न्याय के लिए तीन वर्ष से भटक रहा पिता
मीरजापुर(आशीष कुमार तिवारी / संतोष गिरि) यदि कोई कलेजे के टुकड़े को ही बदल दे तो फिर उस पर क्या बीत रहा होगा इसे तो भुक्तभोगी सिवाय और कौन जान सकता है। पर सुनकर आपको आश्चर्य तब होगा जब आज भी एक व्यक्ति अपने कलेजे के टुकड़े को पाने के लिए आज भी उम्मीदों के सहारे दर-दर भटक रहा है। यह करामात प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पटेहरा में लगभग तीन वर्ष पूर्व तब हुई जब तहसील मड़िहान क्षेत्र के बनकी गांव निवासिनी बैजंती देवी पत्नी राजकपूर की पत्नी को लगभग तीन वर्ष पूर्व प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पटेहरा में डिलेवरी के लिए भर्ती कराया गया था। बताया जाता है कि एक ही तिथि को भर्ती दो महिलाओं में जहां राजकपूर की पत्नी को लड़का हुआ था वहीं दूसरी महिला को लड़की पैदा हुई थी। आरोप यह है कि डाक्टर समेत डिलेवरी में मौजूद लोगों ने उसके लड़के को बदल कर लड़की हाथ में थमाया। तब से लेकर आज तक राजकपूर दर-दर भटक रहा पर उसे न्याय न मिला। राजकपूर के द्वारा उपलब्ध कराये गये दस्तावेज पर यदि गौर किये जाय तो दूध का दूध व पानी का पानी हो सकता है पर हाल यह कि बिल्ली के गले में घंटी बांधे कौन जिस पराये लड़की को वह पाल रहा है उसे वह पुत्रवत स्नेह तो दे रहा है पर अपने कलेजे के टुकड़े को प्राप्त करने के लिए आये दिन जिला मुख्यालय का चक्कर काट रहा है। राजकपूर का कहना है कि पीएचसी से मिले लड़की का डीएनए टेस्ट करा लिया जाय। शिकायतकर्ता का कहना है कि यदि समय रहते न्याय न मिला तो वह किसी भी समय जिला मुख्यालय पहुंच आत्मदाह करने पर मजबूर होगा।
मीरजापुर(आशीष कुमार तिवारी / संतोष गिरि) यदि कोई कलेजे के टुकड़े को ही बदल दे तो फिर उस पर क्या बीत रहा होगा इसे तो भुक्तभोगी सिवाय और कौन जान सकता है। पर सुनकर आपको आश्चर्य तब होगा जब आज भी एक व्यक्ति अपने कलेजे के टुकड़े को पाने के लिए आज भी उम्मीदों के सहारे दर-दर भटक रहा है। यह करामात प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पटेहरा में लगभग तीन वर्ष पूर्व तब हुई जब तहसील मड़िहान क्षेत्र के बनकी गांव निवासिनी बैजंती देवी पत्नी राजकपूर की पत्नी को लगभग तीन वर्ष पूर्व प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पटेहरा में डिलेवरी के लिए भर्ती कराया गया था। बताया जाता है कि एक ही तिथि को भर्ती दो महिलाओं में जहां राजकपूर की पत्नी को लड़का हुआ था वहीं दूसरी महिला को लड़की पैदा हुई थी। आरोप यह है कि डाक्टर समेत डिलेवरी में मौजूद लोगों ने उसके लड़के को बदल कर लड़की हाथ में थमाया। तब से लेकर आज तक राजकपूर दर-दर भटक रहा पर उसे न्याय न मिला। राजकपूर के द्वारा उपलब्ध कराये गये दस्तावेज पर यदि गौर किये जाय तो दूध का दूध व पानी का पानी हो सकता है पर हाल यह कि बिल्ली के गले में घंटी बांधे कौन जिस पराये लड़की को वह पाल रहा है उसे वह पुत्रवत स्नेह तो दे रहा है पर अपने कलेजे के टुकड़े को प्राप्त करने के लिए आये दिन जिला मुख्यालय का चक्कर काट रहा है। राजकपूर का कहना है कि पीएचसी से मिले लड़की का डीएनए टेस्ट करा लिया जाय। शिकायतकर्ता का कहना है कि यदि समय रहते न्याय न मिला तो वह किसी भी समय जिला मुख्यालय पहुंच आत्मदाह करने पर मजबूर होगा।
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