-हाल-ए-दास्तान मॅझवां विस-
मीरजापुर (संतोष देव गिरि/आशीष कुमार तिवारी) वैसे तो जनपद के चारों विधान सभा क्षेत्रों का अपना-अपना महत्व है पर एक विधान सभा ऐसा है जहां एक जनप्रतिनिधि के लिए नफरत ही जीत का रास्ता बना हुआ है। बात मझवां विधान सभा क्षेत्र का किया जा रहा है। ज्ञात हो कि इस विधान सभा सीट पर एक प्रत्याशी इसी रास्ते पर चलकर एक दो बार नहीं हैट्रिक कर चुका। जहां सम्बन्धित पार्टी की मुखिया सर्वजन की बातें करती हैं वहीं उक्त प्रत्याशी द्वारा बा्रम्हण बस्ती में अपना प्रचार व प्रसार करना अशुभ सा मानते हैं। यही कारण है कि सवर्णो में ब्राम्हण जाति भी ऐसे प्रत्याशी से अपना दूरी बना कर चलते हैं जो समाज के विकास में बाधक है। यदि पिछले विधान सभा चुनाव पर नजर डाले तो एक प्रत्याशी के पक्ष में जैसे ही सवर्ण मतदाता एकत्र हुए लड़ाई फारर्वड बनाम बैकवर्ड हो गया। परिणाम यह हुआ कि जहां उस चुनाव में अन्ततः उक्त प्रत्याशी की विजय हुयी वहीं भाजपा चैथे व पांचवें नम्बर पर कांग्रेस सिमट कर रह गयी। हांलाकि यह समीकरण होने वाले इस चुनाव मंे अब तक नहीं देखी जा रही है पर वही महौल बनाये जाने की कोशिस की जा रही है। जबकि कोर्ट से लेकर चुनाव आयोग भी यदि जाति व धर्म के नाम पर वोट मांगा तो खैर नहीं का राग अलाप रही है। पर यदि नजरें उठाकर देखे जांय तो सिर्फ मझवां विधान सभा में ही नहीं अन्य विधान सभा क्षेत्रों में जाति व धर्म के नाम पर वोट मांगने का तमाम तरह के हथकंडे अपनाये जा रहे हैं।
मीरजापुर (संतोष देव गिरि/आशीष कुमार तिवारी) वैसे तो जनपद के चारों विधान सभा क्षेत्रों का अपना-अपना महत्व है पर एक विधान सभा ऐसा है जहां एक जनप्रतिनिधि के लिए नफरत ही जीत का रास्ता बना हुआ है। बात मझवां विधान सभा क्षेत्र का किया जा रहा है। ज्ञात हो कि इस विधान सभा सीट पर एक प्रत्याशी इसी रास्ते पर चलकर एक दो बार नहीं हैट्रिक कर चुका। जहां सम्बन्धित पार्टी की मुखिया सर्वजन की बातें करती हैं वहीं उक्त प्रत्याशी द्वारा बा्रम्हण बस्ती में अपना प्रचार व प्रसार करना अशुभ सा मानते हैं। यही कारण है कि सवर्णो में ब्राम्हण जाति भी ऐसे प्रत्याशी से अपना दूरी बना कर चलते हैं जो समाज के विकास में बाधक है। यदि पिछले विधान सभा चुनाव पर नजर डाले तो एक प्रत्याशी के पक्ष में जैसे ही सवर्ण मतदाता एकत्र हुए लड़ाई फारर्वड बनाम बैकवर्ड हो गया। परिणाम यह हुआ कि जहां उस चुनाव में अन्ततः उक्त प्रत्याशी की विजय हुयी वहीं भाजपा चैथे व पांचवें नम्बर पर कांग्रेस सिमट कर रह गयी। हांलाकि यह समीकरण होने वाले इस चुनाव मंे अब तक नहीं देखी जा रही है पर वही महौल बनाये जाने की कोशिस की जा रही है। जबकि कोर्ट से लेकर चुनाव आयोग भी यदि जाति व धर्म के नाम पर वोट मांगा तो खैर नहीं का राग अलाप रही है। पर यदि नजरें उठाकर देखे जांय तो सिर्फ मझवां विधान सभा में ही नहीं अन्य विधान सभा क्षेत्रों में जाति व धर्म के नाम पर वोट मांगने का तमाम तरह के हथकंडे अपनाये जा रहे हैं।
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