बघेड़ाकला व बघेड़ाखुर्द के मध्य बनी पुलिया पर जान हथेली पर ले गुजर रहे राहगीर
-चुनाव जीतने के बाद वायदा के बावजूद मुड़कर नहीं देखे जनप्रतिनिधि
मीरजापुर ( सन्तोष देव गिरि/आशीष कुमार ) स्थानीय विधान सभा क्षेत्र की जनता जनप्रतिनिधियों के उपेक्षा का शिकार देखी जा रही है। जब-जब चुनाव आता है तो क्षेत्रों में पहुंचने वाले जनप्रतिनिधि ग्रामीणों से वायदा तो करते हैं पर चुनाव जीतने के बाद फिर पलट कर उस तरफ मुड़कर नहीं देखते। कुछ ऐसे ही उपेक्षा के शिकार छानबे विकास खण्ड के बघेड़ाकला व बघेड़ाखुर्द का देखा जा रहा है। दो गांव को आपस में जोड़ने के लिए कर्णावती नदी पर बनी एक पुलिया ऐसे जनप्रतिनिधियों को विकास की आइना दिखा रही है। रोज-रोज आने व जाने वाले ग्रामीण जान हथेली पर ले जर्जर पुलिया पर चलने को मजबूर हैं। बारिस के दौरान दोनों गांवो का सम्पर्क टूट जाता है। बघेड़ाखुर्द एक ऐसा ग्राम पंचायत है जहां पर एक महाविद्यालय के साथ ही एक बीटीसी कालेज व दो-दो की संख्या में इंटर व हाईस्कूल के विद्यालय मौजूद हैं। जहां प्रतिदिन हजारों की संख्या में लोगों के साथ ही छात्र व छात्राओं का आना व जाना लगा रहता है। जनप्रतिनिधियों के उपेक्षा के शिकार लोग मात्र दो सौ मीटर की दूरी के लिए लगभग दस किलोमीटर का चक्कर लगाने के लिए मजबूर हो जाते हैं। गांव के मध्य बने उक्त पुलिया का निर्माण तकरीबन तीस से चालिस वर्ष पहले ग्राम पंचायत के द्वारा कराया गया था। गांव को जोड़ने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले उक्त पुलिया की बातें तो समय-समय पर जनप्रतिनिधियों के सामने ग्रामीणों के द्वारा उठाई तो गयी पर चुनाव जीतने के बाद किसी ने भी इस जर्जर पुलिया की तरफ मुड़कर न देखा। बघेड़ाखुर्द ग्राम प्रधान संग्राम बिन्द, बघेड़ाकला ग्राम प्रधान विजय पाण्डेय, त्रिलोकी बिन्द, सूर्यमणि, कैलाश, लवकेश सिंह, आसेन्द्र सिंह, मुन्ना तिवारी, महेश आदि ने शासन का ध्यान उक्त पुलिया की तरफ उठाते हुए इसके निर्माण की गुहार लगाई।
-चुनाव जीतने के बाद वायदा के बावजूद मुड़कर नहीं देखे जनप्रतिनिधि
मीरजापुर ( सन्तोष देव गिरि/आशीष कुमार ) स्थानीय विधान सभा क्षेत्र की जनता जनप्रतिनिधियों के उपेक्षा का शिकार देखी जा रही है। जब-जब चुनाव आता है तो क्षेत्रों में पहुंचने वाले जनप्रतिनिधि ग्रामीणों से वायदा तो करते हैं पर चुनाव जीतने के बाद फिर पलट कर उस तरफ मुड़कर नहीं देखते। कुछ ऐसे ही उपेक्षा के शिकार छानबे विकास खण्ड के बघेड़ाकला व बघेड़ाखुर्द का देखा जा रहा है। दो गांव को आपस में जोड़ने के लिए कर्णावती नदी पर बनी एक पुलिया ऐसे जनप्रतिनिधियों को विकास की आइना दिखा रही है। रोज-रोज आने व जाने वाले ग्रामीण जान हथेली पर ले जर्जर पुलिया पर चलने को मजबूर हैं। बारिस के दौरान दोनों गांवो का सम्पर्क टूट जाता है। बघेड़ाखुर्द एक ऐसा ग्राम पंचायत है जहां पर एक महाविद्यालय के साथ ही एक बीटीसी कालेज व दो-दो की संख्या में इंटर व हाईस्कूल के विद्यालय मौजूद हैं। जहां प्रतिदिन हजारों की संख्या में लोगों के साथ ही छात्र व छात्राओं का आना व जाना लगा रहता है। जनप्रतिनिधियों के उपेक्षा के शिकार लोग मात्र दो सौ मीटर की दूरी के लिए लगभग दस किलोमीटर का चक्कर लगाने के लिए मजबूर हो जाते हैं। गांव के मध्य बने उक्त पुलिया का निर्माण तकरीबन तीस से चालिस वर्ष पहले ग्राम पंचायत के द्वारा कराया गया था। गांव को जोड़ने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले उक्त पुलिया की बातें तो समय-समय पर जनप्रतिनिधियों के सामने ग्रामीणों के द्वारा उठाई तो गयी पर चुनाव जीतने के बाद किसी ने भी इस जर्जर पुलिया की तरफ मुड़कर न देखा। बघेड़ाखुर्द ग्राम प्रधान संग्राम बिन्द, बघेड़ाकला ग्राम प्रधान विजय पाण्डेय, त्रिलोकी बिन्द, सूर्यमणि, कैलाश, लवकेश सिंह, आसेन्द्र सिंह, मुन्ना तिवारी, महेश आदि ने शासन का ध्यान उक्त पुलिया की तरफ उठाते हुए इसके निर्माण की गुहार लगाई।
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