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मीरजापुर (संतोष देव गिरि/आशीष कुमार तिवारी) आत्मिक प्रेम के बिना सम्पूर्ण विश्व में अशांति का वातावरण छाया हुआ है। भागवत ज्ञान के बिना प्रेम स्वरूप ईश्वर का अनुभव नहीं हो पाता है। यह बाते काशी धर्म पीठाधीश्वर जगदगुरू शंकराचार्य अनन्त श्री स्वामी नारायाणानंद तीर्थ महाराज ने कही वह गुरूवार को रायपुर गांव में श्रीमद भागवत पुराण ज्ञान प्रवचन महायज्ञ में उपस्थित महाजन समुदाय को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि ईश्वरीय ज्ञान के लक्षण कमा प्रतिपादन करते हुए आपने शास्त्र प्रभाव का उदाहरण देते हुए कहा कि ईश्वरीय सत्ता का परिज्ञान स्वरूप लक्षण एवं तटस्थ लक्षण के द्वारा किया जा सकता है। जो प्राणी सम्पूर्ण जगत के जीवों में आत्म सत्ता का अनुभव करता है वही तत्वतः स्वरूप का ज्ञाता होता है। तटस्थ लक्षण प्राकृतिक है आत्मैवेदंसर्व की व्याख्या करते हुए उन्होंने कहा कि सम्पूर्ण विश्व को एकात्मवाद की निष्ठा ग्रहण करने का सुझाव दिया। यही एकात्मवाद प्रेम का पवित्रतम और व्यापक स्वरूप है जहां आत्मियता का साम्राज्य होता है राग द्वेष से उपरति हो जाती है। भागवत कथा के माध्यम से ही एकात्मवाद की प्रतिष्ठा विश्व शांति के लिए की गई है। भागवत परायण काशी के विद्वानों द्वारा किया जा रहा है। जिसमें परीक्षित की भूमिका हरि शुक्ला ग्राम प्रधान निर्वहन कर रहे है। आज पादुका पूजन करने वालों में डाू जितेन्द्र कुमार सिंह, संजय, डां. कुबेर प्रसाद पांडेय, जगत नारायण दुबे, आदि प्रमुख रहे। संचालन पं. उमाशंकर मिश्र शांकरी ने किया।

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