संपत्तिकर की दुगनी राशि बतौर जुर्माना वसूली जाएगी। यह जुर्माना संपत्ति वैध होने तक वसूला जाएगा। संशोधन में यह भी कहा गया है कि कुछ बेईमान लोग गैरकानूनी तरीके से इमारतें बनाते हैं और खरीदारों को बेच देते हैं। खरीदार यह सोचते हैं कि जो संपत्ति वे खरीद रहे हैं वह कानूनन वैध है। इसलिए इस गलती के लिए खरीदारों को दंड का भुगतान करने की जरूरत नहीं होगी।
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