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सुप्रिम इन्फ्रास्ट्रक्चर की संपत्ति सील प्रकरण में तुरंत स्पष्टीकरण का आदेश।

भिवंडी। एम हुसेन। सुप्रिम इन्फ्रास्ट्रक्चर इंडिया लि.इस सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त बांधकाम कंपनी की संपत्ति को सील न करने के लिए उच्च न्यायालय ने आदेश दिया है और भिवंडी तहसीलदार वैशाली लंभाते को मुंबई उच्च न्यायालय ने तुरंत स्पष्टीकरण करने के लिए गुरुवार को आदेश दिया है .इस प्रकरण में न्यायालय के आदेश की अवमानना प्रक्रिया शुरू होने की शंका से महसूल विभाग में हड़कंप मचा हुआ है .भिवंडी तालुका में मिट्टी, पत्थर खनिज उत्खनन करने के आरोप में सुप्रिम इन्फ्रास्ट्रक्चर इंडिया कंपनी को तहसीलदार वैशाली लंभाते ने दंड भरने के लिए नोटिस दी थी .उक्त प्रकरण अपर जिलाधिकारी प्रवीण शिंदे के समक्ष विचाराधीन है . इस नोटिस के विरुद्ध कंपनी ने उच्च न्यायालय में अपील की थी .जिसकी सुनवाई के दौरान उच्च न्यायालय ने कंपनी की संपत्ति को सील न करने के लिए आदेश तहसीलदार को दिया था .परंतु आदेश का उल्लंघन करते हुए भिवंडी तहसीलदार वैशाली लंभाते ने कंपनी के कार्यालय, संपत्ति एवं बैंक का खाता सील कर दिया था .तहसीलदार द्वारा की गई कार्रवाई पर गुरुवार को मुंबई उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ती वी.एम.कानडे एवं पी.आर.बोरा की खंडपीठ के समक्ष सुनवाई हुई .इस दौरान न्यायालय के आदेश का उल्लंघन करने की पुष्टि होने के पश्चात

अविलंब तहसीलदार को न्यायालय में पेश होने का आदेश न्यायालय ने दिया । इसी के साथ ही कंपनी के बॅंक खाते एक घंटे के भीतर खोलने के आदेश देते हुए सायंकाल पाच बजे तक उच्च न्यायालय के समक्ष अहवाल प्रस्तुत करने का आदेश दिया था .इस प्रकरण में तहसीलदार के प्रतिनिधि के रूप में भिवंडी के नायब तहसीलदार वी.बी.पवार को न्यायालय में भेजा गया था। इस अवसर पर न्यायालय ने कहा कि तहसीलदार कहां है ? इस तरह विचार करते हुए न्यायालय के आदेश का पालन न करने पर तहसीलदार के विरुद्ध न्यायालय के अवमानना की कार्यवाई क्यों न शुरू की जाए ? इस समय नायब तहसीलदार वी.बी.पवार ने तहसीलदार द्वारा सील की गई संपत्ति को तत्काल प्रभाव से खोलने के लिए लिखित रूप से न्यायालय को आश्वस्त किया है .इसी के साथ तहसीलदार वैशाली लंभाते को एक सप्ताह के दौरान स्पष्टीकरण करने के लिए आदेश न्यायालय ने दिया है .उक्त आदेश के बाद भिवंडी तालुका में महसूल विभाग में हड़कंप मचा हुआ है।

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