-विधान सभा चुनावः डाल सकते हैं खलल
मीरजापुर। (आशीष तिवारी) जहां एक तरफ निर्वाचन विभाग जनपद में निष्पक्ष चुनाव कराये जाने के लिए निष्पक्ष है वहीं जनपद के देहात कोतवाली थाना समेत अन्य थाना क्षेत्रांे में इलाकाई पुलिस की मिलीभगत से खुलेआम मादक पदार्थो की बिक्री की जा रही है। जबकि ऐसे खुलेआम बिक मादक पदार्थो के रोकथाम के लिए जहां आबकारी विभाग की जिम्मेदारी बनती है वहीं इलाकाई थानों की भूमिका कम नहीं। जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहा है वैसे-वैसे इनकी बिक्री में बाढ़ सी देखी जा रही है। देहात कोतवाली थाना क्षेत्र के पिपराडाड़, अर्जुनपुर, भटौली, राजपुर, धौरुपुर, हनुमान पड़रा, शाहपुर चैसा समेत अन्य इलाको में सांझ ढलते ही शराबियों के जमघट देखे जाते हैं। इसी तरह से लालगंज थाना क्षेत्र के कई इलाको में बे -रोकटोक ऐसे मादक पदार्थ बेचे जा रहे हैं। पड़री थाना क्षेत्र के अघवार, आमघाट, पैड़ापुर, मोहनपुर भवरख, डाढ़ीराम, धरमदेवा आदि स्थानों पर गांजे की धड़ल्ले से बिक्री की जा रही है। नगर के कटरा, शहर व विंध्याचल कोतवाली थाना क्षेत्र के कई हिस्सों में खुलेआम मादक पदार्थो की बिक्री की जा रही है। बुद्धजीवियों का मानना है कि यदि अंकुश न लगाया तो होने वाले विधान सभा चुनाव के दौरान खलल पड़ने से इनकार नहीं किया जा सकता है।
मीरजापुर। (आशीष तिवारी) जहां एक तरफ निर्वाचन विभाग जनपद में निष्पक्ष चुनाव कराये जाने के लिए निष्पक्ष है वहीं जनपद के देहात कोतवाली थाना समेत अन्य थाना क्षेत्रांे में इलाकाई पुलिस की मिलीभगत से खुलेआम मादक पदार्थो की बिक्री की जा रही है। जबकि ऐसे खुलेआम बिक मादक पदार्थो के रोकथाम के लिए जहां आबकारी विभाग की जिम्मेदारी बनती है वहीं इलाकाई थानों की भूमिका कम नहीं। जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहा है वैसे-वैसे इनकी बिक्री में बाढ़ सी देखी जा रही है। देहात कोतवाली थाना क्षेत्र के पिपराडाड़, अर्जुनपुर, भटौली, राजपुर, धौरुपुर, हनुमान पड़रा, शाहपुर चैसा समेत अन्य इलाको में सांझ ढलते ही शराबियों के जमघट देखे जाते हैं। इसी तरह से लालगंज थाना क्षेत्र के कई इलाको में बे -रोकटोक ऐसे मादक पदार्थ बेचे जा रहे हैं। पड़री थाना क्षेत्र के अघवार, आमघाट, पैड़ापुर, मोहनपुर भवरख, डाढ़ीराम, धरमदेवा आदि स्थानों पर गांजे की धड़ल्ले से बिक्री की जा रही है। नगर के कटरा, शहर व विंध्याचल कोतवाली थाना क्षेत्र के कई हिस्सों में खुलेआम मादक पदार्थो की बिक्री की जा रही है। बुद्धजीवियों का मानना है कि यदि अंकुश न लगाया तो होने वाले विधान सभा चुनाव के दौरान खलल पड़ने से इनकार नहीं किया जा सकता है।
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